Darbhanga : प्राचीन नरगौना भवन आज भी आधुनिक निर्माण को दे रहा टक्कर
Bihar Latest News : दरभंगा शहर अपनी संस्कृति और बौद्धिक जागरूकता के लिए जाना जाता है। यहां नरगौना महल, श्यामा काली मंदिर जैसे कई ऐतिहासिक स्थल हैं। 18 ...और पढ़ें

राज परिसर स्थित नरगौना महल। जागरण
जागरण संवाददाता, दरभंगा । दरभंगा शहर अपनी समृद्ध संस्कृति और बौद्धिक जागरूकता के लिए जाना जाता रहा है। दो-दो विश्वविद्यालय वाले इस शहर में दर्जनों ऐतिहासिक मंदिर, मस्जिद,चर्च और गुरुद्वारे सर्वधर्म सद्भाव की गवाही देते रहे हैं। जगह-जगह मिथिला पेंटिंग करती महिलाओं के मुख से निकले मधुर पारिवारिक गीत की गूंज शहर को अद्भुत रूप देती रही है।
राज परिसर स्थित नरगौना महल निर्माण की आधुनिक कला का वह गवाह है। जिसका उदाहरण शहर में नहीं मिलता। शहर में नागरिक सुविधाओं के सुचारू संचालन के लिए 1864 में नगर पालिका कि स्थापना की गई। तब यहां कि आबादी 1.5 लाख थी।
आज यह बढ़कर 50 लाख तक पहुंच गई है। इतनी बड़ी आबादी की कल्पना कर सरकार ने पहले ही नगर पालिका को उत्क्रमित कर 23 अगस्त 1982 को नगर निगम का दर्जा दे दिया था। जिससे कि शहर वासियों को पर्याप्त नागरिक सुविधाएं मिलने में सहूलियत हो। साफ-सफाई बेहतर ढ़ग से हो सकें। जल निकासी के लिए नालों का उचित प्रबंधन हो।
बढ़ती आबादी की समस्याओं से निपटने के लिए वृहत मास्टर प्लान की चुनौतियों पर काम किया जा सकें। यह शहर कभी दरभंगा राज की राजधानी था और उनके शासनकाल में विकसित हुआ। जिससे शहर को एक शाही और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में पहचान मिली। यह शहर 23.18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
दरभंगा के प्रमुख स्थलों में ऐतिहासिक नरगौना महल, शांत और खूबसूरत श्यामा काली मंदिर, सांस्कृतिक धरोहरों वाला चंद्रधारी संग्रहालय और महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, शामिल हैं, जो मिथिला की समृद्ध संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं। श्यामा काली मंदिर देवी काली को समर्पित एक महत्वपूर्ण और पवित्र मंदिर है। जो अपनी आध्यात्मिक शांति के लिए जाना जाता है।
दरभंगा किला दरभंगा के गौरव और समृद्ध इतिहास को दर्शाता हुआ एक ऐतिहासिक किला है। यह राम बाग के नाम से भी जाना जाता हैं। चंद्रधारी संग्रहालय मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और कलाकृतियों का खजाना है। जिसमें हाथी दांत से बनी दुर्लभ मूर्तियां भी हैं। महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय यह संग्रहालय दरभंगा के शाही परिवार के इतिहास और कला प्रेम को प्रदर्शित करता है।
मकदूम बाबा की मजार एक सूफी संत की दरगाह है। जिसे हिंदू और मुसलमान दोनों मानते हैं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय शिक्षा और संस्कृति का केंद्र। हरिहरनाथ मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जहां लोग मथा टेक कर भाव विभोर हो जाते है। गंगासागर तालाब शहर के बीचोंबीच एक शांत और सुंदर स्थान है। जिसके किनारे बैठकर लोगों को शांति मिलती है।
द्वार बंग से बना दरभंगा
दरभंगा को "द्वार बंग" और दर-ए-बंग भी कहा जाता था। इसका मतलब 'बंगाल का दरवाजा' होता है, क्योंकि यह मिथिला क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार होता था। यह शहर तालाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता था। लेकिन विकास की दोर में कहीं ऐसा न हो कि लोग बूंद-बूंद पानी के लिए भी तरसे।
दरभंगा शहर को चमकाने के लिए जरूरी है कि उसमें पर्यावरण और मानवीय मूल्यों का ध्यान रखते हुए समृद्ध विरासत से किसी प्रकार की छेड छाड न होने पाए। तालाब बचाओ अभियान कि सलाह को मानकर अगर विकास के मानक निर्धारित किए जाए तो दरभंंगा शहर ने केवल चमकेगा बल्कि सुंदरता के नए आयाम भी गढ़ेगा। शहर को सुंदर बनाने में जन भागीदारी भी बढ़ेगी।
प्रो.विद्यानाथ झा, पर्यावरणविद।

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