मछली पालन से जुड़े किसानों को खास समय में मिलेंगे 4500 रुपये प्रति माह, राहत-सह-बचत योजना के बारे में जानें सबकुछ
बिहार सरकार ने मछुआरों के लिए राहत-सह-बचत योजना शुरू की है जिसके तहत प्रतिबंधित महीनों में उन्हें 4500 रुपये की सहायता मिलेगी। दरभंगा में मछली का उत्पादन 86.56 हजार टन है। इस योजना का उद्देश्य गरीब मछुआरों को आर्थिक मदद पहुंचाना और मछली उत्पादन को बढ़ावा देना है। मछुआरे आधार कार्ड और बैंक पासबुक के साथ आवेदन कर सकते हैं।

जागरण संवाददाता, दरभंगा। मछली पालन से जुड़े किसानों की प्रगति के लिए सरकार लगातार कार्य योजनाएं तैयार कर रही है। इसी कड़ी में बिहार पशु व मत्स्य संसाधन विभाग ने मछली उत्पादन का आंकड़ा तैयार किया है। जिसके अंतर्गत दरभंगा में 86.56 हजार टन उत्पादन हुआ है।
वैसे तो मछली पालन किसानों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं। लेकिन अब इन मछुआरों के लिए बिहार सरकार ने मछुआरों के लिए 'राहत-सह-बचत' योजना शुरू की है। इस योजना के तहत मछुआरों को प्रतिबंधित महीनों में 4500 की सहायता दी जाएगी। मछुआरे आधार कार्ड, बैंक पासबुक के साथ आवेदन कर सकते हैं।
मछली उत्पादक महेश मुखिया, धर्मेंद्र सहनी, असेश्वर सहनी सहित अन्य किसानों ने बताया कि आखर, सावन और भादो के महीने में मछली उत्पादक किसानों का आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है। इन महीनों में प्रशासन की ओर से नदी में मछली मारने पर मनाही होती है।
इन तीन महीनों में किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए सरकार के द्वारा राहत-सह-बचत योजना शुरू की गई है। पिछले सालों से यह योजना चल रही है। योजना से किसानों को थोड़ी राहत मिली है। हालांकि किसानों को इस योजना की जानकारी नहीं होने की वजह से काफी किसान लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं।
जिले के मत्स्य पालन पदाधिकारी अनुपम कुमार ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य राज्य की नदियों में मत्स्य शिकार पर निर्भर गरीब एवं पिछड़े वर्ग के मछुआरों को प्रतिबंधित महीनों में आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
सरकार का मानना है कि इस योजना के सफल क्रियान्वयन से प्रतिबंधित अवधि में प्राकृतिक रूप से मछलियों का प्रजनन बढ़ेगा। जिससे नदियों में मत्स्य बीज का स्वतः संचयन होगा और उत्पादन में वृद्धि होगी। इससे मछुआरों को सतत आजीविका मिल सकेगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।
मछुआरे किसान भाई इस योजना का लाभ कैसे लें, इसको लेकर मत्स्य पालन अधिकारी अनुपम कुमार ने बताया कि किसान आधार कार्ड, बैंक पासबुक, इसके अलावा मछली मारते हैं इसका प्रूफ यानी मत्स्य पालन समिति का सदस्य रशीद, इसके अलावा पंचायत के जनप्रतिनिधियों की अनुशंसा के बाद इस योजना के लिए अप्लाई कर सकते हैं। किसान अपने सभी कागजात के साथ प्रखंड या जिला मत्स्य पालन कार्यालय में जाकर लाभ ले सकते हैं।
इस योजना का लाभ लेने के लिए मछुआरों को वार्षिक 1500 का अंशदान देना होगा। जिसके बाद राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों की ओर से 1500-1500 का अतिरिक्त योगदान किया जाएगा। इस प्रकार, अर्जित सूद सहित संचित राशि मछुआरों को मत्स्य शिकार प्रतिबंधित महीनों में उपलब्ध कराई जाएगी। इस योजना के तहत प्रत्येक पात्र मछुआरे को प्रतिबंधित अवधि में 4500 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
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