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    Darbhanga News: प्लास्टिक कचरे से पटा दरभंगा शहर,जाम हो रही नालियां; मुसीबत में जनता

    Updated: Sat, 18 May 2024 03:55 PM (IST)

    Darbhanga News शहर के चौक-चौराहे प्लास्टिक कचरे के बोझ तले दबे दिखते हैं। प्रतिबंधित पालिथीन खाली पानी बोतल मेडिकल वेस्ट चहुंओर बिखरे रहते हैं। इससे शहर के नाले और नालियां जाम रहते हैं। यह नगर निगम के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है। नगर निगम रोजाना करीब डेढ़ सौ टन कचरे का उठाव करता है। जिसमें प्लास्टिक कचरे की मात्रा करीब दो-ढ़ाई टन रहती है।

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    प्लास्टिक कचरे से पटा दरभंगा शहर (जागरण)

    राजकुमार गणेशन, दरभंगा। Darbhanga News: शहर के चौक-चौराहे प्लास्टिक कचरे के बोझ तले दबे दिखते हैं। प्रतिबंधित पालिथीन, खाली पानी बोतल, मेडिकल वेस्ट चहुंओर बिखरे रहते हैं। इससे शहर के नाले और नालियां जाम रहते हैं। यह नगर निगम के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है।

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    नगर निगम रोजाना करीब डेढ़ सौ टन कचरे का उठाव करता है। जिसमें प्लास्टिक कचरे की मात्रा करीब दो-ढ़ाई टन रहती है। इसके अलावा शहर में कचरा बीनने वालों के द्वारा भी हजारों टन प्लास्टिक कचरे का रोजाना उठाव किया जाता है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि इससे शहर में प्रदूषण बढ़ रहा है। प्लास्टिक कचरे की बढ़ती मात्रा से पानी,दूध और लोगों के शरीर में माइक्रो प्लास्टिक के कण पहुंचने की संभावना बढ़ रही है। शहर के विभिन्न हिस्सों में 17 कबाड़खाने खुले हैं।

    जहां रोजाना हजारों टन प्लास्टिक कचरे की खरीद-बिक्री हो रही है। लहेरियासराय के कबाड़ी व्यवसायी मो.रहमतुल्लाह बताते हैं कि हमारे यहां रोजाना कचरा बीनने वाले करीब 40 लोग एक-दो टन प्लास्टिक कचरा बेचते हैं। इसमें सर्वाधिक प्लास्टिक बोतल होते हैं। इसके साथ मेडिकल उपकरण और दवाइयों की बोतल भी लाते हैं।

     नाले में पानी के बहाव को रोकता प्लास्टिक कचरा 

    दरभंगा नगर निगम क्षेत्र में अक्सर नाले जाम हो जाते हैं। पानी बाहर निकलकर सड़क पर बहने लगता है। निगम कर्मी इसका मुख्य कारण प्लास्टिक कचरे को बताते हैं। इस समस्या की चपेट में निगम के सभी 37 मुख्य नालों के साथ मुहल्लों की नालियां भी हैं। बता दें कि प्लास्टिक कचरा जहां एक तरफ प्रदूषण का सबब बना हुआ है।बता दें कि दरभंगा शहर का बेंता, अल्लपट्टी जैसे हिस्से मेडिकल हब के तौर पर जाना जाता है। इस क्षेत्र में मिलने वाले प्लास्टिक कचरे में मेडिकल वेस्टेज शामिल रहते हैं।

    जिससे लोगों के संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है। वैसे सड़क पर मेडिकल वेस्टेज फेंकने के कारण पूर्व में कई निजी अस्पतालों के विरुद्ध निगम के द्वारा कार्रवाई भी हुई थी। फिर इसका कोई प्रभाव नहीं दिखता है। निजी अस्पताल के कर्मी सामान्य कचरे के साथ सिरींच, यूरिन-ब्लड बैंग,दवाई-स्लाइन बोतल आदि सड़क पर फेंकने के अलावा नालियों में भी बहा देते हैं।

     सेहत के लिए हानिकारक प्लास्टिक कचरा 

    पर्यावरणविद डा. विद्यानाथ झा बताते हैं कि पालिथीन का प्रयोग तुरंत रुकना चाहिए। यह सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इससे बेजुबान पशुओं के साथ इंसान भी प्रभावित हो रहा है। शहर की शहरों पर आवारा भटकने वाले पशु प्लास्टिक कचरे को निकल जाते हैं। लोगों चाहिए कि पालिथीन में खाने-पीने का सामान रखकर सड़क-नालियों में नहीं फेकें।

    उन्होंने बताया कि प्लास्टिक में बंद पानी-दूध,बिस्कुट, चाकलेट आदि का उपयोग करने से प्लास्टिक मानव शरीर में भी पहुंच चुका है। प्लास्टिक के सूक्ष्म कण मां के माध्यम से गर्भस्थ शिशु के शरीर में जाने का खतरा बना हुआ रहता है।

    वहीं दरभंगा नगर निगम के सिटी मैनेजर  रवि अमरनाथ ने कहा कि नालियों में प्लास्टिक कचरा लोगों को नहीं फेंकना चाहिए। इससे नाली जाम हो जाती है। सफाई कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि प्लास्टिक कचरा फेंकने वालों को चिह्नित करें। जो नाली में कचरा फेंकते पकड़े जाएंगे उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।