Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Election 2025: पांच दशक से दो परिवारों के बीच घूम रही कुशेश्वरस्थान की राजनीति, विरासत तीसरी पीढ़ी तक पहुंची

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 07:15 PM (IST)

    Bihar Assembly Election 2025 पूर्व मंत्री बालेश्वर राम व रामजतन पासवान की राजनीतिक विरासत तीसरी पीढ़ी तक पहुंच गई है। कभी अलग-अलग दल से लड़ते थे। इस बार स्थिति यह हो गई है कि दोनों परिवार एक दल में आ गए हैं। इसकी वजह से राजनीति गरमाई है। तीसरी पीढ़ी के मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी व डा. अशोक कुमार के पत्र अतिरेक राजनीति में सक्रिय हैं।

    Hero Image
    यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।

     मुकेश कुमार श्रीवास्तव, दरभंगा। Bihar Assembly Election 2025: जिले की इकलौती सुरक्षित सीट कुशेश्वरस्थान 2010 से पहले सिंघिया विधानसभा क्षेत्र कहलाती थी। यह रोसड़ा (अब समस्तीपुर) लोकसभा क्षेत्र में आती थी। इस क्षेत्र के नए परिसीमन की बात हो अथवा पुराने की, राजनीति का पहिया दो ही परिवारों पर टिका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विगत 45 वर्षों से दोनों परिवारों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता जारी है। दोनों परिवार एक-दूसरे को पटखनी देने में लगे रहते हैं। यह विधानसभा चुनाव दोनों परिवारों के लिए चुनावी राजनीति का अनोखा प्रयोग बनने वाला है।

    दरअसल, पहली बार दोनों परिवार एक दल जदयू में समा गए हैं। ऐसे में टिकट की दावेदारी के लिए दल के अंदर ही एक-दूसरे को शह-मात देने में लगे हैं। इसमें एक परिवार पूर्व मंत्री स्व. बालेश्वर राम का है तो दूसरा परिवार पूर्व सांसद रामजतन पासवान का। वर्तमान में दोनों परिवार से तीसरी पीढ़ी के मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी व डा. अशोक कुमार के पत्र अतिरेक राजनीति में सक्रिय हैं।

    पहले दोनों परिवारों का राजनीति क्षेत्र अलग-अलग था। मसलन, पूर्व मंत्री स्व. बालेश्वर राम का राजनीतिक क्षेत्र हायाघाट था तो स्व. रामजतन पासवान का सिंधिया। लेकिन, 1980 के लोकसभा चुनाव के बाद दोनों का राजनीतिक क्षेत्र सिंधिया विधानसभा क्षेत्र हो गया।

    वहीं से दोनों परिवारों का सियासी टकराव शुरू हुआ। रामजतन पासवान स्वयं तो चुनाव नहीं लड़े, लेकिन अपने भतीजे रामसेवक हजारी को जनता पार्टी के टिकट से मैदान में उतार दिया। मुकाबला हुआ कांग्रेस के उम्मीदवार बालेश्वर राम से। इसमें बालेश्वर राम की जीत हुई।

    1985 के विधानसभा चुनाव में बालेश्वर राम ने अपने पुत्र को डा. अशोक कुमार को कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतारा, दूसरी ओर कई बार के विधायक रहे रामजतन पासवान स्वयं भाकपा के टिकट पर लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिली।

    1990 के चुनाव में डा. अशोक कुमार फिर रामजतन पासवान पर भारी पड़े। 1995 के चुनाव में रामजतन की जगह उनके छोटे भतीजे शशिभूषण हजारी समता पार्टी के टिकट पर मैदान में आए, लेकिन डा. अशोक कुमार से हार गए।

    रामजतन पासवान के परिवार के जगदीश पासवान जदयू के टिकट पर 2000 के चुनाव में फिर डा. अशोक कुमार से मात खा गए। 2005 के चुनाव में रामजतन पासवान के परिवार के सदस्य को जदयू से टिकट नहीं मिला।

    ऐसे में डा. अशोक कुमार फिर चुनाव जीत गए। लेकिन, 2010 में सिंधिया से कुशेश्वरस्थान नाम से गठित नए आरक्षित विधानसभा क्षेत्र पर अब तक रामजतन पासवान के परिवार का कब्जा बरकरार है। 2010 में कांग्रेस के डा. अशोक कुमार को हराकर भाजपा से शशिभूषण हजारी विधायक बने।

    2015 के चुनाव के कांग्रेस और जदयू में गठबंधन रहने से डा. अशोक कुमार चुनाव लड़ने से वंचित रह गए और शशिभूषण हजारी को महागठबंधन से जीत मिली। 2020 में डा. अशोक कुमार को एक बार फिर जदयू से शशिभूषण हजारी ने पटखनी दे दी।

    हालांकि, शशिभूषण हजारी के निधन पर 2021 के उप चुनाव में उनके पुत्र अमन भूषण हजारी ने डा. अशोक कुमार के पुत्र कांग्रेस प्रत्याशी अतिरेक कुमार को चौथे स्थान पर धकेल दिया था।

    शह-मात का चलता रहा है खेल

    उधर, रोसड़ा लोकसभा क्षेत्र परिसीमन के कारण 2009 में समस्तीपुर के नाम से अस्तित्व में आया। रामजतन पासवान के पौत्र व रामसेवक हजारी के पुत्र महेश्वर हजारी ने जदयू के टिकट पर नवगठित क्षेत्र के पहले चुनाव में डा. अशोक कुमार को पटखनी दे दी।

    लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव में डा. अशोक कुमार ने महेश्वर हजारी को पराजित कर दिया। 2019 के चुनाव और उप चुनाव में रामजतन पासवान का परिवार गठबंधन के कारण चुनाव से बाहर रहा। लेकिन, दोनों चुनाव में डा. अशोक कुमार को हार का सामना करना पड़ा।

    2024 के चुनाव में जदयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी ने बड़ी चतुराई से अपने पुत्र सन्नी हजारी को कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतार कर डा. अशोक कुमार को मैदान से ही बाहर कर दिया।

    आज महेश्वर हजारी नीतीश केबिनेट में वरीय मंत्री हैं, जदयू में उनकी पूछ भी है। ऐसे में अपने पुत्र के साथ डा. अशोक कुमार के जदयू में चले जाने से दो परिवारों की पांच दशक पुरानी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता खत्म होगी या फिर से एक-दूसरे को पटखनी देंगे, इस पर सभी की नजर है।