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    कांग्रेस की इस चाल ने मंत्री जीवेश कुमार के लिए बढ़ाई चुनौती, जाले में इस बार बनता दिख रहा नया समीकरण

    By Mukesh Srivastava Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 04:36 PM (IST)

    Jale Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की तुलना में इस बार का विधानसभा चुनाव पूरी तरह से अलग है। महागठबंधन की ओर से यह सीट कांग्रेस के खाते में आई है। उसने मंत्री जीवेश कुमार की घेराबंदी करने के लिए उम्मीदवार के चयन में चालाकी से काम लिया। पिछले बार के प्रत्याशी मस्कूर उस्मानी इस बार कहने के लिए निर्दल चुनाव मैदान में हैं, मगर उनकी कोशिश भी किसी तरह भाजपा को हराने की है।

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    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

    मुकेश कुमार श्रीवास्तव, दरभंगा। Bihar Vidhan Sabha Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रथम चरण के मतदान में अब बहुत अधिक दिन नहीं हैं। बावजूद बहुत से क्षेत्र के मतदाताओं ने चुप्पी साध रखी है। उनकी यह खामोशी प्रत्याशियों की परेशानी को बढ़ा रही है।

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    जाले विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से भाजपा कोटे के मंत्री जीवेश कुमार चुनाव मैदान में हैं। यहां से कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी देकर उनकी परेशानी को बढ़ा दिया है। वहीं दूसरी ओर जनसुराज से मंत्री के स्वजातीय प्रत्याशी हैं।

    दरभंगा का जाले विधानसभा क्षेत्र। एक नहीं बल्कि, तीन-तीन जिले के सीमावर्ती क्षेत्र से जुड़ा है। जिसका अतीत नक्सलवाद रहा है। सामंतवाद के खिलाफ उठाए गए बंदूक से कई परिवार बर्बाद हुए। मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और दरभंगा के लखनपुर, कछुआ-चकौती, सनहपुर, बेदौली, मकनपुरा, पोखरभिंडा आदि गांवों में डर से मतदाता घर से नहीं निकलते थे।

    उजाला होते ही बूथ पर बदमाशों का कब्जा हो जाता था। समाजवाद का इलाका नक्सलवाद में बदल गया। जिस खेती से इलाका गौरवान्वित हुआ करता था, वहां के किसान कुदाल की जगह बंदूक उठाकर एमसीसी बन गए। हालांकि, नब्बे दशक के कालखंड से लोग अब काफी दूर निकल चुके है।

    25 वर्षों से शांति की राह ने सीमावर्ती इलाकों में भी विकास की राह दिखाने का काम किया है। यही कारण है कि जहां लोग वोट डालने से डरते थे वहां सुबह-शाम लोकतंत्र के गणित बना रहे हैं। न अब खौफ है और न ही वह जंग। हर ओर शांति ही शांति है। जिंदा जलाने की जगह यहां हर चुनाव में लोकतंत्र का चिराग आबाद हो रहा है।

    सड़क, बिजली, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, हाईस्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, नगर निकाय आदि की सुविधा है। किसी चीज की दिक्कत नहीं है। ऐसे में जाले विधानसभा सीट पर इस बार रोचक चुनाव होने वाले हैं। यहां की हवा चुनावी इतिहास में नया सबक देने को तैयार दिख रही है। पीएम मोदी की मां को इस क्षेत्र से अपशब्द कहे जाने से यह सीट पहले से ही हाट बनी है।

    ऐसे में कांग्रेस ने मुस्लिम की जगह हिंदू उम्मीदवार को उतार कर घाटे की भरपाई करने की कोशिश की है। कांग्रेस के कद्दावर नेता ललित नारायण मिश्र के प्रभाव वाली इस सीट से उनके पौत्र ऋषि मिश्र आइएनडीआइए के कांग्रेस से उम्मीदवार हैं। जिनका मुकाबला एनडीए के वर्तमान भाजपा विधायक मंत्री जीवेश कुमार से होने वाला हैं।

