IITians प्लास्टिक कचरे को बना रहे उपयोगी, लाखों की नौकरी छोड़कर चुन ली अलग राह
Bihar News बिहार के एक गांव के युवा मैकेनिकल इंजीनियर ने प्लास्टिक के कचरे से अपनी और दूसरों की लाइफ में बड़ा बदलाव लाने का काम किया है। बक्सर जिले के संजीत राय लाखों की नौकरी छोड़कर अपने गांव आए और यहां करोड़ों के टर्नओवर वाली कंपनी खड़ी कर दी। इतना ही नहीं वह कई युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं।

अनिल कुमार ओझा, डुमरांव (बक्सर)। बिहार के बक्सर जिले के ढकाइच गांव के युवा मैकेनिकल इंजीनियर संजीत राय ने प्लास्टिक कचरे के उन्मूलन का रास्ता निकाला, बल्कि इसे वरदान में बदलकर दर्जनों लोगों को रोजगार भी दिया।
वर्ष 2013 से 2017 के बीच चेन्नई से आइआइटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद आस्ट्रेलिया में प्लेसमेंट के अवसर को ठुकराकर वह अपने गांव लौटे और प्लास्टिक कचरे से पानी की टंकी, डस्टबिन, बेंच, डेस्क, टेबल, बुक शेल्फ और पार्क बेंच बनाने का स्टार्टअप राय इंडस्ट्रीज के नाम से शुरू किया।
आज उनका यह प्रयास बिहार और झारखंड के बाजारों में खूब बिक रहा है, जिससे लाखों रुपये की वार्षिक कमाई हो रही है। उनकी दो कंपनियों को मिलाकर सालाना टर्न ओवर करीब पांच करोड़ का है।
घाटे के बाद पीएमजीएसवाई से मिला संबल
संजीत ने गांव-गांव में बढ़ते प्लास्टिक कचरे के उन्मूलन के लिए उसे उपयोगी बनाने का निश्चय किया। अपनी जमा पूंजी, परिवार व मित्रों के सहयोग से ढकाइच में एक रिसाइकिलिंग प्लांट स्थापित किया।
प्रारंभ में 30 बेरोजगार युवाओं को प्लांट में नौकरी दी, इसी बीच कोरोना का प्रकोप शुरू हो गया, प्लांट बंद करना पड़ा, इससे उन्हें लगभग 80 लाख रुपये का घाटा हुआ।
संजीत को लगा कि उनका प्रोजेक्ट बीच में ही रुक जाएगा, लेकिन पीएमजीएसवाई से 1.5 करोड़ की आर्थिक सहायता मिली, जिसने हमें फिर से खड़ा किया।
मुख्यमंत्री ने भी की सराहना
गत दिनों प्रगति यात्रा के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संजीत राय के इस नवाचारी प्रयास की सराहना की। संजीत का लक्ष्य बक्सर को प्लास्टिक मुक्त करना है।
उन्होंने बिहार सरकार को सिंगल यूज प्लास्टिक के पुनर्उपयोग को लेकर एक योजना बनाकर दी है। उनका कहना है कि सरकार अगर इस योजना को स्वीकार कर ले तो सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
वह बताते हैं कि आइआइटी की पढ़ाई के दौरान सातवें सेमेस्टर में ही उनका और उनके कई साथियों का कैंपस सेलेक्शन हो गया।
सस्ती और टिकाऊ है प्लास्टिक की ईंट
संजीत कहते हैं, सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी ईंटें मिट्टी की ईंटों से सस्ती, मजबूत और टिकाऊ होती हैं। मिट्टी की ईंट की लागत लगभग पांच रुपये है, जबकि प्लास्टिक ईंट तीन रुपये में तैयार हो जाती है।
ये रंगीन पेबर ब्रिक्स हल्की, मजबूत और पर्यावरण के लिए सुरक्षित हैं, जिन्हें विभागीय जांच के बाद जल्द बाजार में उतारा जाएगा।
सिंगल यूज प्लास्टिक से बन रहे उपयोगी उत्पाद
राय इंडस्ट्रीज सिंगल यूज प्लास्टिक को रिसाइकिल कर तमाम उत्पाद बनाता है। कच्चा माल कोलकाता और रांची से मंगवाया जाता है। बक्सर की कबाड़ी दुकानों से हर माह 30 टन प्लास्टिक खरीदा जाता है।
यहां से पंचायती राज विभाग को लाइब्रेरी के लिए बेंच, डेस्क और बुक शेल्फ की आपूर्ति की गई है। गत वित्तीय वर्ष में टर्नओवर आठ करोड़ रुपये रहा।
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