बनौली की सड़क व गलियों में श्रमदान का रंग भर रहे युवा
दरभंगा। जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के बनौली गांव की सड़क और गलियों में यहां के युवा श्रमदान ...और पढ़ें

दरभंगा। जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के बनौली गांव की सड़क और गलियों में यहां के युवा श्रमदान का सिदूर भर रहे हैं। इस काम में यहां के तीन दर्जन युवा लगे हैं। उद्देश्य गांव को स्वच्छ रखना और पर्यावरण को संरक्षित करना है। नियमित तौर पर गांव की सड़कों पर सफाई होती है। पौधारोपण कर उनका देखभाल हो रहा है। अबतक पांच सौ पौधे लगा चुके हैं। यह सबकुछ युवाओं की बनाई संस्था 'आदर्श युवा क्लब' के बूते हो रहा है। क्लब में दर्जनभर से ज्यादा सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। गांव से बाहर नौकरी करनेवाले साप्ताहिक छुट्टी में गांव में होते हैं। हाथ में झाड़ू, कुदाल लेकर काम में जुट जाते हैं। इस गांव की खास बात यह है कि यह खुले में शौच से मुक्त होने वाला राज्य का तीसरा और जिले का पहला गांव है। भविष्य में यह रिकार्ड गांव के नाम कायम रहे इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
-------------- गांव को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की कोशिश :
युवा अपनी मेहनत की बदौलत अपने गांव को स्वच्छता के बूते राष्ट्रीय पहचान दिलाने की कोशिश में लगे हैं। सरकारी नौकरी में जाने के बाद भी किसी के अंदर गंदगी उठाने और झाड़ू पकड़ने में कोई परेशानी नहीं होती है। कहते हैं सड़क और नाली की सफाई करना घर की सफाई करने के बराबर है। इसमें शर्म की बात नहीं। देश के लोग इस गांव को स्वच्छता और मदद को लेकर जाने, सिर्फ इसकी चिता है। क्लब के अध्यक्ष राहुल राय गैर सरकारी संस्थान में कार्यरत हैं। सचिव प्रवीण कुमार श्रीवास्तव शिक्षक हैं जबकि, कोषाध्यक्ष रामाकांत ठाकुर बैंककर्मी। इसके अतिरिक्त क्लब के सुजीत राय, आशीष राय, नंदन कामती, राकेश ठाकुर, सुधीर साह, मनोज भगत आदि मुहिम में जुटे हैं। -------
यहां सफाईकर्मी नहीं युवा करते काम
गांव ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा है। लेकिन, सफाई अभियान नगर निगम की तरह ही किया जाता है। अंतर सिर्फ इतना है कि सड़क और नाले की सफाई करने वाले सफाईकर्मी की जगह गांव के युवा है। युवा ने क्लब के माध्यम से सफाई के तमाम संसाधन खरीदे हैं जो निगम के पास हैं। मसलन, डस्टबीन, कुदाल, बेलचा, कांटा, सहयोग का ट्रैक्टर, हैंड ग्लब्स, सैनिटाइजर मशीन आदि सामान। सुबह में मॉर्निंग वाक की दौरान युवाओं की टोली गलियों में सीटी बजाती है। लोग घर से कचरा लेकर बाहर निकल जाते हैं। युवाओं की टोली हंसते-हंसते बोरी में कचरा जमाकर नियत स्थान पर जमा कर देते हैं। जहां से ट्रैक्टर और जेसीबी के माध्यम से कचरा का उठाव किया जाता है।
----------- गांव के व्यवसायी करते हैं मदद :
क्लब के सदस्यों का अपना बैंक खाता है। जिसमें सहयोग राशि जमा करते हैं और समय-समय पर निकासी कर खर्च करते हैं। लेकिन, युवाओं के काम को देख गांव के लोग भी आगे बढ़कर आर्थिक मदद करते हैं। कचरा उठाव करने दौरान कई ट्रैक्टर मालिक सहयोग करने के लिए खड़े रहते हैं। वहीं गांव में लगभग दो सौ छोटे-बड़े दुकान हैं। इसमें दर्जन से ऊपर व्यवसायी भी आर्थिक सहयोग करते हैं। यही कारण है कि जो युवा पढ़ाई में असफल हो जाते हैं उसे गांव में दुकान खोलकर रोजगार भी मुहैया कराते हैं। इसमें आस-पास के दुकानदारों की भी मदद होती है।
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गांव की होगी अपनी वेबसाइट गांव का अब अपना वेबसाइट होगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। इसमें लोगों की जमीन का आंकड़ा, जन्म तिथि, पूर्वजों का नाम, शिक्षा, रोजगार, गांव का भौगोलिक स्थिति, मोबाइल नंबर आदि की चर्चा होगी। जिसे गांक के लोग ऑनलाइन कहीं से भी देख सकते हैं और एक-दूसरे से संपर्क कर सकते हैं।
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गांव के बड़ों के साथ समय-समय पर होती है बैठक
गांव के सरपंच अयोधी भगत बताते हैं कि हमारे गांव के युवा गांव की सफाई-व्यवस्था से लेकर तमाम चीजों को लेकर काफी जागरूक हैं। समय-समय पर गांव के बड़े लोगों के साथ बैठक करते हैं। तमाम तथ्यों पर चर्चा होती है। उद्देश्य यह होता है कि गांव स्वच्छ रहे।

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