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    बाबा गंगेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए दूर-दूर से शिव भक्तों की टोली पहुंचती है

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 29 Jul 2021 12:01 AM (IST)

    दरभंगा। जाले प्रखंड स्थित रतनपुर में बाबा गंगेश्वरनाथ मंदिर लोक आस्था का प्रमुख केंद्र है।

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    बाबा गंगेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए दूर-दूर से शिव भक्तों की टोली पहुंचती है

    दरभंगा। जाले प्रखंड स्थित रतनपुर में बाबा गंगेश्वरनाथ मंदिर लोक आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां जलाभिषेक के लिए दूर-दूर से शिव भक्तों की टोली पहुंचती है। सावन में तो आने वालों की शिव भक्तों की भीड़ से इलाका शिवमय हो जाता है। मान्यता हैं कि जो शिव भक्त सच्चे मन व निष्ठा से बाबा की पूजा अर्चना व जलाभिषेक करते हैं। बाबा उनकी हर मुरादें पूरी करते हैं। इतिहास मंदिर की स्थापना करीब 800 वर्ष की गई थी। 1860 से 1870 के बीच राजा नामदेव के पुत्र गंगदेव ने अपने पिता की हार का बदला एवं कैदी बने पिता को मुक्त कराने के लिए, रतनपुर के घने जंगल में सैन्य तैयारी शुरू की। पूजा-अर्चना के लिए शिवलिग की स्थापना कर मंदिर बनवाया। तालाब खुदवाया जो कि वर्तमान में इसकी प्रसिद्धि, रजखानी पोखर के रूप में है। राजकुमार गंगदेव ने सैन्य तैयारी पूर्ण कर अपने पिता राजा नामदेव को कैद से मुक्त कराया इसके बाद कालांतर में शिवालय का नाम गंगेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

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    कैसे पहुंचे

    बाबा गंगेश्वरनाथ मंदिर जाले प्रखंड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम एवं कमतौल थाना से करीब नौ किलोमीटर दक्षिण पश्चिम रतनपुर में अवस्थित है। पूरे सावन मास शहर और अगल-बगल के इलाकों से लोग मंदिर में जलाभिषेक को आते हैं। यहां भक्तों के रहने की भी व्यवस्था है।

    ----- शिवलिग भगवान शंकर का प्रतीक है। शिव का अर्थ, कल्याणकारी होता है। लिग का अर्थ सृजन होता है। सर्जनहार के रूप में उत्पादक शक्ति के चिन्ह के रूप में शिवलिग की पूजा होती है।

    राम कुमार झा, पुजारी।

    ----------- सावन शिव उपासना के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है। सावन में धतूर, पुष्प, दुर्बा, कनैल, बेलपत्र शिवलिग पर चढ़ाने से भगवान शिव को शीतलता मिलती है, श्रद्धा के साथ शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है।

    सुनील कुमार ठाकुर, शिव भक्त।

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