दरभंगा एयरपोर्ट पर काम करने लगा इंस्टूमेंट लाइटिंग सिस्टम, विमानों को रनवे पर आसानी से उतार पाएंगे पायलट
दरभंगा एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लाइटिंग सिस्टम शुरू होने से विमानों की लैंडिंग अब और भी सुरक्षित होगी। दृश्यता में सुधार होने से पायलटों को विमान उतारने में आसानी होगी। कोहरे के कारण उड़ानें रद्द होने की समस्या से भी राहत मिलेगी जिससे यात्रियों को सुविधा होगी। एयरपोर्ट पर कैट टू लाइट लगाने का कार्य भी प्रगति पर है जिससे विमानों की सुरक्षित लैंडिंग की क्षमता और बढ़ेगी।

संवाद सहयोगी, दरभंगा। लंबे इंतजार के बाद दरभंगा एयरपोर्ट (Darbhanga Airport) पर आधुनिक संरचना व तकनीक से तैयार इंस्टूमेंट लाइटिंग सिस्टम काम करने लगा है। अब विमानों को रनवे पर लैंड करने और उड़ान भरने में अधिक सहूलियत होगी। टेस्टिंग सफल होने के बाद एयरपोर्ट पर इस्टूमेंट लाइटिंग सिस्टम (आईएलएस) को चालू कर दिया गया है।
इस आधुनिक तकनीक के माध्यम से विमानों का लैंडिंग तथा उड़ान भरना अधिक सुरक्षित हो जाएगा। रनवे पर दृश्यता 13 से 14 मीटर की जगह साढ़े 10 से 11 सौ के बीच चली आई है। इस स्थिति में पायलट विमानों को रनवे पर आसानी से उतार पाएंगे। इंस्टूमेंट लाइटिंग सिस्टम से मिलने वाली सिग्नल के आधार पर विमानों को रनवे पर सही और सुरक्षित स्थान पर उतारने में सुविधा होती है।
आईएलएस की मदद से विमानों को रनवे पर कम दृश्यता की स्थिति में भी सुरक्षित उतारा जा सकता है। अब तक दरभंगा एयरपोर्ट पर ठंड के मौसम में घना कोहरे छा जाने के बाद उड़ान सेवा प्रभावित होती रही है। विमान कंपनी को अचानक फ्लाइट रद करनी पड़ जाती है।
इसके बाद यात्रियों को कई परेशानियों को झेलकर वापस घर लौट जाना पड़ता है। अब दरभंगा एयरपोर्ट पर इंस्टूमेंट लाइटिंग सिस्टम के तैयार हो जाने से इन समस्याओं से काफी हद तक राहत मिलेगी। यात्री निर्धारित समय पर अपने गंतव्य के लिए नियमित उड़ान सेवा का लाभ उठा पाएंगे।
पायलट को मिलते हैं रेडियो सिग्नल:
विमान की जब रनवे पर लैंडिंग होती है, उस वक्त पायलट को निर्धारित दिशा से लाकर विमान को नीचे उतारना होता है। रनवे से आईएलएस के जरिए पायलट को रेडियो सिग्नल मिलते हैं। जिससे पायलट को यह जानकारी पहले हो जाती है कि विमान सही दिशा में है अथवा नहीं है।
इसके अतिरिक्त, रनवे लाइन की सही और सटीक जानकारी मिलती है। पायलट को दिशा और दूरी सहित सभी चेतावनी पहले मिल जाती है। कंट्रोलिंग सिस्टम से मिलने वाले सिग्नल के माध्यम से विमान कर सही और सुरक्षित लैंडिंग होती है।
इधर, रनवे पर कैट टू लाइट लगाने का कार्य तेजी में चल रहा है। लाइट लगने की प्रकिया 75 प्रतिशत तक पूरी कर ली गई है। शेष बचे हुए कार्य को इस वर्ष के अंतिम माह तक पूरी कर लिए जाने की उम्मीद है।
रनवे पर लाइटिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद विमानों की सुरक्षित लैंडिंग की क्षमता और बढ़ जाएंगी। दृश्यता साढ़े तीन से चार सौ मीटर तक आ जाएगी। इससे खराब मौसम होने की स्थिति में भी विमान आराम से लैंडिंग और उड़ान भर सकेंगे। हालांकि नाइट लैंडिंग की सुविधा कब तक बहाल होगी, इसको लेकर स्थिति साफ नहीं है।
एयरपोर्ट पर आईएलएस पूरी तरह से काम करने लगा है। विमानों का सुरक्षित परिचालन हो रहा है। दृश्यता 14 सौ मीटर से घट कर साढ़े दस से 11 सौ मीटर तक आ गई है। इससे खराब मौसम में भी विमानों के परिचालन में आने वाली बाधा से राहत मिलेगी। कैट टू लाइट लगाने का कार्य को इस वर्ष के अंतिम माह तक पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है। - नावेद नजीम, निदेशक, दरभंगा एयरपोर्ट
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