कृष्ण दर्शन से पैदा होगी सामाजिक न्याय की चेतना
भगवान श्री कृष्ण के जीवन दर्शन से सामाजिक न्याय की चेतना पैदा होगी। मानवता का जो पक्ष रखता है वहीं सामाजिक न्याय है। उक्त बातें गुरुवार को डीएमसी के ऑडिटोरियम में श्री कृष्ण चेतना मंच के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार डा. उर्मिलेश ने कहीं।
दरभंगा। भगवान श्री कृष्ण के जीवन दर्शन से सामाजिक न्याय की चेतना पैदा होगी। मानवता का जो पक्ष रखता है वहीं सामाजिक न्याय है। उक्त बातें गुरुवार को डीएमसी के ऑडिटोरियम में श्री कृष्ण चेतना मंच के तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार डा. उर्मिलेश ने कहीं। उन्होंने कहा कि हम लोगों को कृष्ण जी का एक ही रूप बताया गया है। जबकि उनके त्याग, बलिदान एवं संघर्ष को हम लोगों ने नजर अंदाज कर दिया है। श्री कृष्ण हमेशा कर्म में विश्वास रखते थे। हम अगर अपने आप को सच्चा यदुवंशी कहलाना चाहते हैं तो उनके कर्मों का पूरी ²ढ़ता के साथ करें। द्वेष, घृणा पक्षपात से लोगों को अपना मन साफ रखना होगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य और मनुष्य में भेद करने वालों के रहते सामाजिक न्याय नहीं मिल सकता है। जाति उन्मूलन ही सामाजिक न्याय की पहली सीढ़ी है। डॉ. राम आशीष ¨सह ने कहा कि सामाजिक न्याय राजनीतिक जुमला बनकर रह गया है। जाति, धर्म व वर्ग से उपर उठने पर मनुष्यता दिखाई पड़ती है। सामाजिक न्याय की व्यवस्था बनाने के लिए पहले अत्याचार एवं सवर्ण, शुद्र, दलित, अल्पसंख्यक की मानसिकता को त्यागना होगा। न्याय एवं अन्याय में अंतर पैदा करना होगा। अपने उपर या दूसरे पर होनेवाले अन्याय को समझना होगा। यह तभी संभव है जब समाज शिक्षित होगा। अन्याय अनेक प्रकार से हो सकते हैं। यह बताते हुए श्री ¨सह ने कहा कि अत्याचार ही केवल अन्याय नही है। दूसरे की हकमारी, शिक्षा से वंचित रखना, ऊंच नीच का भेद करना भी सामाजिक न्याय के विपरीत है। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, अन्धविश्वास, भ्रम एंव अशिक्षा को सामाजिक न्याय का मुख्य अवरोधक बताया। डॉ. अजीत कुमार चौधरी ने सामाजिक न्याय पाने के लिए सत्ता काम करनेवालों को देने कहा। उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए पिछड़े व दलितों के आरक्षण का समर्थन करते हुए कौशल विकास व गुणवत्ता को बढ़ाने की बात कही। डीएमसी के प्राचार्य डा. आरके सिन्हा ने उदघाटन भाषण में कहा कि न्याय पाने के लिए सही तरीके से मेहनत व ईमानदारी के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। जिला परिषद अध्यक्ष गीता देवी, रेणु देवी, भन्ते बुद्ध प्रकाश, प्रो. दयानिधि राय, राम विलास यादव, अर्जुन यादव, डॉ. पूरन यादव, शिव शंकर राय, सतीश कुमार, जय कृष्ण यादव, मोहन यादव, कृष्ण कुमार, ¨पटू कुमार, महेंद्र यादव, राजेंद्र यादव आदि ने भी संबोधित किया। अध्यक्षीय संबोधन में मिथिला स्नातकोत्तर संस्कृत शोध संस्थान के निदेशक डा. देव नारायण यादव ने कहा कि पूरे विश्व में एक मात्र पुरूष श्री कृष्ण थे। उनका बचपन, उनका प्रेम, उनका युद्ध कौशल तथा ज्ञान सब कुछ हमारे लिए मार्गदर्शन हैं। गीता से ज्ञान लेना चाहिए। तभी हमें कृष्ण जन्म अष्टमी मनाने का अधिकार होगा। स्वागत, संचालन राम बुझावन यादव रमाकर और धन्यवाद ज्ञापन और धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक नेता शंभू यादव ने किया।
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