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    Lieutenant Shubham Kumar: सिपाही का बेटा बना थल सेना में लेफ्टिनेंट, पिता की मौत के बाद भी नहीं टूटा हौसला

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 04:48 PM (IST)

    चौसा प्रखंड के सोनपा गांव के शुभम कुमार भारतीय थल सेना में लेफ्टिनेंट बने। शुभम की सफलता से गांव में जश्न का माहौल है उनके परिवार में देश सेवा की गौरवशाली परंपरा रही है। उनकी मां मीरा देवी ने पति के निधन के बाद भी शुभम को इस मुकाम तक पहुंचाया। समाजसेवियों ने शुभम को बधाई दी और युवाओं को उनसे प्रेरणा लेने को कहा।

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    शुभम कुमार बने थल सेना में लेफ्टिनेंट। फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, राजपुर (बक्सर)। चौसा प्रखंड के सोनपा गांव निवासी शुभम कुमार का चयन भारतीय थल सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में हुआ है। शुभम की इस उपलब्धि से उनके गांव में जश्न का माहौल है।

    उनके परिवार में देश सेवा की गौरवशाली परंपरा रही है। उनके पिता स्वर्गीय जयराम चौधरी भारतीय सेना में सिपाही के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं, जबकि बड़े पिता रमैया चौधरी भी सेना में रहे हैं।

    उनकी मां मीरा देवी ने पति के निधन के बाद अपने बच्चों को मजबूत संस्कार और उच्च आदर्शों के साथ पाला। उनकी मेहनत और समर्पण ने शुभम को इस मुकाम तक पहुंचाया। उनका छोटा भाई डॉ. शिवम कुमार वर्तमान में केरल में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।

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    बचपन से ही पढ़ाई में थे तेज

    शुभम की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव में हुई, जहां वे बचपन से ही पढ़ाई में तेज और अनुशासित रहे। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की कठिन परीक्षा पास की और तीन वर्ष तक कठोर सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया।

    शनिवार को गया स्थित ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) में पासिंग आउट परेड के बाद शुभम को भारतीय थल सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया गया।

    शुभम की मां मीरा देवी ने बताया, "बचपन से ही उनका सपना सेना में अधिकारी बनने का था। पिता के निधन के बाद भी हमने उनके सपनों को टूटने नहीं दिया। उन्हें पढ़ाई और सपनों को पूरा करने की पूरी छूट दी गई।"

    सफलता पर मिली बधाई

    समाजसेवी मकरध्वज सिंह, कुमार और राजू सिंह सहित अन्य लोगों ने शुभम को बधाई देते हुए कहा कि उनकी इस सफलता से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। शुभम की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे बक्सर जिले को गर्व का अवसर प्रदान किया है।

    वर्तमान में उनका परिवार बक्सर के मल्लाह चकिया हवाई अड्डा के पास रहता है। उनकी इस सफलता ने क्षेत्र के युवाओं के लिए एक नया उदाहरण स्थापित किया है।