मूर्ति विसर्जन के दौरान दर्दनाक हादसा, बक्सर में 22 वर्षीय युवक की आहर में डूबने से मौत
बक्सर के डुमरांव में दशहरा के मूर्ति विसर्जन के दौरान रजडीहा गाँव के 22 वर्षीय रुपेश कुमार तिवारी की डूबने से दुखद मौत हो गई। पैर फिसलने के कारण वह गहरे पानी में चला गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और गाँव में शोक की लहर है।

संवाद सहयोगी, डुमरांव (बक्सर)। दशहरा पर्व के उल्लास के बीच शुक्रवार की देर शाम स्थानीय थाना क्षेत्र के एकौनी-रजडीहा मोड़ के समीप स्थित आहर में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई एक दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को शोक में डूबो दिया।
विसर्जन में शामिल रजडीहा गांव निवासी 22 वर्षीय युवक रुपेश कुमार तिवारी की गहरे पानी में डूबने से मौत हो गई। मृतक नर्वदेश्वर तिवारी का पुत्र था।
मूर्ति विसर्जन के दौरान हादसा
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विसर्जन जुलूस के दौरान रुपेश अपने साथियों के साथ मूर्ति विसर्जन में व्यस्त था। इसी दौरान उसका पैर फिसल गया और वह अचानक गहरे पानी में चला गया। साथी युवकों ने तत्काल बचाने का प्रयास किया, लेकिन कुछ ही क्षणों में वह पानी के नीचे लुप्त हो गया।
मौके पर मौजूद लोगों ने घंटों खोजबीन के बाद किसी तरह उसे बाहर निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और युवक की सांसें थम चुकी थीं।
घटना की जानकारी मिलते ही थानाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव को अपने कब्जे में लेकर आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए बक्सर सदर अस्पताल भेज दिया।
थानाध्यक्ष ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि युवक विसर्जन के दौरान मूर्ति को डुबाने में लगा था, इसी क्रम में संतुलन खो देने के कारण वह गहरे पानी में चला गया।
इस दर्दनाक घटना की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे रजडीहा गांव में मातम छा गया। मृतक के घर में कोहराम मच गया है। माता-पिता व परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
ग्रामीणों ने बताया कि रुपेश अपने चार भाइयों में सबसे छोटा था और स्वभाव से अत्यंत शांत, मिलनसार व मेधावी था। वह आरा के एचडी जैन कॉलेज में स्नातक अंतिम वर्ष का छात्र था और आगे चलकर सरकारी सेवा में जाने का सपना देख रहा था।
परिवार के लोगों ने बताया कि मृतक के दो बड़े भाई खाड़ी देश में नौकरी करते हैं। दशहरा जैसे पावन अवसर पर इस हृदय विदारक घटना ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है।
सामाजिक कार्यकर्ता युवक शशिभूषण ओझा ने बताया कि रुपेश की असमय मृत्यु से गांव का हर व्यक्ति स्तब्ध है। जिस जगह पर मूर्तियां विसर्जित की जाती हैं, वहां की गहराई का कोई अनुमान नहीं था, जिससे यह हादसा घटित हुआ। दशहरा की खुशी मातम में बदल गई। जहां शाम को जयकारों की गूंज थी, वहीं अब सन्नाटा पसरा है।
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