टिकट न मिलने पर साइलेंट मोड पर चले गए नेता जी, जनता पूछ रही कब आएगा 'नेटवर्क'
विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद कई नेता 'साइलेंट मोड' में चले गए हैं। टिकट के प्रबल दावेदार रहे ये नेता पार्टी की गतिविधियों से दूर हैं और सार्वजनिक रूप से चुप्पी साधे हुए हैं। वे अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं और उन्हें लग रहा है कि पार्टी ने उनका सम्मान नहीं किया।
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
जागरण संवाददाता, बक्सर। विधानसभा टिकट बंटने के बाद सक्रिय युवा नेता की राजनीति में मौन काल आ गया है। प्रमुख दलों के कई प्रमुख नेता अचानक साइलेंट मोड पर चले गए हैं।
खासकर वह नेता जो खुद का टिकट का दावेदार मान रहे थे। अब उनको लगता है कि पार्टी ने उनके सम्मान का तनिक ख्याल नहीं किया। अपने राजनीतिक भविष्य को जिंदा रखने के लिए अब उन्हें सार्वजनिक मौन ही उचित साधन लग रहा है। नाराज तो कम, लेकिन मायूस अधिक हैं। इसलिए नेताजी 'राजनीतिक व्रत' पर हैं।
उनके इस व्रत के दो साध्य हैं। इसलिए वह सार्वजनिक तौर पर भले कोपभवन में हैं, लेकिन उनके विचार मतदाताओं के बीच माहौल बना रहे हैं। चरित्रवन में रहने वाले अभिषेक ओझा के अनुसार, साइलेंट मोड में जाने वाले चेहरों में वे नेता शामिल हैं जो टिकट के प्रबल दावेदार बताए जा रहे थे।
इसलिए नेताजी टिकट की घोषणा के बाद न तो पार्टी की गतिविधियों में दिख रहे हैं और इंटरनेट मीडिया की पोस्ट में। हृदय ऐसा परिणाम चाहता है, जिसमें उनके लिए राजनीतिक गुंजाइश आज नहीं, तो कल ही सही, जिंदा रहे। इसलिए उन्हें अपने प्रत्याशी की हार में ही अपनी जीत नजर आ रही है।
बाबानगर के सुनील सिंह एक प्रमुख राष्ट्रीय दल का नाम लेकर कहते हैं कि पार्टी ने दशकों से अपना जीवन लगा रहे कार्यकर्ता को अनदेखा कर टिकट वितरण किया है, तो ऐसा होना स्वभाविक है।
चीनी मिल नई बस्ती के राजेश यादव दूसरी राजनीतिक पार्टी के एक प्रमुख नेता का नाम लेकर कहते हैं कि टिकट वितरण के मसले पर एक-दूसरे का खुलकर विरोध करने वाले अब एक साथ आने में असहज तो महसूस करेंगे ही। आम जनता इस बात का इंतजार कर रही है कि मतगणना के बाद शायद नाराज नेताजी का मौन खत्म हो।

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