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    पांच बार दरभंगा आए थे महात्मा गांधी

    By Edited By: Updated: Sun, 26 Jan 2014 02:30 AM (IST)

    जासं, दरभंगा : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का दरभंगा से गहरा लगाव था। देश की आजादी के दौरान वे पांच बार यहां आए थे। कांग्रेस का इतिहास व चरखा संघ का इतिहास नामक पुस्तकों में वर्णित तथ्यों के मुताबिक बापू पहली बार वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान दरभंगा आए थे। उस समय दरभंगा राज के राजा रमेश्वर सिंह थे। गांधीजी ने उनसे कांग्रेस का सदस्य बनने का अनुरोध किया था। तत्कालीन ब्रिटिश कालीन व्यवस्था को देखते हुए राजा ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने से इन्कार कर दिया। लेकिन, उन्होंने गांधीजी को एक लाख रुपये का गुप्त दान दिया। ताकि आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाया जा सके। वे नेशनल स्कूल भी गए थे। इसके बाद वे वर्ष 1927 में आंदोलन के सिलसिले में दरभंगा आए और यहां अनाथालय की स्थापना की। जो आज पूअर होम के रूप में जाना जाता है। इसके बाद वे 1934 में भीषण भूकंप के बाद आए। उनके साथ पंडित जवाहर लाल नेहरू, यमुना लाल बजाज, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, आचार्य जेडी कृपलानी आदि भी थे। वे भूकंप से हुई तबाही को देखकर द्रवित हो गए थे। भीषण संकट के बाद भी मिथिलांचल के लोगों ने ब्रिटिश सरकार व कांग्रेस की ओर से दी जा रही राहत लेने से इन्कार कर दिया था। इसे देख गांधीजी दंग रह गए। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि विपत्ति के समय में मदद लेना गुनाह नहीं है। उनके आह्वान पर भूकंप पीड़ितों ने राहत लेनी शुरू की थी। वे भूकंप पीड़ितों की व्यथा जानने केवटी के छतवन गए थे। वहां देवी लाल पोखर के पास सभा की थी, जो आज गांधी चौक के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1934 से 1942 के दौरान वे दो बार दरभंगा आए थे। इस दौरान दरभंगा राज के यूरोपियन गेस्ट हाउस में रुके थे। जो आज गांधी अतिथिशाला के रूप में जाना जाता है।

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    गांधी के पुत्र के नाम पर

    आज भी है मगन आश्रम

    महात्मा गांधी के बेटे मगन गांधी के नाम पर आज भी जिले के हायाघाट प्रखंड के मझौलिया में मगन आश्रम है। जंगे आजादी के सिलसिले में वे महिला विद्यापीठ आए थे। वर्ष 1948 में उनका निधन हो गया, जो आज मगन आश्रम के रूप में जाना जाता है।

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