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    सूरज की तपिश से मिलेगी हरित ऊर्जा की छाया

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 24 Nov 2018 04:23 PM (IST)

    न पेट्रोल-डीजल हमेशा रहने वाले हैं और न ही कोयला इस सदी के बाद मिलने वाला है। ऐसे में धरती के साथ ताउम्र रहने वाले सूरज को ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत में इस्तेमाल करने की कवायद शुरू हो चुकी है। सूरज की तपिश से हरित ऊर्जा की छाया प्रदान के लिए बिजली विभाग ने खुद पहल की है। ऊर्जा वितरण केंद्रों पर सोलर सिस्टम लगा बिजली विभाग नजीर पेश कर रहा है।

    सूरज की तपिश से मिलेगी हरित ऊर्जा की छाया

    बक्सर । न पेट्रोल-डीजल हमेशा रहने वाले हैं और न ही कोयला इस सदी के बाद मिलने वाला है। ऐसे में धरती के साथ ताउम्र रहने वाले सूरज को ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत में इस्तेमाल करने की कवायद शुरू हो चुकी है। सूरज की तपिश से हरित ऊर्जा की छाया प्रदान के लिए बिजली विभाग ने खुद पहल की है। ऊर्जा वितरण केंद्रों पर सोलर सिस्टम लगा बिजली विभाग नजीर पेश कर रहा है। इसके उत्साहजनक परिणाम मिले हैं और विभाग में अपनी बिजली की खपत आधी रह गई है।

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    बिजली विभाग के डिवीजन कार्यालय की छत पर एक सिस्टम लगाया है, जो 15 किलोवाट बिजली की खपत को पूरा करती है। बल्कि, उसने अन्य ऐसे ही दो उपकरण चरित्रवन और औद्योगिक सब-स्टेशन के कंट्रोल रूम में लगाये हैं। जिनकी पावर क्षमता 5-5 किलोवाट की है। विभाग में इसके द्वारा बिजली का उपयोग ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम द्वारा लिया जा रहा है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ महीने इसे लगे हुए हैं, लेकिन इससे पूरी क्षमता से ग्रिड को बैकअप मिल रहा है। सौर्य ऊर्जा सिस्टम कैसे करता है काम सौर्य ऊर्जा सिस्टम के लिए सोलर पैनल की मदद लेनी पड़ती है। जो सूर्य की ऊर्जा को करंट में प्रवाहित करती है। इसके माध्यम से दिन के समय में हम बिजली की काफी बचत कर सकते हैं। बल्कि, इसके माध्यम से बैटरी बैकअप द्वारा रात को भी काफी हद तक बिजली की बचत कर सकते हैं। सोलर पैनल दो प्रकार से सेट किए जाते हैं, एक ऑन-ग्रिड और दूसरा ऑफ-ग्रिड। ऑन ग्रिड सोलर सिस्टम इस सोलर सिस्टम का इस्तेमाल वहां के लिए बेहतर है जहां पर बिजली पर्याप्त मिलती हो। क्योंकि, इस सिस्टम में बैटरी को उपयोग में नहीं लिया जाता। अधिकारी का कहना है कि यह सिस्टम बिजली के नहीं रहने पर काम नहीं करता। क्योंकि, पर्याप्त ऊर्जा का संचार बिजली के रहने पर ही होता है। परंतु, इससे बिजली की खपत काफी कम हो जाती है। इसे समझाते हुए अधिकारी ने बताया कि किसी सिस्टम से यदि पांच मेगावाट बिजली की सप्लाई हो रही है और उसमें एक मेगावाट का सोलर पावर इनपुट जोड़ दिया जाए तो आउटपुट में चार मेगावाट बिजली की ही खपत होगी। बिजली विभाग में इसी सिस्टम से बिजली का उपयोग लिया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम आए हैं और बिजली की खपत कम हुई है। इसमें केवल सोलर पैनल का इस्तेमाल होता है, इसलिए इसका रखरखाव भी जटिल नहीं है। असीमित सोलर एनर्जी का अभी काफी कम इस्तेमाल हुआ है। घरेलू और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में जहां बिजली की खपत ज्यादा है, वहां सूरज से मिलने वाली ऊर्जा को बिजली में जोड़ बिजली बिल को कम किया जा सकता है।

    पंकज कुमार सिन्हा, अधिकारी, गो-सोलर एनर्जी।