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    दरभंगा का 80 प्रतिशत धान आखिर क्यों बिककर चला जाता है दूसरे परदेस?

    By Vinay Kumar Edited By: Dharmendra Singh
    Updated: Sun, 07 Dec 2025 09:18 PM (IST)

    दरभंगा में जिला प्रशासन द्वारा धान खरीद के दावों के बावजूद, 80 प्रतिशत उत्पादन दूसरे राज्यों में बेचा जा रहा है। किसान सरकारी प्रक्रिया की जटिलता और क ...और पढ़ें

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    खेत में धान की कटाई कराते किसान व बिक्री के लिए जाता धान। जागरण

    जागरण संवाददाता, दरभंगा । जिला प्रशासन प्रत्येक वर्ष सरकारी दर पर धान खरीद करने को लेकर अक्टूबर माह से ही तैयारी का दावा करता है। लेकिन हकीकत कुछ ओर ही बयां करती है। जिला में धान उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत दूसरे परदेसों में बिक्री कर भेज दिया जाता है। इसे रोकने के लिए प्रशासन के पास कोई ठोस कदम नहीं है।

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    किसानों की मानें तो जिले में सरकारी दर पर जो धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। वह उत्पादन का महज 20 से 25 प्रतिशत ही होता है। जिला का जो लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। उसे भी पूरा नहीं किया जाता है। इसका मुख्य कारण विलंब से धान खरीद के साथ नमी का होना बताया जाता है।

    किसान इरशाद आलम खां, मनोज कुमार सिंह, अनुरूद्ध प्रसाद राय, दशरथ यादव, संतोष कुमार मिश्र, विमला दास, सत्यनारायण यादव आदि ने बताया कि इस बार नवंबर के दूसरे सप्ताह से धान की कटनी शुरू हो गई। किसानों को गेहूं की बोआई के लिए तत्काल रुपये की आवश्यकता होती है।

    सरकारी दर पर धान बेचने के लिए किसानों को कई जटिल प्रक्रिया से गुजरना होता है। किसान इन परेशानी से बचने के लिए स्थानीय व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम में धान को बेच देता है। इधर धान का कारोबार कर रहें व्यापारी ने बताया कि किसानों से 1600 से 1700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीद कर स्टाक करते हैं।

    जब एक ट्रक का धान पूरा हो जाता है, तो दूसरे परदेस के व्यापारी को फोन करते हैं। वह ट्रक लेकर आता है। धान की लोडिंग की जाती है। और वह लेकर मुजफ्फरपुर, पटना, बंगाल,झारखंड, उड़िसा, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों पर चला जाता है।

    दूसरे परदेस के व्यापारी के हाथों 2050 से 2100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच दिया जाता है। बताया जाता है कि प्रत्येक दिन जिले से लगभग 50 से 100 ट्रक धान दूसरे परदेसों में जाता है। जहां वह चावल तैयार कर फिर से बिहार के विभिन्न जिलों के राइस मिलों में बेच देता है। सरकार ने धान का सरकारी दर 2365 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है।

    जिले में किसानों से क्रय किए गए धान

    डीसीओ कार्यालय के अनुसार अब तक जिले का लक्ष्य अप्राप्त है। रिपोर्ट के अनुसार चयनित 191 पैक्स व 3 व्यापार मंडल के माध्यम से 318 किसानों से अभी तक 1936 मीट्रिक टन धान की खरीद किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 153 किसानों का भुगतान कर दिया गया है। जिले में पक्सों की ओर से किसानों से क्रय किए गए धान का चावल तैयार करने के लिए सात राइस मिल का निबंधन किया गया है। इन राइस मिल के साथ चयनित पैक्सों को चावल तैयार करने के लिए टैंग कर दिया गया है।

    लक्ष्य के अनुसार खरीद नहीं 

    कृषि विभाग के रिपोर्ट के अनुसार जिले में लगभग 2.5 लाख किसान निबंधित है। जिला सहकारिता से मिली रिपोर्ट के अनुसार जिले में वर्ष 2021-22 में धान खरीद का लक्ष्य 35000 मीट्रिक टन निर्धारित किया गया था। लेकिन, 209 पैक्स के माध्यम से 7997 किसानों से 34956 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई।

    इसी प्रकार से वर्ष 2022-23 में धान खरीद का लक्ष्य 76375 मीट्रिक टन निर्धारित किया गया था। लेकिन, 167 पैक्स व व्यापार मंडल के माध्यम से 9688 किसानों से 48553 मीट्रिक टन धान की खरीद की। वर्ष 2023-24 में जिले का निर्धारित लक्ष्य 80212 मीट्रिक टन था।

    रिपोर्ट के अनुसार 239 पैक्स व व्यापार मंडल के माध्यम से 4466 किसानों से 28563 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। वर्ष 2024-25 में 73757 मीट्रिक टन लक्ष्य के विरुद्ध 178 पैक्स के माध्यम से 5867 किसानों से 41366 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई थी।

    जिले में दो वर्षों के अनुमानित उत्पादन का आंकड़ा

    कृषि विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष धान उत्पादन की रिपोर्ट जिला सहकारिता कार्यालय को भेजी जाती है। इसी उत्पादन रिपोर्ट के अनुसार जिले का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। वर्ष 2024-25 में धान की अनुमानित उत्पादन 21 लाख 52 हजार 396 क्विंटल बताई गई थी। वहीं वर्ष 2025- 26 में 35 लाख 65 हजार 113 क्विंटल बताई गई है।

    जिला को धान खरीद का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। जिन पैक्सों ने किसानों से एक लाट धान की खरीद कर ली है। उनकी सूची तैयार कर बैंक को दूसरे लाट की राशि निर्गत करने के लिए पत्र भेजी जा रही है। अब तक 134 पैक्सों के माध्यम से 198 किसानों से 1936 मिट्रीक टन धान की खरीद की गई है। 153 किसानों का भुगतान कर दिया गया है। दूसरे परदेसों में धान भेजे जाने की बात मेरे संज्ञान में नहीं है।
    - अरुण कुमार, जिला सहकारिता पदाधिकारी, दरभंगा।