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मिथिला के मखान की ब्रांडिग बिहार के नाम से किए जाने की साजिश पर जताई आपत्ति

दरभंगा। मिथिला के मखान की ब्रांडिग को लेकर राजनीति शुरू किए जाने पर विद्यापति सेवा संस्थान ने

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Aug 2020 01:08 AM (IST)Updated: Thu, 20 Aug 2020 06:19 AM (IST)
मिथिला के मखान की ब्रांडिग बिहार के नाम से किए जाने की साजिश पर जताई आपत्ति
मिथिला के मखान की ब्रांडिग बिहार के नाम से किए जाने की साजिश पर जताई आपत्ति

दरभंगा। मिथिला के मखान की ब्रांडिग को लेकर राजनीति शुरू किए जाने पर विद्यापति सेवा संस्थान ने कड़ी आपत्ति जताई है। संस्थान के महासचिव डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने बुधवार को कहा कि मिथिला के मखान की ब्रांडिग बिहार के नाम से किए जाने कि बिहार सरकार साजिश रच रही है। यह सर्वथा अनुचित है। सरकार के इस मंसूबे को मिथिला की आठ करोड़ जनता कामयाब नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान के रूप में मखान का नाम जगजाहिर है- पग-पग पोखर माछ, मखान। मिथिला देश में मखान का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। लिहाजा, इसकी ब्रांडिग निश्चित रूप से मिथिला के मखान के रूप में होनी चाहिए न कि बिहार के मखान के रूप में। उन्होंने कहा कि मिथिला में मखान की खेती को युद्ध स्तर पर बढ़ावा देने के लिए इसकी ब्रांडिग मिथिला मखान के नाम से करते हुए इस उद्योग का विकास किया जाना चाहिए। ताकि, इससे होने वाली आय को न सिर्फ मिथिला क्षेत्र के विकास में लगाया जा सके। बल्कि, इससे मिथिला में रोजगार सृजन की संभावना भी मजबूत हो सकेगी। मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत ने केंद्रीय वित्त मंत्री की ओर से मखाना उत्पादकों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किए जाने का स्वागत करते कहा कि इससे मिथिला को काफी लाभ होगा। लेकिन, यदि इसकी ब्रांडिग बिहार मखाना के रूप में की गई तो इससे होने वाले लाभ की बंदरबाट शुरू होना अवश्यंभावी है। एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य व प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा कि मखाना मिथिलांचल में पाए जाने वाले दुर्लभ वनस्पतियों में से एक है। भारत में मखाना उत्पादन का 75 प्रतिशत भाग बिहार व उसमें से लगभग 50 प्रतिशत भाग मिथिला उत्पादन का केंद्र है। लेकिन, उचित संरक्षण के अभाव में इसका विकास नहीं हो रहा है। हालांकि, इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए दरभंगा में अनुसंधान केंद्र भी स्थापित है। लेकिन, फंडिग के अभाव में इसका सही फायदा मखान उत्पादकों को नहीं मिल पा रहा है। यदि जीआई टैग के तहत इसकी ब्रांडिग मिथिला मखान के नाम से होगी, तो इस क्षेत्र में मखान उत्पादन को काफी बढ़ावा मिल सकेगा। प्रवीण कुमार झा ने कहा कि मखाना का मिथिला के नाम से ब्रांडिग होने से मखाना विपणन की बेहतर सुविधा यहां के मखाना उत्पादकों को मिल सकेगी। मिथिला के मखाना को दुनिया के 100 में से 90 देशों के लोग बड़े चाव से खाते हैं। यही कारण है कि दुनिया के मखाना उत्पादन में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 85 से 90 फीसदी है। मखाना की ब्रांडिग होने से मखाना उद्योग में जान आना निश्चित है। लेकिन, इसके किसी भी राजनीति से परहेज करते हुए इसकी ब्रांडिग मिथिला के नाम से किया जाना निहायत जरूरी है। वरना इसके संरक्षण व संवर्धन के लिए मिलने वाले फंड की बंदरबांट शुरू हो जाएगी।

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