आश्चर्य, आशापुर मजार में फिर खिला गूलर का फूल
- पके फलों ने लिया फूल का आकार
- दर्जनों फूल ले गए देखने आए लोग
- दिन भर देखने आते रहे लोग
बेनीपुर/दरभंगा, जागरण टीम : बेनीपुर अनुमंडल मुख्यालय पर आशापुर टावर के पास स्थित चर्चित खानकाहे अहमदी फजले रहमानी के नाम से मशहूर मजार परिसर में लगे गूलर के एक पेड़ में मंगलवार की सुबह गूलर के दर्जनों फूल खिलने की सूचना से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। एक झलक पाने की जल्दी में जो जहां था, वहीं से दौड़ा। फूल खिला देखकर लोगों ने अपने इष्ट मित्रों-रिश्तेदारों को सूचना दी। कई उत्साही लोग दूर दराज से पहुंचना शुरू हो गए। मौके पर पहुंचे लोगों में से कई ने फूल तोड़ लिए। बाद में आसपास के लोगों ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो फूल बच पाए। कई गणमान्य लोगों ने पेड़ पर फूल खिलने की पुष्टि की है। इधर, ललित नारायण मिथिला विवि के स्नातकोत्तर वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा.छत्रनाथ झा ने भी कहा कि गूलर का फल अधिक पकने या किसी और कारण से फटकर फूल के रूप में प्रकट हो जाता है। यदि फलों के फटने के बाद फूल दिखने की बात आ रही है तो यह हुआ होगा क्योंकि गूलर के मामले में ऐसा होना स्वाभाविक है। इसका फूल शुरू से ही फल की शक्ल में होता है।
उधर परिसर में गूलर का फूल देखने वाले अपने को धन्य मान रहे हैं। खानकाह की देखरेख करने वाले मो.मुमताज खां ने बताया कि अहले सुबह परिसर की साफ सफाई के दौरान फूल दिखने पर बाबा के मुरीदों को सूचना दी गई। चूंकि गूलर के इस पेड़ के पास ही खानकाह के संस्थापक हजरत शाह मकबूल बिहारी रहमतुल्लाह अलैह उर्फ चिनगी शाह के वजू का स्थान था। इसलिए इसे उनका आशीर्वाद मिलता रहा। उनके पर्दा करने के बाद हजरत अलाउद्दीन अहमद सानिए साबिर रहमतुल्ला अलैह गद्दीनशीं हुए। अक्टूबर 1999 में उनके पर्दानशीं होने के बाद उनके परिवार के लोग ही गद्दी संभालते रहे हैं। यह खानकाह पहली बार 2006 में गूलर का फूल खिलने से चर्चा में आया था। 2006 में यहां तीन बार गूलर के फूल देखे गए जिसके कारण आसपास ही नहीं, दूरदराज तक इस खानकाह की चर्चा होने लगी। यहां साल में तीन बार उर्स का आयोजन होता है। आगामी चार फरवरी को भी यहां उर्स का आयोजन होना है। इधर,सूचना मिलने पर प्रशासनिक और पुलिस पदाधिकारी भी परिसर में पहुंचे और भीड़ को वहां से हटाया। अधिकारियों ने भी वहां फूल खिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि आश्चर्य है। गूलर में भी फूल होता है। उधर कई लोगों को भरोसा नहीं हुआ कि गूलर में भी फूल होता है।
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