डीसीएच डिग्री कोर्स की मान्यता की जगी उम्मीद
मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया की एक सदस्यीय टीम ने सोमवार को डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग का निरीक्षण किया।
दरभंगा। मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया की एक सदस्यीय टीम ने सोमवार को डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान बर्द्धमान मेडिकल कॉलेज से आए डॉ. कतसब नायक ने ओपीडी के अलावा मरीजों के बारे में जानकारी ली। निरीक्षण के क्रम में उन्होंने मोबाइल इंकुडेटर, बोनक्रोस्कोप, इंडोस्कोपी मशीन, डायलसिस यूनिट के अलावा एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसरों के बाबत भी जानकारी ली। निरीक्षण के बाद टीम लौट गई। सूत्रों की मानें तो एमसीआई की टीम डीसीएच कोर्स को लेकर डीएमसीएच पहुंची थी। दरअसल पिछले 51 वर्षों से दरभंगा मेडिकल कॉलेज में डीसीएच डिग्री कोर्स की पढ़ाई हो रही है। लेकिन इस कोर्स की एमसीआई ने अभी तक मान्यता प्रदान नहीं की है। इस दौरान डीएमसीएच लगातार पढ़ाई कर रहे छात्रों को डीसीएच कोर्स की डिग्री देता आ रहा है। जबकि डीएमसीएच की ओर से इसे मान्यता दिलाए जाने की कोई भी प्रक्रिया इस दौरान नहीं की गई। दो वर्ष पूर्व स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार की ओर से इस कोर्स से संबंधित छात्रों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी। जब यहां से पासआउट छात्रों ने इसके लिए आवेदन किया तो उन्हें फॉर्म भरने से वंचित कर दिया गया। बताया गया कि इसे कोर्स को मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके बाद छात्र कोर्ट की शरण में गए। कोर्ट के आदेश के बाद पांच महीने पूर्व एमसीआई की टीम डीएमसीएच पहुंची थी। लेकिन निरीक्षण के क्रम में एसोसिएट प्रोफ्रेसर, असिस्टेंट प्रोफ्रेसर सहित मशीनों की कमी को देखते हुए इसे एमसीआई ने मान्यता नहीं दी। पुन: इसके बाद डीएमसीएच की ओर से निरीक्षण की मांग की गई। इसी क्रम में एमसीआई की टीम आई थी। ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि एमसीआई की टीम यहां की व्यवस्था से इस बार पूरी तरह संतुष्ट होकर गई है। अगर ऐसा हुआ तो उन सभी छात्रों की डिग्रियां वैद्य होंगी, जिन्होंने यहां से डीसीएच का डिग्री कोर्स किया है। मौके पर डीएमसी प्राचार्य डॉ. आरके सिन्हा, एचओडी केएन मिश्रा, डॉ. मृदुल कुमार शुक्ला, डॉ. अशोक कुमार सहित विभाग के चिकित्सक और कर्मी मौजूद थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।