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    Lalit Narayan Mithila University : मुफ्त शिक्षा के नाम पर कालेज कर रहे छात्राओं का आर्थिक शोषण

    By Prince Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Wed, 17 Dec 2025 08:20 PM (IST)

    ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अंतर्गत कालेजों में मुफ्त शिक्षा के नाम पर छात्राओं का आर्थिक शोषण हो रहा है। छात्राओं से नामांकन के नाम पर हजारों ...और पढ़ें

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    ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय।

    जागरण संवाददाता, दरभंगा । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन कालेजों में सरकार की मुफ्त शिक्षा के नाम पर आर्थिक शोषण करने में हर कोई सक्रिय भागीदारी निभा रहा है। कहा जाता है कि छात्राओं का नामांकन मुफ्त है। कोई पैसा नहीं लिया जाता है। लेकिन पैसा भी लिया जाता है, वह भी सैकड़ों नहीं हजारों में वसूला जाता है।

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    खुलमखुला वसूला जाता है। नामांकन से पहले कालेज अपने वेबसाइट पर जो शुल्क का ब्योरा देते हैं, उसमें तीन से लेकर चार हजार तक की राशि का विवरण होता है। छात्राओं को बिना राशि जमा किए उनका नामांकन आवेदन स्वीकार ही नहीं किया जाता है। शुल्क की राशि वेबसाइट में फीड रहती है।

    जब छात्राएं विरोध करती हैं, तो कहा जाता है कि अभी जमा कर दीजिए बाद में वापस कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा होता ही नहीं है। कालेजों की ऐसी आनलाइन मनमानी जिसे हर कोई देख रहा है। उसपर विश्वविद्यालय प्रशासन मौन धारण किए हुए है। हंगामा बढ़ा तो एक पत्र निकालकर सरकार की घोषणा की इतिश्री कर ली।

    इधर विश्वविद्यालय के अधीन कालेजों स्नातक तृतीय सेमेस्टर सत्र 2024-28 में नामांकन की प्रक्रिया चल रही है। बहेड़ा कालेज बहेड़ा सभी नियमों को ताक पर रखकर एससी-एसटी सहित सभी छात्राओं से नामांकन के एवज में दो हजार रुपये तक की वसूली कर रहा है। इसी तरह अन्य संबद्ध और अंगीभूत कालेजों में भी छात्राओं से नामांकन शुल्क की वसूली चल रही है।

    बता दें कि कालेजों में चल रहे स्नातक तृतीय सेमेस्टर के नामांकन में कालेजों की ओर से छात्रों के उन वर्गों से भी वसूली की जा रही है, जिनसे पहले वसूली गई राशि की वापसी का आदेश विश्वविद्यालय प्रशासन ने कालेजों को दे रखा है। जबकि सरकार ने वर्ष 2014 में ही उक्त वर्गों के छात्र-छात्राओं से नामांकन के समय किसी भी प्रकार के नामांकन शुल्क नहीं लेने का स्पष्ट आदेश दे दिया था।

    सरकार के आदेश के आलोक में विश्वविद्यालय ने भी अपने अधीन अंगीभूत एवं संबद्ध कालेजों के प्रधानाचार्यों को मनाही कर दी थी कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अलावा सभी वर्गों की महिलाओं से नामांकन शुल्क के नाम पर कोई भी राशि नहीं लेनी है। यदि राशि ली गई तो उसे वापस करना होगा।

    लेकिन सरकार और विश्वविद्यालय के सारे आदेश को धता बताते हुए कालेजों में नामांकन के नाम पर हर वर्ग के छात्र-छात्राओं से पूरा का पूरा शुल्क वसूला जा रहा है। विडंबन तो यह है कि कालेजों की ओर नामांकन के लिए जो शुल्क का ब्योरा उनके सूचना पट पर प्रकाशित किया गया है, उसमें भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के छात्रों के अलावा महिलाओं के लिए शुल्क निर्धारित कर दिया गया है।


    छात्रहित हमारी प्राथमिकता है। नियम का उल्लंघन करने वालों पर विश्वविद्यालय प्रशासन दंडात्मक कार्रवाई करेगा।
    - डा. बिंदु चौहान, मीडिया प्रभारी, लनामिवि, दरभंगा।