Darbhanga : भारत का भविष्य केवल डिग्रियों से नहीं, जिम्मेदार युवा सोच से बनेगा
Bihar Latest News : दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र में छात्रों के लिए एक दिवसीय शैक्षणिक-औद्योगिक भ्रमण का आयोजन किया गया। डा. मनोज कुमार ...और पढ़ें

शैक्षणिक-औद्योगिक भ्रमण के बाद वैज्ञानिकों के साथ छात्र-छात्राएं। जागरण
जागरण संवाददाता, दरभंगा। राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र में शनिवार को डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के 60 स्नातक छात्र-छात्राओं के लिए एक दिवसीय शैक्षणिक-औद्योगिक भ्रमण एवं प्रेरक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
इस दल में बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों के विद्यार्थी शामिल हुए। इस अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक वक्ता डा. मनोज कुमार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का भविष्य केवल डिग्रियों से नहीं, बल्कि दृष्टि, अनुशासन और जिम्मेदार युवा सोच से बनेगा।
उन्होंने कहा कि आज के छात्र किसी एक राज्य या क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे भारत की सामूहिक शक्ति और संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। कहा कि संसाधनों की कमी असफलता का कारण नहीं होती, असफलता तब आती है जब संकल्प कमजोर पड़ जाता है।
आत्मविश्वास, सतत प्रयास और समय का विवेकपूर्ण उपयोग किसी भी सामान्य विद्यार्थी को असाधारण उपलब्धियों तक पहुंचा सकता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जल संकट, शिक्षा की गुणवत्ता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अभाव, सांस्कृतिक क्षरण तथा खेल, साहित्य और संगीत जैसे क्षेत्रों में निहित संभावनाओं के समुचित उपयोग से जुड़ी ज्वलंत चुनौतियों के समाधान में सक्रिय भागीदारी निभाएं।
उन्होंने युवाओं से नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि उद्यमिता और नवाचार के माध्यम से रोजगार सृजक बनने का भी आह्वान किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रधान वैज्ञानिक डा. आईएस. सिंह ने विद्यार्थियों को मखाना उत्पादन एवं प्रसंस्करण में निहित आर्थिक संभावनाओं की जानकारी दी।
उन्होंने आधुनिक प्रसंस्करण यंत्रों का प्रदर्शन करते हुए मशीनों की कार्य-पद्धति समझाई तथा प्रक्षेत्र भ्रमण भी कराया। कहा कि वैज्ञानिक तकनीक, स्थानीय संसाधन और युवा सहभागिता के समन्वय से कृषि-आधारित उद्योगों में आत्मनिर्भरता और सतत विकास को नई दिशा मिलेगी। कार्यक्रम का संयोजन आरपीसीएयू के प्राध्यापक डा. संजय कुमार एवं डा. के. प्रसाद कर रहे थे।

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