भइल-ए मिथिला में शोर, आज सिया लाडली के छैन मटकोर
कोने-कोने से पधारे साधु-संतों व श्रद्धालुओं के स्वागत में पलक पावड़े बिछा दिए। उनकी सेवा व स्वागत में लोग अपने-अपने दरवाजों के सामने न केवल रंगोली बनाक ...और पढ़ें

बक्सर : सिय-पिय मिलन महोत्सव की 50वें स्वर्ण जयंती के महाआयोजन से बक्सरधाम की धरा गत आठ दिनों से आह्लादित हो रही है। महोत्सव स्थल से निकलने वाले मंगल गीतों की रसधारा से आसपास के इलाके तो ओतप्रोत हो ही रहे हैं। बल्कि, इसके कारण नया बाजार तथा आस-पास के इलाकों के हर घर में उत्सवी माहौल बन गया है। अहले सुबह रामचरितमानस के पाठ से जागकर राष्ट्रीय संत मोरारी बापू की अमृत कथा के साथ लोग देर शाम तक सिय-पिय मिलन के मधुर प्रसंग के साक्षी बन रहे हैं।
इसी क्रम में महोत्सव स्थल से शनिवार की दोपहर बाद श्रीराम बारात की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जिसके दर्शन को शहरवासी सड़क के किनारे उमड़ पड़े। बरात में शामिल देवताओं की मनोहारी झांकियां कलियुग में त्रेता युग का नजारा पेश कर रही थी। जिसके साक्षी बनने के लिए देश के कोने-कोने से साधु-संत व श्रद्धालु पहुंचे थे। श्रीराम बारात के इस अद्भुत नजारे की एक झलक पाने को बच्चे, बूढ़े या युवा दोनों तरफ सड़कों के किनारे पलक पांवड़े बिछाए उनकी राह निहार रहे थे। जिनमें महिलाओं की तादाद ज्यादा थी। श्रीराम बारात की शोभायात्रा के इस काफिले में शुभ के प्रतीक नेवला, काक भुसुंडी तो थे ही। श्रीगणेशजी, कार्तिकेय, शिव-पार्वती, ब्रह्मा, विष्णु-लक्ष्मी व शिव-पार्वती के अलावा देवराज इंद्र भी थे। इस कारवां में ऋषि-मुनियों के साथ मंत्री व अयोध्या नरेश दशरथ अलग-अलग रथों पर सवार होकर आकर्षण का केन्द्र बन रहे थे। जहां, जनक पूज्य संत श्रीनारायणदासजी भक्तमाली उपाख्य नेहनिधि मामाजी व उनके गुरू महर्षि खाकी बाबा सरकार के तैल चित्रों की झांकियां इस यात्रा की अगुवाई कर रही थी। वहीं, पीछे-पीछे बैंड बाजों के साथ बरातियों की टोली भजन गाते हुए झूमती-नाचती चल रही थी। आयोजन स्थल से चली बारात अपने पहले पड़ाव महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर पहुंची। जहां मंगल गीतों की गायन से माहौल रसमयी हो गया। वहां जाने के बाद परिसर स्थित महोत्सव के प्रणेता कीर्तिपूज्य श्री नारायणदास जी भक्तमाली उपाख्य साकेतवासी मामाजी के सद्गुरुपूज्य संत श्री खाकी बाबा के मंदिर में आश्रम के महंत श्री राजाराम शरण जी महाराज के सान्निध्य में पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद मंगल गीतों व गालियों के बीच दूल्हे बने चारों भाइयों की जमकर खातिरदारी हुई। आश्रम के परिकरों ने जीजा स्वरूप श्रीराम समेत चारों भाइयों से हंसी-ठीठोली कर बरातियों को खूब रिझाया। साथ ही, मंगल गाली गाकर दूल्हे की बोलती भी बंद कर दी। जिसे सुनकर दूल्हा श्रीराम समेत बाराती आनंद विभोर हो गए। इस रस्म को पूरा करने के बाद बाराती शहर के विभिन्न सड़कों से होते हुए मामाजी की जन्म स्थली पांडेयपट्टी पहुंचे। इधर, बरातियों के स्वागत को शहर में जगह-जगह रंगोलियां बनाई गईं थीं। बाराती जिस किसी रास्ते से गुजर रहे थे उनके आगवानी में पहले से खड़े श्रद्धालु रथों पर फूलों की बारिश कर रहे थे तथा भगवान श्रीराम की आरती उतार संतों को जलपान करा रहे थे। नगर भ्रमण के बाद दूसरे पड़ाव पांडेयपट्टी पहुंचने पर बरातियों को भोजन कराकर विवाह स्थल के लिए रवाना किया गया। बारात निकलने से पूर्व हुई रस्मअदायगी सिय-पिय मिलन महोत्सव के दौरान श्रीराम की बारात निकलने से पूर्व उन सभी रस्मों को पूरा किया गया। जिसका निर्वहन शादी से पूर्व किया जाता है। चारों राजकुमारों को भी अयोध्या में किए जाने वाले सारे रस्मों का निर्वहन मिथिला में ही कराया गया। भगवान श्रीराम की बारात रवाना होने से पूर्व महिलाओं ने हल्दी व मटकोड़ की रस्म अदायगी की। मटकोड़ के दौरान मिथिलांचल की मैथली भाषा में महिलाओं ने 'भइले मिथिला में शोर, आज सिया लाडली के छैन मटकोड़ .' गाकर लोगों को भाव-विभोर कर दिया। इस दौरान आनंद सगुन सुहावन हरदी लगावन हे. तथा हरदिया बड़ी पातर हे. आदि हल्दी गीतों को गाती हुई महिलाएं कुदाल से माटी की कुड़ाई की। फिर, जनक नंदनी सीता व भगवान श्रीराम समेत चारों भाईयों को हल्दी का लेप लगाकर मंगल परंपराओं को जीवंत किया।
