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    डीएपी के विकल्प के रूप में डाई अमोनियम सल्फेट का करें इस्तेमाल

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 09 Dec 2021 10:21 PM (IST)

    बक्सर। जिले में रबी की बोआई करने वाले किसान इन दिनों डीएपी नहीं मिलने के कारण काफी परेशान चल रहे हैं। किसान सिर्फ इतना ही जानते हैं कि गेहूं की बोआई में सिर्फ डीएपी का ही उपयोग किया जाता है।

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    डीएपी के विकल्प के रूप में डाई अमोनियम सल्फेट का करें इस्तेमाल

    बक्सर। जिले में रबी की बोआई करने वाले किसान इन दिनों डीएपी नहीं मिलने के कारण काफी परेशान चल रहे हैं। किसान सिर्फ इतना ही जानते हैं कि गेहूं की बोआई में सिर्फ डीएपी का ही उपयोग किया जाता है। इसके स्थान पर कोई दूसरी खाद नहीं डाली जा सकती। जबकि, डीएपी के विकल्प के रूप में कई उर्वरक मौजूद हैं जो किसानों को असानी से बाजार में उपलब्ध हैं। फर्क सिर्फ इतना होगा कि खेत के रकबा के अनुसार मात्रा बदल जाएगी। समस्या को देखते हुए गुरुवार को जिलाधिकारी अमन समीर ने कृषि वैज्ञानिकों तथा कृषि पदाधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें अधिक से अधिक किसानों को डीएपी के विकल्प इस्तेमाल करने की जानकारी का प्रचार प्रसार करने को कहां। इस संबंध में जानकारी देते कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. देवकरण ने बताया रबी की खेती में फॉस्फेट की सबसे बड़ी भूमिका होती है। किसान इसके लिए सिर्फ डीएपी का नाम ही जानते हैं। मौजूदा समय इसके अभाव में पूरे जिले में मारामारी हो रही है। जबकि डीएपी के अलावा भी कई उर्वरक जिले में मौजूद हैं जिनमें फॉस्फेट की पर्याप्त मात्रा होती है और बेहतर विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सिर्फ मात्रा का फर्क होगा, जबकि फसल को उतना ही फायदा करेगा जितना डीएपी करता है। उन्होंने बताया कि इसके तीन विकल्प एनपीके, एनपीकेएस और एसएसपी के नाम से बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। इन तीनों उर्वरकों का इस्तेमाल डीएपी के विकल्प के रूप में किया जा सकता है, इससे उपज पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। -डीएपी में 46 प्रतिशत फॉस्फोरस

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    डीएपी में मूल रूप से दो ही तत्व नाइट्रोजन और फॉस्फोरस मौजूद होता है। इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फॉस्फोरस मौजूद होता है। जबकि अन्य विकल्पों को देखें तो एनपीके में नाइट्रोजन 12 प्रतिशत, फॉस्फोरस 32 प्रतिशत तथा अतिरिक्त में पोटाश भी 16 प्रतिशत होता है। फसल को पोटाश की भी आवश्यकता होती है। इसके अलावा एनपीकेएस एक मिश्रित उर्वरक है जिसमें नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस 20-20 प्रतिशत तथा सल्फर 13 प्रतिशत अतिरिक्त होता है। जबकि एसएसपी में 16 प्रतिशत फॉस्फेट, 12 प्रतिशत सल्फर तथा 19 प्रतिशत कैल्शियम होता है। इस प्रकार तीनों उर्वरक डीएपी के विकल्प के रूप में सहज ही इस्तेमाल किया जा सकता है। -उर्वरक की मात्रा का फर्क

    डीएपी का वैकल्पिक उर्वरक इस्तेमाल करते समय किसानों को सिर्फ इतना ही ध्यान रखना है कि वैकल्पिक उर्वरक की मात्रा थोड़ी बढ़ानी होगी। गेहूं की बुवाई में डीएपी के स्थान पर एनपीके 188 किलो तथा दलहन में 130 किलो प्रति हेक्टेयर देना होगा। वहीं, गेहूं, दलहन, चना, मसूर एवं मटर में 130 किलो डीएपी के स्थान पर एनपीकेएस 300 किलो प्रति हेक्टेयर देना होगा। जबकि, एसएसपी की मात्रा 130 किलो डीएपी के स्थान पर 375 किलो प्रति हेक्टेयर डालनी होगी।