राजपुर किला में दफन हैं अतीत के राज
बक्सर। अतीत की दहलीज पर ही वर्तमान की नींव खड़ी होती है। परंतु, हम अपनी विरासत को सहेजने
बक्सर। अतीत की दहलीज पर ही वर्तमान की नींव खड़ी होती है। परंतु, हम अपनी विरासत को सहेजने में कितने असंवेदनशील हैं, राजपुर का किला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। राजपुर प्रखंड मुख्यालय से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजपुर का किला वर्तमान पीढ़ी के बीच बिना अपनी पहचान बताये ही जमींदोज हो रहा है। राजपुर गांव में स्थित यह किला अब खंडहर हो चुका है और रात में लोग इसमें भूतों के रहने की अफवाह की वजह से उधर नहीं जाते हैं।
पुराने लोग बताते हैं कि यह किला कभी अंग्रेजी हुकूमत के का¨रदों के काम आता था। तब अंग्रेजी सरकार के कर्मचारी यहां बैठ लगान की रसीद काटा करते थे। हालांकि, किला भारत में अंग्रेजों के आगमन से पहले का बना हुआ है। इसकी पुष्टि इसकी बनावट से होती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इस किले पर पहले कोई राजा रहता था। बाद में अंग्रेजों का शासन हुआ तो यह उनके कब्जे में रहा।
मध्यकालीन है किले की बनावट
किले की बनावट इसके मध्यकालीन युग में बने होने का सुबूत देता है। किले का तल समतल जमीन से लगभग 10 फीटट उपर है। इसके नीचे का नींव लगभग 7 फीट मोटा है और लाहौरी ईंट से बना है। ईंट तीन इंच लम्बा, चार ईंच चौड़ा और एक ईंच मोटा है। इसकी जोड़ाई सुर्खी और चूने से की गई है। इसकी मजबूती आज भी देखते बनती है।
हर कमरे में तहखाना
इस किले में प्रवेश करने के लिए दो प्रवेश द्वार है, एक पूरब दिशा में है दूसरा उतर में है। सिढ़ीयां पत्थरों की बनाई गई है। मुख्य दरवाजे पर चौखट पत्थर का बनाया गया है जो आज भी सुरक्षित है। किले का उपरी भाग बिल्कुल ध्वस्त हो चुका है। आज भी इस किले की ऊंचाई लगभग 150 फिट के आसपास है। इस किले के निचले हिस्से में लगभग 19 फिट लम्बा और 15 फिट चौड़ा एक-एक करके चार कमरा है। सभी कमरे एक-दूसरे से जुड़ते हैं और इसकी दिवारों के चारों तरफ तहखाना है। इसी परिसर में उत्तर-पूर्व के कोन पर एक कुआं भी है, लेकिन उसमें मिट्टी भर गया है।
कहते हैं ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीण श्रीराम सेठ ने बताया कि आजादी के बाद भी काफी सालों तक इस कमरे में तहसीलदार रहते थे जो रसीद काटते थे। बाद में किले की स्थिति जर्जर होने पर वह कार्यालय यहां से हट गया। इससे पहले के बारे में जानकारी नहीं हैं।
कहते हैं अंचलाधिकारी
राजपुर के अंचलाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि यह किला लगभग 52 बिगहे में फैला है। जिसके कुछ हिस्से में एक तालाब खोदा गया है। शेष जमीन पर अतिक्रमण है, लेकिन इसका लिखित दस्तावेज किसी के पास नहीं है। इसकी खोज के लिए कर्मचारी को लगा दिया गया है।
बयान : इस किले का अवलोकन करने व इसका रख-रखाव सुनिश्चित करने के लिए पुरातत्व विभाग से जांच कराने का लिखित अनुरोध उन्होंने जिला मुख्यालय को भेजा है। किले के इतिहास के बारे में ज्यादा जानकारी पुरातत्व विशेषज्ञ की जुटा सकते हैं।
अजय कुमार ¨सह, प्रखंड विकास पदाधकारी, बक्सर।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।