Shaadi Muhurt 2023: 29 जून से शादियों पर लगेगा ब्रेक, 5 महीने बाद निकाले जाएंगे वैवाहिक लग्न मुहूर्त
इस बार चातुर्मास पांच महीने का होगा। क्योंकि हिन्दू पंचांग के 12 महीनों में सावन इस बार दो महीने का हो रहा है। इसे अधिकमास भी कहते हैं। पंडित नरोत्तम द्विवेदी कहते हैं कि भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है। जो हर 32 माह 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है।

जागरण संवाददाता, बक्सर। जून महीने की आने वाली 29 तारीख दिन गुरुवार को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से हिंदुओं के वैवाहिक लग्न मुहूर्त पर ब्रेक लग जाएगा।
आचार्यों ने बताया कि इसके पांच माह बाद ही शादी-विवाह की रस्में पूरी की जा सकेंगी।
इस बाबत आचार्य अमरेंद्र कुमार शास्त्री ने बताया कि 28 तारीख की रात 10:50 बजे आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि का आगमन हो जा रहा है।
जो अगले दिन गुरुवार को रात्रि 10:33 बजे तक रह रही है। इसे देवशयनी एकादशी या श्री विष्णुशयनी एकादशी भी कहते हैं।
इस दिन सूर्य के मिथुन राशि में आने पर ये एकादशी आती है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ भी माना जाता है।
आचार्य ने कहा कि इस दिन से भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं और फिर लगभग चार माह बाद तुला राशि में सूर्य के जाने पर उन्हें उठाया जाता है, जिसे देवोत्थानी एकादशी कहा जाता है।
यह 23 नवंबर दिन गुरुवार को है और इस बीच के अंतराल को ही चातुर्मास कहा जाता है। इसके उपरांत 28 नवंबर से एक बार फिर से वैवाहिक शुभ लग्न मुहूर्त प्रारंभ हो जाएंगे।
इस बार पांच महीने का होगा चातुर्मास
इस बार चातुर्मास पांच महीने का होगा। क्योंकि हिन्दू पंचांग के 12 महीनों में सावन इस बार दो महीने का हो रहा है। इसे अधिकमास भी कहते हैं।
बकौल पंडित नरोत्तम द्विवेदी- भारतीय हिंदू कैलेंडर सूर्य मास और चंद्र मास की गणना के अनुसार चलता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है।
जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है।
क्या होता है अधिमास
भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है।
दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर हो जाता है।
इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अस्तित्व में आता है, जिसे अतिरिक्त होने के कारण अधिकमास या अधिमास का नाम दिया गया है।
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