नवरात्र में माता रानी का हाथी पर हो रहा आगमन, इस बार चतुर्थी 2 दिन; जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि का आरंभ 22 सितंबर से हो रहा है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार इस दौरान माँ दुर्गा की पूजा करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। चतुर्थी तिथि दो दिन होने से कुष्मांडा देवी के दो दिन दर्शन होंगे। कलश स्थापना 22 सितंबर को अभिजीत मुहूर्त में करना शुभ है। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है।

गिरधारी अग्रवाल, बक्सर। सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है, दुर्गा सप्तशती में ही भगवती ने कहा है की जो शरद काल की नवरात्र में मेरी पूजा आराधना और मेरे चरित्र का पूरा पाठ करता अथवा सुनता है, उसे मैं सभी बाधाओं से मुक्त कर धन-धान्य आदि से संपन्न करती हूं।
इसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विभिन्न तिथियों में पूजा व उपासना की जाएगी, जो 22 सितंबर से आरंभ होकर नवमी की 01 तारीख को दोपहर 2:35 से पहले हवन पूजन के साथ संपन्न होगी। इस बार चतुर्थी तिथि दो दिन रह रही है। सो भक्त कुष्मांडा देवी के दो दिन दर्शन करेंगे।
जानकारी देते हुए कर्मकांडी आचार्य अमरेंद्र कुमार मिश्र उर्फ साहेब पंडित ने बताया कि सप्तमी तिथि 29 तारीख को है। महाअष्टमी व्रत 30 को और इसी दिन दोपहर 1:45 बजे नवमी तिथि आ जा रही है। जो अगले दिन 01 अक्टूबर (बुधवार) को दिन में 2:35 मिनट तक रह रही है, सो महानवमी हवन-पूजन का कार्य बुधवार को दिन में 2:35 बजे से पहले ही कर लेना उचित रहेगा। कलश विसर्जन गुरुवार को होगा। पंडाल पूजा के आयोजक मूर्ति प्रवाह अपनी सुविधानुसार करेंगे।
अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापन शुभ कारक:
नवरात्र में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। आचार्य ने बताया कि 22 तारीख दिन सोमवार को कलश की स्थापना दिन में किसी भी समय की जा सकती है। लेकिन कलश स्थापना सुबह अथवा अभिजित मुहूर्त में करना अधिक सही होगा।
हाथी पर सवार होकर आएंगी मातारानी:
पंडित अमरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि देवी भागवत पुराण में मां भगवती के दिन के अनुसार आवागमन का फलादेश बताया गया है। उसके अनुसार सोमवार की प्रतिपदा तिथि में मातारानी का आगमन इस बार हाथी पर हो रहा है, जो सुख-समृद्धि व सुवृष्टि का सूचक है। वहीं, दशमी तिथि में गुरुवार को मातारानी मनुष्य पर सवार हो प्रस्थान करेंगी, जो सुख-समृद्धि एवं शांति का प्रतीक है।
तिथि अनुसार मां के स्वरूपों की पूजा
तिथि | नवरात्रि तिथि | दर्शन |
---|---|---|
22/9 | प्रतिपदा | मां शैलपुत्री दर्शन |
23/9 | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी दर्शन |
24/9 | तृतीया | मां चंद्रघंटा दर्शन |
25/9 | चतुर्थी | मां कुष्मांडा देवी दर्शन |
26/9 | चतुर्थी | मां कुष्मांडा देवी दर्शन |
27/9 | पंचमी | मां स्कंदमाता दर्शन |
28/9 | षष्ठी | मां कात्यायनीदेवी दर्शन |
29/9 | सप्तमी | मां कालरात्रि दर्शन |
30/9 | अष्टमी | मां महागौरी दर्शन |
01/10 | नवमी | मां सिद्धिदात्री दर्शन |
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