Darbhanga : आखिर कनीय अभियंता की आय से अधिक संपत्ति का राज क्या है? खुलने लगी करतूत की परतें
Bihar Latest news : दरभंगा में कनीय अभियंता अंसारूल हक की आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आया है। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की जांच में पता चला कि उन्ह ...और पढ़ें

इसमें प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
संवाद सहयोगी, गौड़ाबौराम (दरभंगा)। आय से अधिक संपत्ति के मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के निशाने पर आए अभियंत्रण संगठन डिविजन वन के कनीय अभियंता अंसारूल हक की करतूत परत दर परत खुलने लगी है।
हैरानी की बात यह है कि अभियंत्रण संगठन में कार्यरत रहते हुए भी वे नियमों को ताक पर रखकर दो प्रखंडों में मनरेगा योजनाओं का तकनीकी दायित्व संभाल रहे थे। यह मामला सिर्फ आय से अधिक संपत्ति तक सीमित नहीं, बल्कि जमीन पर योजनाओं के नाम पर सरकारी पैसे की खुली लूट की कहानी बयां करती है।
गौड़ा बौराम प्रखंड के नारी पंचायत से जुड़ी शिकायत पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मनरेगा) और कार्यपालक अभियंता, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण ने संयुक्त रूप से जांच की थी। इसे लेकर 27 जनवरी 2021 को उप विकास आयुक्त को रिपोर्ट सौंपी थी।
इसमें मुखिया, मुखिया प्रतिनिधि, पंचायत रोजगार सेवक, पंचायत तकनीकी सहायक, कार्यक्रम पदाधिकारी, पंचायत समिति सदस्य की मौजूदगी में पांच योजनाओं की हुई जांच में घोर अनियमितता की पुष्टि हुई। वार्ड संख्या आठ में वर्ष 2018–19 के दौरान पक्का नाला निर्माण से जुड़ी पांच योजनाएं चलाई गईं, जिनकी अनुमानित लागत लगभग 24 लाख रुपये थी।
इन सभी योजनाओं की तकनीकी स्वीकृति कनीय अभियंता अंसारूल हक ने दी थी । जिसकी मापी पुस्तिका में स्लैब की मोटाई वास्तविक कार्य से अधिक दर्शाई गई। निर्माण कार्य की गुणवत्ता अत्यंत निम्न स्तर की पाई गई। लोकल बालू से स्लैब ढलाई किए जाने के स्पष्ट संकेत मिले। नाला निर्माण में स्लोप मेंटेन नहीं किया गया, जिससे जल निकासी पूरी तरह बाधित पाया गया। जिस उद्देश्य से नाले बने, वही उद्देश्य विफल हो गया।
कई जगह प्राक्कलन स्थल के अनुरूप नहीं बनाया गया। सामग्री ढुलाई में निर्धारित दर से अधिक दर दर्शाई गई। किसी भी योजना स्थल पर सूचना पट्ट नहीं पाया गया। नाला निर्माण की योजनाएं कागजों में “पूर्ण” लेकिन ज़मीन पर अनुपयोगी साबित हुईं। जांच रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया कि जल निकासी न होने के कारण योजनाएं व्यर्थ हो गईं और इससे सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ है। मनरेगा अधिनियम का खुला उल्लंघन सामने आया है।
इसी आधार पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा ने अपनी रिपोर्ट में कुल भुगतान राशि 23 लाख 66 हजार 470 रुपये की शत प्रतिशत वसूली करने की बात कही थी। इसमें कनीय अभियंता अंसारूल हक (मनरेगा) के साथ-साथ मुखिया, पंचायत रोजगार सेवक, पंचायत तकनीकी सहायक, कार्यक्रम पदाधिकारी और लेखपाल से समान रूप से राशि वसूली की अनुशंसा की थी। लेकिन, अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह मामला सिर्फ एक पंचायत या एक अभियंता का नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।

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