Bihar latest News : बदल जाएगा हाजिरी का तरीका, अब सरकारी स्कूलों में टैब से होगी बच्चों की फेस पहचान
Darbhanga News : बिहार के सरकारी स्कूलों में हाजिरी लेने का तरीका बदलने जा रहा है। अब छात्रों की उपस्थिति टैब के माध्यम से दर्ज की जाएगी, जिसमें फेस प ...और पढ़ें

इस खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर लगाई गई है।
संवाद सहयोगी, केवटी (दरभंगा) । सरकारी विद्यालयों में अब शिक्षकों के साथ ही बच्चों की हाजिरी आनलाइन दर्ज होगी। शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था लागू करने की शुरुआत कर दी है।
इसके तहत सभी सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या के आधार पर दो से तीन टैबलेट भी उपलब्ध करा दिए गए हैं। साथ ही विद्यालय के प्रधानाध्यापक और एक नोडल शिक्षक को गूगल मीट के माध्यम से जिला के द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया है।
प्रभारी बीईओ ने बताया कि प्रखंडाधीन सभी 176 विद्यालय ( 90 प्राथमिक व 59 मध्य विद्यालय और 27 उच्च माध्यमिक ) को टैबलेट उपलब्ध कराया गया है। टैब में ई- शिक्षाकोष सहित विभाग के सभी जरूरी एप पहले से इंस्टाल रहेंगे और इस डिवाइस में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है।
उन्होंने बताया कि टैबलेट के संचालन के लिए प्रधानाध्यापक साथ ही तकनीक में रुचि रखने वाले एक नोडल शिक्षक को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे उपस्थिति दर्ज करने, रिपोर्ट जनरेट करने और एप संचालन को आसानी से समझ सकें।
जानकारी के अनुसार जनवरी महीने के पहले सप्ताह से शुरू होने जा रही इस व्यवस्था के तहत हर वर्ग शिक्षक को रोज अपने कक्षा के बच्चों का सामूहिक फोटो खींचना होगा, जिसे ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
अधिकारी के अनुसार यह प्रणाली न केवल उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगी बल्कि मिड-डे मील में हो रहे फर्जीवाड़े पर भी अंकुश लगाएगी। खासतौर पर प्रारंभिक विद्यालयों में प्रतिदिन बच्चों की उपस्थिति और मिड-डे मील लाभार्थियों की संख्या का सटीक रिकार्ड अब फोटो के माध्यम से रहेगा।
प्रत्येक फोटो इस प्रकार ली जाएगी कि हर बच्चे का चेहरा साफ नजर आए और कक्षा की पूरी उपस्थिति दर्ज हो। एक टैबलेट का उपयोग बच्चों की उपस्थिति, मिड-डे मील और स्कूल गतिविधियों के लिए होगा, जबकि दूसरे टैबलेट से शिक्षक स्वयं अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।
प्रभारी बीईओ का कहना है कि सभी सरकारी स्कूलों में डिजिटल उपस्थिति प्रणाली जल्द ही लागू की जाएगी। इससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और फर्जी उपस्थिति या मिड-डे मील की गलत रिपोर्टिंग पर पूरी तरह रोक लगेगी। सरकार का उद्देश्य है कि हर बच्चे की वास्तविक उपस्थिति और सीखने की स्थिति का डिजिटल रिकार्ड बने।

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