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    Chhath 2025: आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, मुजफ्फरपुर में प्रशासन ने किए खास इंतजाम

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 10:51 AM (IST)

    आज छठ महापर्व पर मुजफ्फरपुर में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। प्रशासन ने छठ घाटों पर सुरक्षा और सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। छठ पर्व में सूर्य देव की उपासना का विशेष महत्व है और श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस पर्व को मनाते हैं।

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    छठ पूजा 2025

    जागरण संवाददाता, दरभंगा। लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर जिले के छठ घाट आकर्षक ढंग से सजकर तैयार है। नगर निगम की ओर से घाटों पर व्रतियों के पानी में खड़ा होने की जगह को रंग-बिरंगे कपड़ों से बैरिकेडिंग किया गया है, जिससे कि छठ के मौके पर पूजा करने आने वाले लोगों को और व्रतियों को किसी प्रकार का खतरा न हो।

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    बता दें कि दरभंगा नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत कुल 96 छठ घाटों पर व्रति भगवान भाष्कर को अर्घ्य देंगे। सोमवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा। छठ के गीतों से माहौल भक्तिमय है।

    रविवार की सुबह से ही छठ की तैयारी चल रही थी। घाटों पर जहां साफ-सफाई और सजावट का काम चल रहा था, वहीं व्रतियों ने दिन भर घर में पकवान-प्रसाद बनाए। रविवार को छठ व्रतियों ने छठी मैया और भगवान भास्कर से सुख, शांति और समृद्धि की कामना के लिए पूरे विधि विधान से नियम-निष्ठा के साथ खरना किया।

    खरना के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। जिसके बाद परिवार के अन्य लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण किया। शहर में पूरे दिन भीड़ लगी रही। फल मंडी में फल खरीदने वाले लोगों की भीड़ के कारण शहर में भीड़ देखी गई। लगातार दूसरे दिन भी जिला प्रशासन द्वारा ट्रैफिक की सुढ़ व्यवस्था की गई थी।

    जिस कारण से बाजार में जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। व्रतियों ने आराम से दिन भर छठ पूजा के सामग्रियों की खरीदारी की। चार दिवसीय आस्था का महापर्व छठ को लेकर जिले में उत्साह का माहौल है। मंगलवार को उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व का समापन हो जाएगा।

    चारों तरफ गूंज रहे हैं छठी मैया के गीत

    आस्था, विश्वास, समर्पण और पवित्रता के इस महापर्व के दूसरे दिन रविवार को व्रतियों ने खरना का व्रत किया। महिलाओं ने सामूहिक रूप से खरना की परंपरा निभाकर छठी मैया के गीत गाए। इस दौरान कांच ही के बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, बाट जे पूछ ले बटोहिया बहंगी केकरा के जाए... और केरवा जे फरेला, आदित होई न सहाय... जैसे छठ के पारंपरिक गीत गूंजते रहे।

    शाम में मिट्टी के चूल्हे पर खीर व गुड़ आटे की पुरियां बनाकर परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की गई। भगवान को नैवेद्य अर्पित करने के साथ सब की मंगल कामना के लिए प्रार्थना की गई। इसके बाद खरना का प्रसाद ग्रहण किया गया।