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    बिहार के इस जिले में श्री राम ने खुद स्थापित किया था शिवलिंग, भोलेनाथ की आराधना के बाद स्वयंवर में तोड़ा धनुष

    By Girdhari AgrwalEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Sun, 09 Jul 2023 02:40 PM (IST)

    बक्सर रेलवे स्टेशन से लगभग दो किलोमीटर उत्तर प्रसिद्ध राम रेखा घाट के तट पर स्थित रामेश्वरनाथ मंदिर देश की प्रमुख आध्यात्मिक धरोहरों में से एक है। मंदिर के पुजारी विक्की बाबा बताते हैं कि त्रेता युग में प्रभु श्री राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ इसी स्थान से अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के साथ गंगा पार कर राजा जनक के दरबार में पहुंचे थे।

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    धनुष खंडन से पहले बक्सर में श्रीराम ने की थी शिव की आराधना

    गिरधारी अग्रवाल, बक्सर। नारद पुराण में सिद्धाश्रम (बक्सर जिले का पुराना नाम) को भगवान शंकर का तपोवन कहा गया है। इतना ही नहीं, बिहार की इस धार्मिक भूमि पर प्रभु श्रीराम और महर्षि विश्वामित्र समेत 88 हजार ऋषि-मुनियों के चरण पड़े हैं, जिनकी यह तपस्थली रही है। मोक्षदायिनी मां गंगा के उत्तरायणी प्रवाह के कारण यह मिनी काशी के रूप में भी विख्यात है।

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    बताते चलें कि बक्सर रेलवे स्टेशन से लगभग दो किलोमीटर उत्तर प्रसिद्ध राम रेखा घाट के तट पर स्थित रामेश्वरनाथ मंदिर देश की प्रमुख आध्यात्मिक धरोहरों में से एक है। मंदिर के पुजारी विक्की बाबा बताते हैं कि त्रेता युग में प्रभु श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ इसी स्थान से अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के साथ गंगा पार कर राजा जनक के दरबार में पहुंचे थे।

    सीता स्वयंवर में भाग लेने से पहले प्रभु श्रीराम ने अपने हाथों से यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी। उसके पश्चात उसकी पूजा-अर्चना कर जनकधाम के लिए प्रस्थान किए थे। यानी कि जनकपुर में माता सीता के लिए रचित स्वयंवर में रखे शिव धनुष का खंडन किए जाने से पहले प्रभु श्रीराम ने बक्सर में ही अपने इष्टदेव शिव की आराधना की थी।

    सावन में श्रद्धालुओं की लगती है लंबी कतारें

    प्राचीन मान्यता है कि इस मंदिर में पूरे भक्ति-भाव के साथ भगवान शिव की पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामना पूरी हो जाती है। वैसे तो सालों भर यहां धर्मावलंबियों की भीड़ होती है, लेकिन सावन के दौरान बाबा रामेश्वरनाथ की एक झलक पाने को श्रद्धालु बेताब रहते हैं।

    बाबा ब्रह्मेश्वर धाम, गुप्ताधाम समेत अन्य शिवालयों पर जाने वाले श्रद्धालु यहीं से पूजा-अर्चना कर गंगा जल के साथ जलाभिषेक के लिए प्रस्थान करते हैं। सावन में मंदिर के आसपास मेला का दृश्य बना रहता है। कहा जाता है कि बाबा के दरबार में आने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता है। शिवलिंग के सामने जो भी सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी कामना अवश्य पूरी होती है।

    प्रसिद्धि और लोकप्रियता में विकास जरूरी

    धार्मिक न्यास परिषद के सचिव रामस्वरूप अग्रवाल बताते हैं कि देश-विदेश से भी मंदिर के दर्शन-पूजन को श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। पंडितों द्वारा यहां के प्रांगण में महामृत्युंजय का जप-तप कार्य प्रायः बराबर ही चलते रहता है। यहां पर आने वाला प्रत्येक तीर्थयात्री अपने भाग्य को सराहता है।

    उन्होंने बताया कि समय-समय पर समिति द्वारा विकास का कार्य तो जारी है, परंतु इसकी प्रसिद्धि, महात्म्य एवं लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।