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    व्यवसायी राजेन्द्र केसरी हत्या में शेरू दोषी करार

    बक्सर। व्यवहार न्यायालय में जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप कुमार मलिक ने गुरुवार को राजेन्द्र केसर

    By Edited By: Updated: Thu, 12 May 2016 05:21 PM (IST)

    बक्सर। व्यवहार न्यायालय में जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप कुमार मलिक ने गुरुवार को राजेन्द्र केसरी हत्याकाण्ड मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी ओकार नाथ ¨सह उर्फ शेरू ¨सह के विरुद्ध आरोप सिद्ध पाया। मुकदमें की सुनवाई हेतु लोकअभियोजक नंद गोपाल प्रसाद, अपर लोक अभियोजक आनंद मोहन उपाध्याय व अशोक शर्मा की तीन सदस्यीय कमेटी का गठन की गयी थी। सजा सुनाने के लिए कोर्ट ने सोलह मई की तारीख मुकर्रर की है। इस मामले में शेरू का साथ चंदन मिश्रा, रौशन पांडेय व उसका चाचा दीनबंधु ¨सह को पहले ही उम्रकैद की सजा हो चुकी है।

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    कोर्ट में सुबह आठ बजे दोनों पक्ष के वकीलों के बीच मुकदमें पर बहस शुरु हुई। तीन घंटे तक लगातार चले दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद जिला जज 11 बजे नतीजे पर पहुंचे। इस दौरान लगभग साढ़े दस बजे एक ऐसा समय आया जब सभी को लगा की पूरी बाजी उल्टी पड़ गयी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने शेरू ¨सह को भादवी की धारा 120 बी कई लोग मिल कर अपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता मामले में उसे रिहा कर दिया। लेकिन, 302/34 में हत्या व आ‌र्म्स एक्ट में दोषी करार दिया। इन धाराओं में दोषी पाये जाने के बाद शेरू को अधिकतम फांसी व कम से कम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इस फैसले के परिणाम की जानकारी हेतु जिला एवं सत्र न्यायाधीश का कोर्ट खचा-खच भरा हुआ था।

    तीनों ने मिल कर मारी थी गोली

    21 अगस्त 2012 की सुबह 9 बज कर 5 मिनट पर शेरू ¨सह ने दुकान में घुस कर राजेन्द्र केसरी को गोली मार दी और फरार हो गया। इसमें दुकान के मुख्य गेट पर चंदन मिश्रा खड़ा था और लाल रंग की पल्सर बाइक पर रौशन मिश्रा खड़ा था। गोली मारने के तत्काल बाद शेरू ¨सह चंदन मिश्रा तत्काल फरार हो गये। हालांकि, घटना की तत्काल सूचना क्षेत्र के निवासियों ने थाने को दी थी। जिसमें नगर थानाध्यक्ष निशार अहमद ने तीनों को पीछा किया । लेकिन, वे सोहनी पट्टी सतीवाड़ा के पास बाइक छोड़ फरार हो गये थे। पुलिस ने पल्सर बाइक को जब्त कर लिया था।

    घंटे भर में दर्ज हुई प्राथमिकी

    घटना 9 बज कर 5 मिनट पर घटी 9 .20 में परिजन राजेन्द्र केसरी को ले कर अस्पताल पहुंचे वहा साढ़े नौ बजे चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके बाद पूरा शहर जैसे सुलग उठा। मौके की नजाकत को देखते हुए तत्कालीन आरक्षी अधीक्षक दलजीत ¨सह के निर्देश पर नगर थाने में आनन-फानन में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरु की गयी। मामले के अनुसंधान में कुख्यातों को सजा दिलाने में तत्कालीन एसपी की भी अहम भूमिका रही, जिन्होंने मामले के हर पहलुओं की फारहेंसिक व इलेक्ट्रानिक सूक्ष्म जांच करा आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत जुटाये।