मंगल गाली सुन निहाल हुए बराती
बारात के दौरान महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर में परंपरागत मंगल गीत व गालियां गाकर बरातियों को निहाल कर दिया गया। इस दौरान पूज्य संत भक्तमालीजी द्वारा रचित 'हवन बड़ा धीर हो पहुना के गरियईह जनि. आदि मंगल गाली गाकर मिथिला वासियों ने भगवान श्रीराम समेत चारों भाईयों की भरपूर खिचाई की। इन गीतों के माध्यम से भगवान के प्रति भक्ति की जो ससुराली रसधार बही, उसकी अनुभूति अनुपम थी। मिथिला की पारंपरिक मंगल गाली को सुनकर बाराती तथा संत व विद्वान भी भाव विभोर हो गए।
बक्सर में खातिरदारी के मुरीद हुए अतिथि
जासं, बक्सर : अतिथि सत्कार के मामले में भगवान वामन की जन्म स्थली व मर्हिष विश्वामित्र की तपस्थली बक्सर की कोई मिसाल नहीं है। त्रेता में भगवान श्रीराम द्वारा पांच ऋषियों के पास जाकर किए गए पंचकोसी परिक्रमा के क्रम में इसका पौराणिक उल्लेख भी मिलता है। जिसके मुताबिक आश्रमों पर जाने के बाद ऋषियों ने उनकी जी-जान से आवभगत की। अतिथि देवो भव: के अपने इस कर्तव्य का निर्वहन आज भी लोग बखूबी करते हैं। इसका नजारा उस समय देखने को मिला जब नगरवासी नया बाजार स्थित आश्रम से निकली श्रीराम बरात की शोभा यात्रा में शामिल देश के कोने-कोने से पधारे साधु-संतों व श्रद्धालुओं के स्वागत में पलक पावड़े बिछा दिए। उनकी सेवा व स्वागत में लोग अपने-अपने दरवाजों के सामने न केवल रंगोली बनाकर उनकी आगवानी किए, बल्कि रास्ते से गुजर रहे देव रथों पर पुष्प वर्षा भी कर रहे थे। उनके आवभगत में घंटों से प्रतिरक्षारत लोग आग्रह के साथ उन्हें जलपान कराने के लिए भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे थे। ऐसा देख, अन्य शहरों से पहुंचे श्रद्धालु काफी अभिभूत थे।
जगह-जगह भक्तों ने बना रखी थी आकर्षक रंगोली
जासं, बक्सर : श्रीराम बारात की शोभा यात्रा को लेकर शनिवार को शहर सजा हुआ नजर आया। खासकर नया बाजार इलाके में तो इसको लेकर अलग ही धूम थी। लोगों ने अपने-अपने घरों के आगे रंगोली बना बरातियों का स्वागत किया। जो एक से बढ़कर एक आकर्षक व मनमोहक रंगोली घर की बच्चियों ने बना रखी थी। इन लोगों ने बताया कि वैसे तो इस दिन पूरे शहर में उत्सव सा माहौल रहता है। लेकिन, नया बाजार इलाके में इसकी बात ही निराली है। जहां, हर घर के चौखट पर रंगोली सजी नजर आती है। वहीं, कई जगह कलश पर जलते दीपक को स्थापित किया गया था। इस इलाके में इसकी बानगी देखते बनती है। यहां बताते चलें कि श्रीराम की बारात चूंकि पूरे नगर को भ्रमण करती है लिहाजा, पूरे नगर की सड़कों की साफ-सफाई के साथ-साथ प्राय: हर जगह की सड़कों को पानी से धोकर चकाचक कर दिया जाता है और जगह-जगह बरात का स्वागत किया जाता है। इसके लिए लोग घरों के आगे सड़कों पर रंगोली बनाते हैं तो बरात के गुजरने के दौरान शहर के प्रत्येक घर से पुष्प की वर्षा भी की जाती है।
आज होगा विवाह प्रसंग का आयोजन
जासं, बक्सर : रविवार को सिय-पिय मिलन महोत्सव के दौरान श्री राम विवाह प्रसंग का भव्य आयोजन कार्यक्रम स्थल पर किया जाएगा। जिसमें आश्रम के परिकरों द्वारा शाम 7 बजे से विभिन्न लीलाओं का मंचन किया जाएगा। इसके बाद अगले दिन सोमवार को रामकलेवा कार्यक्रम के पश्चात सिय-पिय मिलन इस दस दिवसीय महोत्सव को विश्राम दे दिया जाएगा।

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