Move to Jagran APP

धूमधाम के साथ मनाया गया त्रिदंडी स्वामी जी महाराज का जन्मदिन

बक्सर प्रखंड के हेठुआ पंचायत अंतर्गत सिसराढ़ गांव में 1870 के दशक में माता इंदिरा चतुर्वेद

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 09:33 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 09:33 PM (IST)
धूमधाम के साथ मनाया गया त्रिदंडी स्वामी जी महाराज का जन्मदिन

बक्सर : प्रखंड के हेठुआ पंचायत अंतर्गत सिसराढ़ गांव में 1870 के दशक में माता इंदिरा चतुर्वेदी और पिता श्री नारायण चतुर्वेदी के घर जन्म लिए महर्षि त्रिदंडी स्वामी जी महाराज की जयंती रविवार को धूमधाम के साथ मनाई गई। इनके जन्मदिन के अवसर पर अखंड कीर्तन, भजन एवं भंडारा का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन, व्यवस्थापक पंडित उमाशंकर चतुर्वेदी एवं पंडित रामाधार चौबे व गांव के ग्रामीणों के सहयोग से किया गया।

loksabha election banner

इस जयंती समारोह के अवसर पर पंडित उमाशंकर चतुर्वेदी ने बताया कि यह बहुत ही ख्याति प्राप्त महाराज थे। इनके बचपन का नाम बैजनाथ चतुर्वेदी था। जिनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके अग्रज महर्षि श्यामनारायण चतुर्वेदी के द्वारा हुई। यहां से पढ़ाई के बाद बक्सर में पंडित भोला जी से शिक्षा दीक्षा हुई। फिर लक्ष्मी नारायण मंदिर बक्सर में अध्ययन के बाद उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी, अयोध्या, मुंबई स्थित याण स्वाणी में अनंत आचार्य के वेदानंद से वेदांत एवं सन्यास सहित त्रिदंड ग्रहण किया। उसके बाद 108 दिव्य देशों का भव्य यात्रा दर्शन कर स्वामी जी पुन: बक्सर पधारे। उन्होंने विभिन्न प्रकार के 350 से अधिक लक्ष्मी नारायण महायज्ञ कराया, 250 ग्रंथों का दूसरे भाषाओं में रचना की, जिसे आज तक किसी संत ने नहीं किया। बक्सर की तपोभूमि पर अलौकिक शक्ति के अवतार के रूप में जाने जाते थे। बताया जाता है कि जन्म से ही इनके जिह्वा पर सरस्वती का वास था। इनकी ख्याति को देखकर विदेशी भी आते थे और अनुसरण करते थे। इनके प्रवचन के समय में भगवान विष्णु, हनुमान जी एवं शेषनाथ के रूप में विराजमान होते थे। वह प्रतिदिन काली देशी गाय का दूध का सेवन नारियल की खोपड़ी में करते थे। स्वामी जी श्री संप्रदाय के प्रणेता थे। इनके पीठ अयोध्या में 350 मठ मंदिर एवं विश्वविद्यालय हैं, जहां आज भी देश विदेश के छात्र वेद, वेदान्त ग्रहण करते है। इनका अंतिम यज्ञ इसी गांव में 10-15 मई 1999 में किया गया। इसी वर्ष 133 वर्ष की उम्र में 3 दिसंबर को जीते जी बक्सर में समाधि लिए। आज भी यह गांव इनके आदर्शों के कारण अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। इनके जन्मोत्सव के अवसर पर क्षेत्र के सिसराढ़, बिजौली, हेठुआ, मडनिया के अलावा अन्य गांव से पहुंची कीर्तन मंडलियों ने भजन कीर्तन किया। मौके पर विशिष्ट मिश्र, मणिधर चौबे, कन्हैया सिंह, धनजी चौबे, पूर्व मुखिया गिरजा शंकर सिंह के अलावा अन्य लोग मौजूद थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.