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    Darbhanga News : जब सब कुछ आनलाइन, तो हाजिरी क्यों आफलाइन, किसे है बदलाव से परहेज?

    By Prince Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Thu, 27 Nov 2025 06:25 PM (IST)

    आनलाइन सेवाओं के बावजूद कर्मचारियों की हाजिरी आफलाइन होने से सवाल उठ रहे हैं। जब सब कुछ आनलाइन है, तो हाजिरी क्यों नहीं? यह पारदर्शिता और दक्षता में बाधा है। आफलाइन हाजिरी डिजिटलीकरण में बाधा, पारदर्शिता का अभाव और दक्षता में कमी लाती है। आनलाइन प्रणाली समय और संसाधनों की बचत करती है।   

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    इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।

    जागरण संवाददाता, दरभंगा । सरकारी विद्यालयों की तर्ज पर विश्वविद्यालय एवं कालेजों में भी मोबाइल एप के माध्यम से शिक्षक एवं कर्मचारियों की उपस्थिति अब तक दर्ज नहीं हो सकी है। छह माह पूर्व शिक्षा विभाग ने इसकी पहल शुरू की थी। व्यवस्था को पटना विश्वविद्यालय में लागू किया गया था।

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    ललित नारायण मिथिला और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में भी यह सुविधा बहाल होने वाली थी। सरकारी स्कूलों की दर्ज पर विश्वविद्यालय और कालेजों के शिक्षक व कर्मचारियों को भी अपने कार्य स्थल से पांच सौ मीटर के भीतर रहकर लाइव सेल्फी लेकर मोबाइल एप पर अपलोड करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन अबतक विश्वविद्यालय और कालेजों में बायोमीट्रिक मशीन से हाजिरी बनाने की परंपरा चल रही है।

    इसमें गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर विभाग व्यवस्था में बदलाव के मूड में था। तत्कालीन शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस सिद्धार्थ ने पटना विश्वविद्यालय में यह सुविधा बहाल करने की बात कही थी। इसके बाद बिहार के सभी विश्वविद्यालय में इस व्यवस्था को लागू करने की योजना थी।

    इतना ही नहीं विश्वविद्यालय व कालेजों में नामांकित छात्र-छात्राओं की हाजिरी भी आनलाइन करने पर सहमति बनी थी। इसके लिए टैब की व्यवस्था करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन वर्तमान में विश्वविद्यालय से लेकर कालेजों तक बायोमीट्रिक की स्थिति चिंताजनक है। ससमय ना तो वर्गों में शिक्षक मिलते हैं और ना ही छात्र।

    मौजूदा व्यवस्था में नहीं बन रही शतप्रतिशत हाजिरी
    ललित नारायण मिथिला और कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के विभागों और कार्यालयों के साथ काालेजों में बायोमीट्रिक मशीन से शत प्रतिशत हाजिरी नहीं बन रही है। इस कारण विश्वविद्यालय के कई शिक्षक और कर्मचारी विभाग और कार्यालय मनमानी तरीके से आते-जाते हैं। बता दें कि दोनों विश्वविद्यालय के विभागों और इसके अधीन अधिकांश कालेजों में कोरोना काल से ही बायोमेट्रिक मशीन खराब चल रही है। अब भी कई विभागों और अंगीभूत कालेजों से मैन्युअल हाजिरी भेजी जा रही है। जबकि हर हाल में बायोमेट्रिक मशीन से हाजिरी भेजने की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है। जिन विभाग और कालेजों में बायोमीट्रिक मशीन नहीं है या खराब चल रही है। वहां मशीन लगाने एवं खराब मशीन को दुरुस्त कराने का निर्देश जारी है। इसके बाद भी कुछ विभाग और कालेज प्रशासन की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

    बायोमेट्रिक मशीन खराब करने की भी मंशा हो रही उजागर

    कालेजों से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षक-कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए लगीं बायोमैट्रिक मशीनें भी कारगर नहीं हो पा रहीं। सरकार ने ये व्यवस्था लागू कर बंक मारने वालों को घेरने की तरकीब भले ही अपनाई, लेकिन लोगों ने इसका भी काट निकाल लिया है। कई कालेजों एवं विभागों में वर्षों से बायोमेट्रिक मशीनें खराब हैं।

    सूत्रों की मानें तो ऐसे कुछ कालेज व स्नातकोत्तर विभाग हैं, जहां जानबूझकर बायोमेट्रिक मशीन खराब कर दिया गया है। मशीन को ठीक कराने के लिए संबंधित मेंटेनेंस कंपनी को भी नहीं बुलाया जाता है। नियम के मुताबिक शिक्षकों की प्रत्येक कार्य दिवस में कम से कम पांच घंटे तथा प्रत्येक सप्ताह न्यूनतम 40 घंटे की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई है। अब नई व्यवस्था लागू होने से सुधार की उम्मीद जगी है।