सरकारी योजनाओं में लगेंगी फ्लाई-ऐश से बनीं ईंटें
मिट्टी का खनन रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी सरकारी योजनाओं में फ्लाई-ऐश से बनीं ईंटें इस्तेमाल में लाई जाएंगी। भवन निर्माण विभाग ने जिले में पत ...और पढ़ें

बक्सर। मिट्टी का खनन रोकने और पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी सरकारी योजनाओं में फ्लाई-ऐश से बनीं ईंटें इस्तेमाल में लाई जाएंगी। भवन निर्माण विभाग ने जिले में पत्र जारी कर सभी भवनों के निर्माण में इस आदेश का पालन करने को कहा है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आपत्ति जताने के बाद भवन निर्माण विभाग ने चिमनी उत्पादित लाल ईंट के प्रयोग पर रोक लगा दी गई है।
भवन निर्माण विभाग के इंजीनियरों की मानें तो फ्लाई ऐश ईंट के प्रयोग से लागत में 30 प्रतिशत की बचत होती है। इसके निर्माण में प्रदूषण नहीं होता है। मजबूती के मामले में भी यह लाल ईंट की अपेक्षा तीन गुना अधिक सशक्त होता है। चिमनी के ईंट की अपेक्षा इस ईंट के प्रयोग से सरकार के खजाने पर योजनाओं को लागू करने में लागत कम आती है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश के आलोक में कहा गया है कि किसी भी सरकारी योजनाओं के निर्माण कार्य में शत-प्रतिशत फ्लाई ऐश ईंट का उपयोग करना है। लिहाजा, भवन निर्माण विभाग ने निर्माण कार्य योजनाओं में फ्लाई ऐश ईंट का उपयोग ²ढ़ता से सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। हालांकि, फिलहाल आदेश को तरक पर रख 95 फीसद चिमनी भट्ठों पर लाल ईंट का निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है। हालांकि, फ्लाई-ऐश से ईंट बनाने में फायदा है कि इसका निर्माण सालों भी किया जा सकता है। जबकि, मिट्टी से ईंट बनाने का काम बरसात और अत्यधिक ठंड में बंद करना पड़ता है।
फ्लाई-ऐश से निर्माण में फायदा
ईंट भट्ठा व्यवसाय से जुड़े शैलेन्द्र कुमार ऊर्फ विपुल चौबे ने बताया कि वे वर्ष 1966 से लाल ईंट के निर्माण से जुड़े थे, लेकिन सरकारका नया आदेश आते ही उन्होंने अपने भट्ठे को फ्लाई-ऐश से निर्माण के मुताबिक अपग्रेड कर लिया। उन्होंने बताया कि सरकारी योजनाओं में इस ईंट की मांग हैं। जबकि, आम लोगों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है। शैलेंद्र चौबे ने बताया कि ईंट निर्माण के लिए थर्मल पावर से कोयला का राख (फ्लाइ ऐश) मंगाया जाता है। इस ईंट के निर्माण से मकान बनाने में पानी का भी उपयोग कम होता है। वहीं, ईंट को जोड़ने में सिमेंट-बालू की खपत कम होती है और भवन निर्माण का लागत खर्च कम होता है।

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