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    मिथिला के लाल ने रचा इतिहास: Chandrayaan-3 की चांद पर कराई सफल लैंडिंग, प्रियांशु ने भी निभाई अहम भूमिका

    By Edited By: Mohit Tripathi
    Updated: Wed, 23 Aug 2023 06:22 PM (IST)

    इसरो के महान वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया है। इसरो के इस मिशन में देश के कोने-कोने के वैज्ञानिक ने अहम भूमिका निभाई है। चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग में मिथिला के वैज्ञानिकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समस्तीपुर के अमिताभ कुमार चंद्रयान-3 में ऑपरेशन डायरेक्टर हैं। अमिताभ और उनकी टीम की देखरेख में ही चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग संभव हो पाई।

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    Chandrayaan 3 Successful Landing: चंद्रयान-3 की उड़ान में मिथिला की मेधा। (प्रतीकात्मक फोटो)

    प्रियांशु/रवि कुमार, दरभंगा/सीतामढ़ी। Chandrayaan 3 Successful Landing । भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के महान वैज्ञानिकों ने Chandrayaan- 3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया है।भारत पूरी दुनिया में चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है। इसरो के बहुप्रतीक्षित Chandrayaan- 3 मिशन को सफल बनाने में देश के कोने-कोने के वैज्ञानिक शामिल रहे।

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    इन वैज्ञानिकों में मिथिला के भी कई वैज्ञानिक शामिल रहे, जिन्होंने Chandrayaan- 3 की सफल लैंडिंग में बेहद ही अहम भूमिका निभाई है।

    ऑपरेशन डायरेक्टर हैं अमिताभ

    समस्तीपुर के लाल अमिताभ कुमार मिशन चंद्रयान-3 में ऑपरेशन डायरेक्टर हैं। अमिताभ और उनकी टीम की देखरेख में चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग संभव हो पाई है।

    वह चंद्रयान-2 में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे हैं। उन्होंने मिशन चंद्रयान-1 में भी प्रोजेक्ट मैनेजर के रूप में काम किया था।

    अमिताभ ने 1989 में एएन कॉलेज, पटना से इलेक्ट्रॉनिक्स से एमएससी तक की पढ़ाई की। इसके बाद बीआईटी मेसरा से एमटेक किया है।

    एमटेक करने के अंतिम साल में उन्होंने प्रोजेक्ट वर्क के लिए इसरो के तीन केंद्रों पर आवेदन दिया था। जिसके बाद जोधपुर केंद्र से उन्हें बुलावा आया। वे 2002 से इसरो से जुड़ हुए हैं।

    दरभंगा के लाल प्रियांशु का कमाल

    चंद्रयान-3 में जिस कैमरा तकनीक का प्रयोग हुआ है, उसे विकसित करनेवाले विशेषज्ञों में दरभंगा के रहने वाले रमण कुमार के बेटे प्रियांशु शामिल हैं।

    प्रियांशु इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर की लेजर शाखा में पदस्थापित हैं। उनकी टीम द्वारा विकसित कैमरे की तकनीक की मदद से ही चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग संभव हो सकी है।

    प्रियांशु ने त्रिवेंद्रम स्थित भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान से 2013 में बीटेक की परीक्षा पास की थी। इसके बाद उनका चयन इसरो के अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में हुआ।

    इस अभियान में प्रियांशु के फुफेरे भाई सीतामढ़ी के रवि कुमार ने भी अहम भूमिका निभाई है। रवि प्रियांशु से एक साल सीनियर हैं। रवि कुमार लैंडिंग कंट्रोल से जुड़ी ट्रैकिंग कंट्रोल टीम में शामिल हैं।

    मधुबनी के मोइनुद्दीन हसन की भी अहम भूमिका 

    मधुबनी के कोतवाली चौक के रहने वाले मो. मुजफ्फर हसन के बेटे मोइनुद्दीन हसन भी इस अभियान में शामिल हैं। उन्होंने प्रक्षेपण यान और उपग्रह के लिए द्रव नियंत्रण वॉल्व की डिजाइनिंग की है। यह ईंधन प्राप्त करने से जुड़ी तकनीक है।

    मोइनुद्दीन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है। साल 2008 से विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं।