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    कविता 'अमर साहित्य' की तरह 'अमर' हमेशा मैथिली साहित्य में रहेंगे जीवंत

    दरभंगा। मैथिली के वयोवृद्ध साहित्यकार पंडित चंद्रनाथ मिश्र अमर मैथिली के मूर्धन्य साहित्यकार अ

    By JagranEdited By: Updated: Sat, 03 Apr 2021 12:44 AM (IST)
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    कविता 'अमर साहित्य' की तरह 'अमर' हमेशा मैथिली साहित्य में रहेंगे जीवंत

    दरभंगा। मैथिली के वयोवृद्ध साहित्यकार पंडित चंद्रनाथ मिश्र 'अमर' मैथिली के मूर्धन्य साहित्यकार और ख्यातिप्राप्त शिक्षाविद थे। मूल रूप से मधुबनी जिले के खोजपुर गांव के स्व. पंडित मिश्र ने कविता, कथा, उपन्यास, एकांकी, निबंध समेत कई कई पुस्तकों का संपादन, सह संपादन, संकलन, विविध, अनुवाद, पत्र संपादन कर चुके हैं। उनकी कविताओं में अमर-संगीत(हिदी) काफी लोकप्रिय है। इसके साथ ही गुदगुदी, युगचक्र, ऋतु-प्रिया, आशा-दिशा, उनटा पाल, ठांहि-पठांहि, विविधगीत कविता संग्रह से साहित्य के क्षेत्र में पंडित चंद्रनाथ मिश्र अमर की अलग पहचान बनी। पंडित मिश्र की कथा जल समाधि, जीरो पावर, दहीक खुंइचा और उपन्यास वीरकन्या एवं विदागरी भी काफी चर्चित है। निबंध मैथिली आंदोलन एक सर्वेक्षण ख्याति प्राप्त है। वहीं, मैथिली लोक साहित्य, मैथिली रंगमंच अतीत-वर्तमान-भविष्य, विद्यापति सूक्ति तरंगिणी, लाबनि परक दीप, जगले रहबै, संधि समास, विजय शंख, पद्य प्रसून, लोचन आदि पुस्तक का संपादन किया। इसके साथ ही ललित नारायण मिश्र स्मृति ग्रंथ, श्रीसुमन साहित्य सौरभ, कविवर जीवन झा रचनावली, मैथिली अकादमी कविता संग्रह, विद्यापतिके देश में(हिदी) का सह संपादन कर चुके हैं। पंडित चंद्रनाथ मिश्र ने मुहावरा ओ लोकोक्ति, प्रतिनिधि एकांकी, स्वातन्त्रय स्वर, कथा किसलय का संकलन किया है।

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    1964 में मैथिली फिल्म कन्यादन में भाषा निर्देशक और पात्र लाल कका की भूमिका निभाई :

    1964 में आई मैथिली फिल्म कन्यादान का भाषा निर्देशन और पात्र लालकका की भूमिका साहित्यकार पंडित मिश्र ने निभाई थी। साहित्य अकादमी में भाषा परामर्श मंडल के सदस्य डॉ. अमलेंदु शेखर पाठक ने कहा कि साहित्यकार पंडित चंद्रनाथ मिश्र ने नाट्य पुस्तक समाधान और खजबा टोपी पुस्तक लिखी है। वे स्वयं में एक संस्था थे। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया। मैथिली जगत ने अपना अभिभावक खो दिया है।

    कई संस्थानों में दिया उत्कृष्ट योगदान

    संस्थापक सचिव, नवरत्न गोष्ठी दरभंगा वर्ष 1943

    महासचिव, अखिल भारतीय मैथिली साहित्य परिषद वर्ष 1957।

    फणी मजुमदार द्वारा निर्देशित पहली मैथिली फिल्म कन्यादान में भाषा निर्देशक और अभिनेता वर्ष 1964।

    सदस्य, सीनेट, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा वर्ष 1982।

    मैथिली पत्रकारिताक इतिहास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार वर्ष 1983।

    सदस्य, मैथिली भाषा सलाहकार बोर्ड, साहित्य अकादमी नई दिल्ली वर्ष 1983।

    सदस्य, कार्यकारी समिति, मैथिली अकादमी पटना वर्ष 1988

    सदस्य, कार्यक्रम सलाहकार समिति, ऑल इंडिया रेडियो दरभंगा वर्ष 1993।

    साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार परशुरामक बीछल बेरायल कथा के लिए वर्ष 1998।