    कांग्रेस के ऋषि ब्राह्मण हैं, जबकि, जीवेश ब्रह्मऋषि (भूमिहार) समाज से आते हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी भूमिहार जाति के रंजीत शर्मा को चुनावी मैदान में उतारकर माहौल को गर्म कर दिया है। इस क्षेत्र से ऋषि मिश्रा के पिता विजय कुमार मिश्रा तीन बार और स्वयं एक बार विधायक रह चुके हैं।

    जबकि, अब तक के इतिहास में लगातार दूसरी बार विधायक रहे जीवेश हैट्रिक लगाने की उम्मीद से मैदान में हैं। 2020 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मस्कूर अहमद उस्मानी निर्दलीय मैदान में हैं। जिनके साथ कांग्रेस और राजद के प्रखंड अध्यक्ष कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं।

    ऐसे में यहां के लोग कहीं खामोश दिखते हैं तो कहीं मुखर होकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। मो. उस्मानी कहते हैं कि यह धरती लाल सलाम की है। यहां से चार बार सीपीआई से विधायक को सेवा करने का मौका मिला है। 2020 की तरह ही इस बार सीपीआई चुनावी मैदान में नहीं है। इसका लाभ आइएनडीआईए उम्मीदवार को निश्चित तौर पर मिलेगा।

    जगदेव ठाकुर कहते हैं कि इस बार 35 वर्षों बाद कांग्रेस ने ब्राह्मण जाति से उम्मीदवार बनाया है। ऋषि मिश्रा के पिता विजय कुमार मिश्रा 1990 में यहां कांग्रेस से विधायक बने थे। इसके बाद कांग्रेस को कभी कोई सफलता नहीं मिली । ऐसे में परंपरागत वोटरों की चुप्पी से इस बार का चुनाव रोचक होने वाला है।

    विद्यासागर दास जाले हाट स्थित चाय दुकान पर लोगों से कहते हैं कि सब कुछ ठीक है, लेकिन जो सुविधा मिला है और मिल रहा है उसका ऋण तो चुकाना ही होगा। ऊपर जाकर जवाब भी देना है, इसलिए मतदान में कोई बेईमानी नहीं होनी चाहिए। उनका साथ रामखेलावन साह भी देते हैं, कहते हैं कल क्या था और आज क्या है इसका फर्क तो सब महसूस कर रहा है।

    कहने काे चाहे जो कहे, आत्मा जो गवाही देगा वहीं काम करना है। किसी के बहकावे में आने वाले नहीं है। सनहपुर में गायत्री देवी खरीदारी करने दौरान विंदा देवी से कहती है, वोट के लिए सब जान छील रहा है। हमारे पास अपना विवेक है कि नहीं, दूसरे के कहने पर हम अपना निर्णय कैसे बदल देंगे।

    विंदा देवी भी कहती है कहने से क्या होगा, वोट तो वहीं पड़ेगा जहां मन बना है। देउरा गांव के मो. हैदर कहना है कि पार्टी के निर्णय से मतदाताओं को मुश्किल में डाल दिया है। जो पांच वर्ष तक सेवा किया उसे मौका तो मिलना चाहिए। लेकिन, अंतिम निर्णय अवाम के साथ ही लिया जाएगा।

    भरवाड़ा के गोविंद यादव कहते हैं सामाजिक समरसता इसी तरह से बना रहे, इसी परिकल्पना के साथ लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेना है। एक मत के मालिक हैं, कोई जबरदस्ती तो नहीं है। ऐसे ब्राह्मण और मुस्लिम वोट में टूट होने की चर्चा है। लेकिन, अंतिम समय में क्या होगा यह कहना मुश्किल है। ब्रह्मपुर के आकाश ठाकुर कहते हैं जन सुराज को भी कम आंकना सही बात नहीं है। पीके से यहां के लोग काफी प्रभावित हैं, नया बिहार बनाने के लिए युवा बेचैन हैं।