रहमतुल्लाह अल्लैह की दरगाह पर बनाया प्रभु श्रीराम का प्रसाद, पंचकोसी में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द का अनुपम दृश्य
उत्तर प्रदेश के पंचकोसी में रहमतुल्लाह अल्लैह की दरगाह पर प्रभु श्रीराम का प्रसाद बनाया गया। इस पहल ने हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच सौहार्द का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। दोनों समुदायों के लोगों ने मिलकर प्रसाद बनाया और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया। इस घटना ने भारत की विविधता और एकता को दर्शाया।
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रहमतुल्लाह अल्लैह की दरगाह पर बनाया प्रभु श्रीराम का प्रसाद। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, बक्सर। पंचकोसी महोत्सव में गुरुवार को रहमतुल्लाह अल्लैह की दर पर श्रीराम का प्रसाद लिट्टी-चोखा आस्था के समंदर में आपसी सौहार्द और प्रेम की गाथा बयां कर रहा था। दरअसल किला मैदान के आसपास सबसे अधिक भीड़ थी।
इस कारण श्रीराम को नमन करने आए श्रद्धालुओं ने एकांत जगह देखकर दरिया शहीद बाबा के मजार के प्रांगण में भी डेरा डालकर श्रद्धा और विश्वास के साथ लिट्टी-चोखा का प्रसाद बनाए और ग्रहण किए।
मेले में लोगों के पहुंचने का क्रम तड़के से ही जारी था। श्रद्धालुओं से किला मैदान के अलावा नाथ बाबा घाट, रानी घाट, बुढ़वा घाट समेत सुमेश्वर घाट, सिपाही घाट आदि स्थलों के आसपास भी भक्तजन लिट्टी की सिंकाई कर रहे थे।
इस दौरान व्यंजन में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों के लिए दर्जनों अस्थाई दुकानें भी खुली हुई थीं। मेले में खाने-पीने के सामानों के अलावा शृंगार प्रसाधन और खिलौने भी बिक रहे थे। मौके पर बैलून बेच रहे मोहम्मद अली का कहना था कि लिट्टी-चोखा मेले में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटी है।
श्रद्धालुओं की अधिक जुटी भीड़ देख बिक्री भी खूब होने की उम्मीद है। यही बात ठेला पर सब्जियां बेच रहा दीपक बता रहा था। लगातार तीन साल से मेले में दम है, सुबह से लोगों का तांता लगा हुआ है।
मेले में सबसे अधिक संख्या महिलाओं की दिख रही थी। दरिया बाबा के मजार परिसर में लिट्टी सेंक रही दावथ (दिनारा, रोहतास) की मंजू व सुषमा देवी का कहना था कि यहां एकांत जगह देखकर वे लोग आ गए।
वे बता रही थीं कि इस उत्सव में बिहटा और फतुहा से भी उनके रिश्तेदार पहुंचे हुए हैं, जो एक दिन पहले ही यहां आ गए थे। वहीं, मोहनिया से आए शिवनंदन प्रसाद ने बताया कि विगत कई वर्षों से वो इस मेले में लगातार परिवार के साथ शिरकत करते आ रहे हैं और यहां आकर लिट्टी बनाना और मैदान में सबके साथ मिलकर खाने का आनंद ही अलग होता है।
गाजीपुर के महेश यादव, रसड़ा के राजेश शर्मा, बलिया के देवेंद्र सिंह, रुना पांडेय आदि ने कहा कि ट्रेन से उतर कर इस रास्ते से आनाजाना बराबर लगा रहता है। सो इस मेला का नाम पहले से ही काफी सुना हुआ था और जितना सुना था उससे बढ़कर पाया है। धन्य हैं इस विश्वामित्र भूमि के लोग जिन्हें ऐसे आयोजनों में बराबर शिरकत करने का मौका मिलता है।

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