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    दरभंगा में आय से अधिक संपत्ति का मामला, निगरानी ब्यूरो के रडार पर कनीय अभियंता अंसारूल हक

    By Rahul Kumar Gupta Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sat, 20 Dec 2025 07:12 PM (IST)

    दरभंगा में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के रडार पर आए कनीय अभियंता अंसारूल हक पर आय से अधिक संपत्ति का मामला है और पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। प ...और पढ़ें

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    MNREGA Scam Bihar- अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है। फाइल फोटो

    संवाद सहयोगी,गौड़ा बौराम (दरभंगा)। Bihar News : आय से अधिक संपत्ति के एक गंभीर मामले में अभियंत्रण संगठन डिविजन-वन में पदस्थापित कनीय अभियंता अंसारूल हक एक बार फिर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के रडार पर आ गए हैं।

    सूत्रों के अनुसार, अंसारूल हक पर इससे पहले भी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लग चुके हैं, लेकिन कथित प्रभावशाली पहुंच के कारण अब तक उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है।

    प्रशासनिक अभिलेख बताते हैं कि दरभंगा के तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने 12 मार्च 2022 को उप विकास आयुक्त को पत्र भेजकर लोकायुक्त कार्यालय, बिहार से प्राप्त एक परिवाद की जांच कराने का निर्देश दिया था।

    यह मामला लोक परिवाद संख्या 26/2020 से जुड़ा है, जिसमें गौड़ा बौराम प्रखंड अंतर्गत वर्ष 2016 से 2020 के बीच संचालित मनरेगा योजनाओं में कथित अनियमितताओं का उल्लेख है।

    परिवाद में आरोप लगाया गया है कि कनीय अभियंता (मनरेगा) अंसारूल हक द्वारा योजनाओं की मापी पुस्तिका में गड़बड़ी की गई। साथ ही आसी पंचायत के मुखिया शिवशंकर मिश्र और पंचायत सेवक रविंद्र झा पर भी योजनाओं के क्रियान्वयन में अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं।

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    लोकायुक्त कार्यालय के निर्देश पर इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल 2022 को निर्धारित की गई थी। इससे पहले जिला प्रशासन से संबंधित दस्तावेजों और जांच प्रतिवेदन की मांग की गई थी, ताकि लोकायुक्त कार्यालय को समय पर अनुपालन रिपोर्ट सौंपी जा सके।

    बताया जाता है कि इस प्रकरण को लेकर आवेदक राजकुमार झा ने 12 जुलाई 2019 को जिला लोक शिकायत निवारण प्रणाली में भी शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद लोकायुक्त कार्यालय द्वारा कई बार रिपोर्ट तलब की गई, लेकिन मामला अब तक आदेश अन्वेषणाधीन ही बना हुआ है।

    लंबे समय से कार्रवाई लंबित रहने पर अब सवाल उठने लगे हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय क्यों नहीं हो पा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मामले में निष्पक्ष और समयबद्ध जांच होती है तो इससे न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, बल्कि मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।