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    Chat GPT से नहीं बनी बात, फिर बिहार के बेटे ने खुद का AI Tool बनाकर पाई नौकरी

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 02:19 PM (IST)

    दरभंगा के सॉफ्टवेयर इंजीनियर अमर सौरभ ने चैट जीपीटी की गलतियों से परेशान होकर खुद का एआई टूल बना डाला। इस टूल ने उन्हें पेपाल जैसी कंपनी में नौकरी दिलाने में मदद की। उन्होंने मेटा और टिकटॉक में भी काम किया है। चैट जीपीटी उनकी जरूरतों को समझने में विफल रहा, जिसके बाद उन्होंने कस्टम जीपीटी बनाकर सफलता हासिल की। वर्तमान में वे कैलिफोर्निया में कार्यरत हैं।

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    मिथिला के बेटे ने खुद का एआई टूल बनाकर पाई नौकरी

    संवाद सहयोगी, दरभंगा। जब दुनियाभर में चर्चित कृत्रिम बुद्धिमत्ता टूल, चैट जीपीटी उनकी नौकरी तलाशने में बार-बार गलतियां करने लगा तो मिथिला की बौद्धिक राजधानी दरभंगा शहर की माटी में जन्मे, पले बढ़े सॉफ्टवेयप इंजीनियर अमर सौरभ ने हार नहीं मानी, बल्कि उन्होंने महज दो घंटे में खुद का कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहायक बना डाला। उनके इसी नवाचार ने उनके लिए पेपाल जैसी दुनिया की मशहूर टेक कंपनी में नौकरी का द्वार खोल दिया।

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    मिथिलांचल से शुरू हुआ सफर

    दरभंगा के इस युवा इंजीनियर की कहानी किसी फिल्म के किरदार से कम नहीं है। लंबे समय तक लनामिवि में विज्ञान संकाय के डीन रहे प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा के पुत्र अमर सौरभ ने अपने पिता की शैक्षिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए तकनीक के क्षेत्र में अपने नवाचार से नई ऊंचाइयां प्राप्त की।

    इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा में ही पूरी की। इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें मेटा जैसी इंटरनेट मीडिया कंपनी में नौकरी मिली। इसके बाद उन्होंने टिकटॉक कंपनी में भी काम किया, जहां उन्होंने प्रोडक्ट डेवलपमेंट और यूजर एक्सपीरियंस के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।

    जब चैट जीपीटी ने किया निराश

    पिछले कुछ महीनों में जब इस युवा इंजीनियर ने अपने करियर की नई संभावनाओं की तलाश शुरू की, तो उन्होंने चैट जीपीटी का सहारा लिया। अभी लोग नौकरी के आवेदन, रिज्यूम बनाने और कवर लेटर लिखने के लिए एआई टूल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा।

    चैट जीपीटी लगातार जॉब एप्लिकेशन में गलतियां कर रहा था। उन्होंने बताया कि कभी गलत कंपनी का नाम लिख देता, कभी जॉब डिस्क्रिप्शन को ठीक से समझ नहीं पाता, और कभी मेटा और टिकटॉक के अनुभव को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं कर पाता। इससे उनके सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई।

    कस्टम जीपीटी ने बदल दी तस्वीर

    सौरभ ने हार नहीं मानी। महज दो घंटे की मेहनत में उन्होंने अपना खुद का कस्टम जीपीटी, एक पर्सनलाइज्ड एआई करियर असिस्टेंट बना डाला। इस एआई असिस्टेंट को उन्होंने विशेष रूप से अपने करियर, अनुभव, कौशल और नौकरी की आवश्यकताओं को समझने के लिए डिजाइन किया।

    अपने पूरे करियर का डेटा रिज्यूम, मेटा में किए गए प्रोजेक्ट्स की विस्तृत जानकारी, टिकटॉक में हासिल की गई उपलब्धियां, तकनीकी स्किल्स और करियर के लक्ष्य, सब कुछ इस कस्टम एआई में फीड किया। इसके बाद इसे ट्रेंड किया कि कैसे हर कंपनी की जरूरतों के हिसाब से अनुभव को सबसे बेहतर तरीके से प्रस्तुत किया जाए।

    मिला चमत्कारी परिणाम

    यह कस्टम एआई उनकी हर जरूरत को समझने लगा और बिल्कुल सटीक, पर्सनलाइज्ड और प्रोफेशनल जॉब एप्लिकेशन तैयार करने लगा। इस कस्टम एआई असिस्टेंट की मदद से उनकी जॉब सर्च की रफ्तार और गुणवत्ता दोनों में जबरदस्त सुधार आया।

    हर जॉब एप्लिकेशन अब उस विशेष कंपनी और पद के लिए पूरी तरह से कस्टमाइज्ड होता था। कवर लेटर्स में उनके मेटा और टिकटॉक के अनुभव को सही संदर्भ में प्रस्तुत किया जाता था और रिज्यूम में हर डिटेल एकदम सटीक होती थी।

    केवल दो महीने में उन्हें सात बड़ी टेक कंपनियों से जॉब इंटरव्यू के लिए बुलावा आया। हर इंटरव्यू में उनकी तैयारी और प्रेजेंटेशन ने इंटरव्यूअर्स को गहरा प्रभावित किया। अमर सौरभ वर्तमान में कैलिफोर्निया के सन मेटिया में कार्यरत हैं।