    वाचा, मैथिली सलाहकार बोर्ड साहित्य अकादमी नई दिल्ली वर्ष 2003।

    साहित्य अकादमी फैलोशिप वर्ष 2010 में रहे।

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    समाजसेवी संस्था समेत साहित्य जगत के बुद्धिजीवियों में शोक

    मैथिली के वयोवृद्ध साहित्यकार एवं विद्यापति सेवा संस्थान के आजीवन अध्यक्ष पं. चन्द्रनाथ मिश्र अमर के निधन पर संस्थान से जुड़े लोगों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। अपने शोक संदेश में संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके निधन को मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए कहा कि वे मैथिली के प्रबुद्ध साहित्यकारों में से एक थे, जिन्होंने उत्कृष्ट लेखन के जरिए मैथिली के साहित्याकाश को आजीवन नई ऊंचाई प्रदान की।

    मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं. कमलाकांत झा ने कहा कि अपनी अमर कृतियों में वे सदा अमर रहेंगे। विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बुचरू पासवान ने कहा कि उनका निधन मैथिली साहित्य के एक युग के अवसान सरीखा है। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि वे न सिर्फ मैथिली में विभिन्न विधा के सर्जक थे, बल्कि उत्कृष्ट कोटि के इतिहासकार और पत्रकार के रूप में भी खासे प्रसिद्ध थे। प्रो. जीवकांत मिश्र ने कहा कि मैथिली के कालजयी रचनाकार के रूप में वे अपनी रचनाओं में हमेशा जीवंत बने रहेंगे।

    वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भीमनाथ झा ने कहा कि पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर ने आजीवन अपनी लेखनी से मैथिली साहित्य का बहुआयामी विकास किया। डॉ. महेन्द्र नारायण राम ने कहा कि मैथिली के वे अकेले ऐसे साहित्यकार थे जिनकी रचनाओं में गुदगुदी के साथ गंभीर चितन का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।

    मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि साहित्य अकादमी एवं कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित पं. मिश्र एक कुशल शिक्षक होने के साथ-साथ मैथिली साहित्य के ऐसे अनमोल हस्ताक्षर थे, जिन्होंने मैथिली साहित्य को एक नई दिशा देने के साथ ही सामाजिक उत्थान के प्रति आजीवन समर्पित रहे। शोक व्यक्त करने वालों में

    लनामिवि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अशोक कुमार मेहता, एमएलएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विद्या नाथ झा, सीएम साइंस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रेम कुमार प्रसाद, सीएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विश्वनाथ झा, एमएमटीएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. उदय कांत मिश्र, स्नातकोत्तर मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ. प्रिती झा, डॉ. रमण झा, डॉ. नारायण झा, डॉ. रमेश झा, डॉ. सत्येंद्र कुमार झा, महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा, डॉ. गणेश कांत झा, प्रो. चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, विनोद कुमार झा, चंद्र मोहन झा पड़वा, प्रो. विजयकांत झा, आशीष कुमार, चंदन सिंह, नवल किशोर झा, डॉ सुषमा झा, दीपक कुमार झा, केदारनाथ कुमर, दुर्गानंद झा, महानंद ठाकुर आदि शामिल हैं। इधर आनंद संस्था द्वारा शोकसभा आयोजित किया गया। शोक सभा की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में मैथिली के प्रतिनिधि डॉ. अशोक अविचल ने किया। कहा कि आज सुमन, यात्री और अमर साहित्यकार त्रय का अंतिम स्तंभ ढ़ह गया। शोक सभा में संस्था के सचिव डॉ. दिलीप कुमार झा, पूर्व प्रतिनिधि साहित्य अकादमी डॉ. वीणा ठाकुर, डॉ. बुचरू पासवान, डॉ. महेन्द्र नारायण राम, फूलचन्द्र झा 'प्रवीण', हीरेन्द्र कुमार झा, डॉ. रमाशंकर झा, अशोक सिंह आदि शामिल थे।

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    मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति : विधायक

    केवट, संस : मैथिली साहित्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार पं. चंद्रनाथ मिश्र अमर के निधन पर केवटी के विधायक डॉ. मुरारी मोहन झा ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। साथ ही दिवंगत आत्मा की शांति देने एवं स्वजनों को धैर्यपूर्वक दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना ईश्वर से की है। कहा कि साहित्यकार के निधन से मैथिली साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है।