सोमवार से दोनों भाई स्कूल जाएंगे...अभिनेता सोनू सूद के मैसेज ने दरभंगा के भाइयों की बदली जिंदगी, अब पढ़ेंगे प्राइवेट स्कूल में
इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल होने के बाद सोनू सूद ने बेनीपुर के मोतीपुर गांव के दो गरीब भाइयों की शिक्षा की जिम्मेदारी ली है। बड़ा भाई गरीब बाबू अपने छोटे भाई शफीरूल को साइकिल पर स्कूल ले जाता था और उसे पढ़ाने का सपना देखता था। सोनू सूद ने उनकी मदद की और ग्लोबल पब्लिक स्कूल में उनका दाखिला कराया जिससे उन्हें बेहतर शिक्षा मिल सके।

संवाद सहयोगी, बेनीपुर(दरभंगा)। Darbhanga News: बेनीपुर अनुमंडल के मोतीपुर गांव के दो भाइयों की कहानी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद बालीवुड अभिनेता सोनू सूद ने उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली है।
ग्रामीण गरीब बाबू (11) अपने छोटे भाई शफीरूल बाबू (8)को साइकिल पर बैठाकर स्कूल ले जा रहा था। उसने एक यूट्यूबर से बातचीत में कहा कि गरीबी के कारण वह खुद पढ़ाई नहीं कर सका, लेकिन छोटे भाई को जरूर पढ़ाएगा।
उन्होंने इसका वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर साझा कर दिया। वीडियो प्रसारित होने के बाद यह संदेश अभिनेता सोनू सूद तक पहुंचा। उन्होंने उसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा- टांग लो बच्चों बैग, सोमवार से स्कूल शुरू।
सोनू सूद भैया ने अपना वादा पूरा किया। आज इन बच्चों का स्कूल में दाखिला हो गया। यह सब आप सभी के प्यार और समर्थन से ही संभव हो पाया है। सोशल मीडिया की ताकत वाकई में कमाल की है! बाकी इस प्यार और समर्थन के लिए आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद! बाक़ी उम्मीद करता हूँ कि आप सबका समर्थन हमें… pic.twitter.com/ZNeOOQXfMu
— Vivek Muskan pandit (@vivekmp97) August 18, 2025
सोनू सूद ने बच्चों को पटना के एक नामी स्कूल में दाखिला दिलाने की पेशकश की, लेकिन बच्चों ने कहा कि वे अपने गांव के नजदीकी बेनीपुर स्थित ग्लोबल पब्लिक स्कूल में पढ़ना चाहते हैं। इसके बाद स्कूल के डायरेक्टर पिनाकी शंकर ने दोनों बच्चों के दाखिले की सहमति दी।
कहा कि विद्यालय पूरा प्रयास करेगा कि दोनों भाई बेहतर शिक्षा प्राप्त कर गांव और परिवार का नाम रोशन करें। गरीब बाबू का कहना था मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी किसी निजी स्कूल में नामांकन होगा। अब यहां मन लगाकर पढ़ाई करूंगा।
इस निजी स्कूल में आठवीं तक की पढ़ाई होती है। गरीब बाबू दूसरी कक्षा एवं शफीरूल केजी टू का छात्र है। विद्यालय से गांव की दूरी करीब एक किलोमीटर है। इसलिए इसी स्कूल में पढ़ाई करना चाहता था। दोनों के लिए स्कूल ने अन्य बच्चों के साथ वैन की सुविधा दी है।
वह इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल नहीं करता है। उसके पिता का निधन पांच वर्ष पहले हो गया। घर में मां है, जो गांव में ही मेहनत मजदूरी करती है।
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