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    Darbhanga AIIMS: एम्‍स की घोषणा से दर्जनों गांवों की बदली किस्मत, शोभन के आस-पास जमीन के दामों में भारी उछाल

    By Mrityunjay BhardwajEdited By: Prateek Jain
    Updated: Mon, 30 Jan 2023 04:42 PM (IST)

    Darbhanga AIIMS एम्स का निर्माण मूर्त रूप लेने लगता है तो शहर का क्षेत्रफल पसर कर शोभन के अलावा निकट के कई अन्य गांवों को भी अपने दायरे में समेट लेगा। इससे शहर के मध्य में यातायात व्यवस्था भी सुगम हो जाएगी। (फोटो जागरण- शोभन-एकमी बाइपास स्थित खाली पड़े भूखंड)

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    दरभंंगा एम्‍स: शोभन-एकमी बाइपास स्थित खाली पड़े भूखंड।

    दरभंगा, जागरण संवाददाता: दरभंगा में एम्स निर्माण के लिए अब शहर से पश्चिम की ओर पांच किमी की दूरी पर दरभंगा-मुजफ्फरपुर और दरभंगा-समस्तीपुर मुख्य मार्ग को जोड़ने वाले बाइपास के शोभन गांव के पास भूमि को चिन्हित किया गया है। एम्स का निर्माण मूर्त रूप लेने लगता है तो शहर का क्षेत्रफल पसर कर शोभन के अलावा निकट के कई अन्य गांवों को भी अपने दायरे में समेट लेगा। इससे शहर के मध्य में यातायात व्यवस्था भी सुगम हो जाएगी।

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    दरभंगा के अलावा उत्तर बिहार के कई जिलों तथा पड़ोसी देश नेपाल से आने वाले लोग बिना किसी जाम की समस्या का सामना किए सीधे एम्स पहुंच सकेंगे। यह स्थल समस्तीपुर, बेगूसराय, मधुबनी, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर सहित कई जिले और नेपाल देश के मरीज के लिए कई अर्थों में सुगम और लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

    जलभराव के कारण एक फसल ही लगा पाते हैं किसान

    इसे लेकर स्थनीय स्तर पर एक रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। रिपोर्ट में एम्स निर्माण स्थल की चर्चा सुन इलाके के भूमि मालिकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अभी से लोग अपने प्रतिष्ठान और संस्थान खोलने के लिए भूमि क्रय करने में जुट गए हैं। कल तक जहां बाढ़ क्षेत्र होने के कारण किसान मात्र एक फसल पर आश्रित थे, वहां की भूमि सिर्फ एम्स की चर्चा से सोना बन गई है।

    एक दर्जन गांव की भूमि की बदला भाग्य

    शोभन-एकमी बाइपास में चांडी, रामपुर रामदेव, गोढ़ियारी, वसतवापुर, पालपुपरी, बलिया, फुलवारिया, शोभन, डलौर आदि मौजा की भूमि है। जहां के खेतों में वर्ष में छह माह पानी भरा रहता है। किसान मात्र रबी की फसल का ही लाभ ले पाते हैं। शहरीकरण के कारण कुछ लोग इस इलाके की भूमि में पूंजी निवेश कर रहे थे, लेकिन वह सीमित था। अब एम्‍स निर्माण की खबर सुन बड़े-बड़े लोग प्रतिदिन यहां के भूमि मालिकों के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं।

    अब तक औने-पौने दाम पर बिकती थी भूमि

    हालांकि, शोभन-एकमी बाइपास के निर्माण के साथ ही इससे सटे एक दर्जन राजस्व गांवों की भूमि पर पहले से ही शहरीकरण का प्रभाव दिखने लगा था। वहीं, चुनिंदा लोगों ने औने-पौने दाम पर भूमि खरीदकर उसकी घेराबंदी भी कर रखी थी, लेकिन सड़क किनारे के बाद वाली भूमि को अभी भी कोई पूछने वाला नहीं था। सरकारी दर एक लाख से डेढ़ लाख प्रति कट्ठा निर्धारित हैं, जिसे कल तक लोग पांच से दस लाख रुपये प्रति कट्ठा सड़क किनारे की भूमि खरीद रहे थे।

    भूमि की दर में अचानक आया उछाल

    एम्स की चर्चा से पूरे इलाके के भूमि के दरों में अचानक उछाल दर्ज किया जा रहा है। हालांकि, सरकारी राजस्व दर में अभी कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, लेकिन निजी स्तर पर होने वाले भूमि के सौदे में यह उछाल किसान के लिए वरदान साबित होने लगा है। जिस भूमि के लिए कल तक किसानों को खरीदार खोजे नहीं मिल रहे थे, वहीं खरीदार आज किसानों को तलाश रहे हैं। हालांकि, अधिकारिक रूप में कोई मुंह खोलने को तैयार तो नहीं है, लेकिन भूमि के सौदे से जुड़े लोगों का कहना है कि इस इलाके में प्रति कट्ठा 40 लाख रुपये में जमीन बिक रही है।

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