नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय..
बक्सर सावन की दूसरी सोमवारी की भोर में ढोल डमरू और घंट-घड़ियाल की निकल रही ध्वनि

बक्सर : सावन की दूसरी सोमवारी की भोर में ढोल, डमरू और घंट-घड़ियाल की निकल रही ध्वनि की स्पंदन से श्रीनाथ घाट व प्रसिद्ध एवं पौराणिक रामरेखाघाट समेत जिले के अन्य शिवालयों का पूरा परिसर भक्तिमय बना हुआ था। जहां, सैकड़ों की संख्या में पहुंचे भक्त शिव पंचाक्षर स्तुति नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय.. की महाजाप कर रहे थे। वहीं, मंदिर के पुजारियों के हाथों चंदन से तीन रेखाओं का त्रिपुंड भक्तों ने अपने माथे पर धारण किया। शिवालयों में दर्शन-पूजन को भक्तों का तांता पूरे दिन लगा रहा।
इस दौरान गंगा घाटों पर स्नानर्थियों का हुजूम तड़के से ही लगा हुआ था। पुरुष के साथ-साथ काफी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं। स्नान करते समय श्रद्धालुओं ने सबसे पहले भगवान भास्कर को जल अर्पित किया। इसके बाद घाट समीप शिवालयों में पहुंचकर शिवलिग पर विल्वपत्र, फूल, फल, धतूरा, भांग, धूप-दीप चढ़ाकर शहद, दूध, घृत व पवित्र गंगाजल आदि के साथ श्रद्धाभाव से अपने सामथ्र्यानुसार अभिषेक किए। इन सभी कार्यों में शिवालयों में मौजूद पुजारियों ने भक्तों का भरपूर सहयोग किया। वहीं, भक्तों ने भी अपने सामथ्र्यानुसार दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वचन लिया। मौके पर भीड़ को व्यवस्थित करने में धार्मिक न्यास परिषद के स्वयंसेवक भी मदद कर रहे थे। रामेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी लक्की बाबा ने बताया की दोपहर ग्यारह बजे तक लगभग तीस हजार से ऊपर श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ का दर्शन-पूजन किया है। अभी भी शिवभक्तों का आना मंदिर में जारी है। पातालेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी रामेश्वरनाथ पंडित ने बताया की महादेव के जलाभिषेक को श्रद्धालुओं के आने का तांता तड़के से ही लगा हुआ है। वहीं, श्रद्धालुओं द्वारा महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कराया जा रहा है। कमोबेश यही स्थिति सोहनीपट्टी स्थित गौरीशंकर मंदिर, सिविल लाइंस स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, जेल रोड स्थित सुमेश्वर नाथ मंदिर, संगमेश्वर नाथ मंदिर, वामनेश्वर महादेव मंदिर, चरित्रवन स्थित पंचमुखी महादेव मंदिर आदि में बना हुआ था। इंसेट,
क्यों लगाते हैं माथे पर त्रिपुंड शिव के भक्त
सावन में मंदिरों के पुजारी पहुंचने वाले भक्तों के माथे पर अपने तीन अंगुलियों की मदद से अमूमन चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। कहा जाता है की त्रिपुंड की ये तीन रेखाएं कोई साधारण रेखाएं नहीं होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन तीन रेखाओं में 27 देवताओं का वास होता है, यानी प्रत्येक रेखाओं में 9 देवताओं का वास होता है। बतौर लक्की बाबा- पहली रेखा में अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रिया शक्ति, प्रात:स्वन, महादेव और दूसरी रेखा में ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा, महेश्वर जी का नाम आता है तथा त्रिपुंड की तीसरी रेखा में मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीयसवन एवं शिव जी वास करते हैं। इंसेट,
भक्तों की पुकार सुन दोपहर बाद मेघराज बरसे
सावन की दूसरी सोमवारी की दोपहर मेघराज इंद्र ने धरती को भिगोया। मानों भक्त की पुकार सुनकर वर्षा की छींट किए हों। हालांकि, सुबह से धरती पर अच्छी-खासी पड़ रही धूप से वर्षा होने की उम्मीद कतई नहीं लग रही थी लेकिन एकाएक बादलों ने आसमान को पूरी तरह से घेर लिया और तकरीबन 20 मिनट धरती को भिगोए। कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस दौरान 13.8 मिलीमीटर वर्षा हुई है। हालांकि, इस तरह से हुई मामूली वर्षा को किसानों ने अनुपयोगी बताया है। कहा कि जो पानी गिरा है वो 24 घंटे से पूर्व ही सूखते दिखेगा। जबतक कि दो-चार दिन जमकर वर्षा नहीं होगी धान फसल की रोपाई करना संभव नहीं है। इंसेट,
आज है शिवरात्रि
सावन में सोमवार के साथ-साथ शिवरात्रि का भी विशेष महत्व है। पंडितों के अनुसार शिवरात्रि को लेकर मंगलवार को भी श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ रहेगी। उन्होंने कहा कि इस दिन को भी भगवान शिव का रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करने का बहुत अधिक महत्व है। शिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने से जहां व्यक्ति के सभी संकट दूर होते हैं। वहीं, इस दिन व्रत का पालन करने से मनुष्य को शिवलोक की प्राप्ति होती है। साथ ही, जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिलती है। धार्मिक कथा के अनुसार शिवरात्रि का व्रत रखने से मनुष्य अगले जन्म में उत्तम कुल में जन्म लेता है और राजा के समान जीवन जीता है।
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