प्रेम का अर्थ यह नहीं कि कोई हर क्षण आपके पास बैठा रहे...देवी चित्रलेखा ने कथा महोत्सव के बीच बताया प्यार का सही संदर्भ
श्रीमद्भागवत कथा महाउत्सव के अंतिम दिन श्री श्याम उत्सव परिवार ने दीप जलाकर कार्यक्रम शुरू किया। देवी चित्रलेखा जी ने प्रेम और भक्ति का महत्व बताया। कथा में सुदामा चरित्र और भागवत सार का वर्णन किया गया। राधा कृष्ण की झांकी और फूलों की होली ने भक्तों को आनंदित किया। स्वर्णलता अग्रवाल समेत कई श्रद्धालु उपस्थित थे।

जागरण संवाददाता, दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय खेल मैदान में श्रीमदभागवत कथा महोत्सव के विश्राम दिवस पर श्री श्याम उत्सव परिवार की महिला सदस्यों ने सामूहिक दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। श्री श्याम उत्सव परिवार का एकमात्र ध्येय जनमानस कल्याण का है।
देवी चित्रलेखा जी ने-हरे राम हरे रामा, रामा रामा हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे... भजन से कथा की शुरुआत की। कहा कि प्रेम का अर्थ यह नहीं है कि कोई हर क्षण आपके पास बैठा रहे।
नजदीक होना प्रेम नहीं है, हृदय में किसी का बस जाना और उसकी याद में डूबे रहना ही सच्चा प्रेम है। यही बात भक्ति में लागू होती है। इसीलिए गोपियां भक्त-शिरोमणि कही जाती हैं, क्योंकि उनके मन और हृदय में हर पल केवल गोविंद ही निवास करते हैं।
कथा में सुदामा चरित्र एवं भागवत सार का वर्णन किया। कहा कि सप्तम दिवस में भागवकत सार सुनने से सातों दिन की कथा का फल प्राप्त होता है। जहां भक्त जाएगा वहां भगवान होंगे।
भक्ति से भगवान आते हैं और सत्संग से भक्ति। इसलिए अच्छा सुनो, अच्छा देखो, अच्छा बोलो। बचपन से मन भक्ति में लग जाए, इससे बड़ा कोई सौभाग्य नहीं हो सकता। कथा की समापन बेला पर राधा कृष्ण की अनुपम झांकी की प्रस्तुति हुई।
फूलों की होली के साथ साथ मंत्रमुग्ध करने वाले भजनों की अमृत गंगा में भगवत प्रेमी लगातार कथा का रसपान करते रहे। मौके पर स्वर्णलता अग्रवाल, श्रेया कानोडिया, पारुल बजाज, ममता अग्रवाल, सविता वर्मा, नूतन वर्णवाल, नेहा पंसारी समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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