Bihar Politics : फिर चमका मदन सहनी का सितारा, अति पिछड़ा नेतृत्व को मिली नई दिशा
दरभंगा के बहादुरपुर से जदयू विधायक मदन सहनी चौथी बार मंत्री बने हैं, जिससे मिथिलांचल में अति पिछड़ा वर्ग को मजबूती मिलेगी। एनडीए सरकार ने मदन सहनी को मंत्री बनाकर अति पिछड़ा वर्ग का समर्थन पाने की कोशिश की है। मदन सहनी की सादगी और समर्पण ने उन्हें लोकप्रिय बनाया है। 2025 के चुनाव में भोला यादव को हराकर उन्होंने यह पद हासिल किया है।

बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं जदयू विधायक मदन सहनी।
जागरण संवाददाता, दरभंगा। दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए जदयू विधायक मदन सहनी बिहार सरकार में चौथी बार मंत्री बनाए गए हैं। इससे मिथिलांचल में अति पिछड़ा वर्ग के समीकरण को मजबूती के साथ समर्थन मिलेगा, जो बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण वर्ग है।
मिथिलांचल में जदयू की मजबूत स्थिति को भी उनके मंत्री बनने से बल मिलेगा। यही कारण है कि एनडीए ने कई राजनीतिक निहितार्थ को साधने की कोशिश की है। आइएनडीआइए घटक दल में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के सुप्रीमो मुकेश सहनी के पैतृक जिले से मदन सहनी सहित भाजपा के विधान पार्षद हरि सहनी पिछली सरकार में मंत्री थे। इससे एनडीए मल्लाह जाति ही नहीं बल्कि, पूरे अति पिछड़ा वर्ग को अपने पक्ष में गोलबंद करने में कामयाब रहा।
अब फिर से मदन सहनी को मंत्री बनाकर सरकार ने अति पिछड़ा वर्ग के दिल को जीतने की कोशिश की है। उनका मंत्री बनना नीतीश कुमार की लोकप्रियता को भी दर्शाता है। उनकी सादगी, मृदुल भाषा और अति पिछड़ा वर्ग के प्रति समर्पण ने उन्हें मिथिलांचल में एक लोकप्रिय नेता बनाया है।
अब तक के कार्यकाल में मदन सहनी के ऊपर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है। मदन सहनी का मंत्री बनना आगामी 2029 लोकसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। गरीब और अति पिछड़ा वर्ग के जिस राजनीति को साधने की जो कोशिश हुई उससे एनडीए को मिथिलांचल में मजबूत समर्थन मिलेगा, जो बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
लालटेन का कांवर ले जाने पर भी नहीं मिला सम्मान तो नीतीश ने लगाया गले
खराजपुर गांव निवासी किसान बिंदेश्वर सहनी के पुत्र मदन सहनी का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। प्रारंभिक से लेकर स्नातक तक की शिक्षा दरभंगा से पूरी की। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन कुंवर सिंह कालेज दरभंगा से 1992 में स्नातक किया । इसके बाद राजद के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए।
जमीन से राजनीत शुरू की। सबसे पहले पंचायत चुनाव में अपना भाग्य आजमाने का काम किया । इसमें अपने क्षेत्र से जिला परिषद सदस्य निर्वाचित हुए। यहां से उनका राजनीतिक करियर बड़े लेवल पर शुरू हुआ । दरभंगा जिला परिषद के अध्यक्ष के तौर पर 18 जुलाई 2008 को आरंभ हुआ। 28 सितंबर 2010 तक ये जिला परिषद के अध्यक्ष रहे।
विधानसभा टिकट के लिए उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दरबार में लालटेन का कांवर तक लेकर गए, लेकिन उन्हें तवज्जो नहीं मिली। ऐसे में वे जदयू में शामिल हो गए और नीतीश कुमार के गले लगाते ही 2010 के विधानसभा चुनाव में बहादुरपुर से पहली बार विधानसभा पहुंचे।
लेकिन, 2015 के चुनाव में गृह विधानसभा क्षेत्र की जगह उन्हें पार्टी (जदयू) ने गौड़ाबौराम विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया। ससुराल के क्षेत्र से जीतने के साथ उन्हें खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री बनाया गया। हालांकि, 2020 के चुनाव में उनकी गृह विधानसभा क्षेत्र में वापसी हो गई। राजद के उम्मीदवार आरके चौधरी को उन्होंने पराजित कर न सिर्फ विधायक बने बलकि, पार्टी उन्हें समाज कल्याण मंत्री भी बनाया। अब फिर से 2025 के चुनाव में उन्होंने बहादुरपुर से से लालू प्रसाद यादव के हनुमान कहे जाने वाले भोला यादव को पराजित कर जीत दर्ज की है। इसका इनाम नीतीश कुमार ने उन्हें अपने मंत्री मंडल में शामिल कर दिया है।

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