Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Buxar News: किसानों का सपना अधूरा, गोकुल ग्राम परियोजना आठ साल से अधर में, परियोजना अटकी

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 06:16 AM (IST)

    डुमरांव में गोकुल ग्राम परियोजना 2017 से अधर में है, जिससे किसानों की उम्मीदें टूट गई हैं। केंद्र सरकार ने देशी गायों के संरक्षण और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए यह योजना शुरू की थी, लेकिन धन की कमी के कारण काम रुक गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि गोवंश संरक्षण केवल चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है, और परियोजना प्रशासनिक उदासीनता का शिकार है।

    Hero Image

    डुमरांव में गोकुल ग्राम परियोजना आठ साल से अधर में, किसानों के सपने अधूरे। फोटो जागरण

    अरुण विक्रांत, डुमरांव (बक्सर)। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत बक्सर के डुमरांव में स्वीकृत गोकुल ग्राम परियोजना पिछले आठ वर्षों से लटकी हुई है।

    वर्ष 2017 में केंद्र सरकार द्वारा मंजूर इस परियोजना का शिलान्यास तत्कालीन सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने नवंबर 2017 में हरियाणा फार्म में किया था।

    उस समय स्थानीय किसानों और नागरिकों में उम्मीद जगी थी कि यह परियोजना उनके लिए समृद्धि का नया द्वार खोलेगी, लेकिन यह सपना अधूरा रह गया।

    परियोजना के तहत 2017 से 2019 के बीच करीब पांच करोड़ रुपये की लागत से हरियाणा फार्म स्थित पशु प्रजनन प्रक्षेत्र में देशी गायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य शुरू हुआ था।

    इसमें गायों के लिए शेड की मरम्मत, नए शेड और प्रशासनिक भवन का निर्माण व मरम्मत शामिल थी। हालांकि, इसके बाद राशि की कमी का हवाला देकर निर्माण कार्य रोक दिया गया, जो आज तक प्रगति के अभाव में ठप पड़ा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केंद्र सरकार ने देश में पांच गोकुल ग्राम स्थापित करने की योजना बनाई थी, जिसमें डुमरांव भी शामिल था। इसका मुख्य उद्देश्य देशी गोवंश की नस्ल सुधार कर दूध उत्पादन बढ़ाना था।

    इसके तहत दो कृत्रिम गर्भाधान केंद्र भी स्थापित किए जाने थे। हरियाणा फार्म के तत्कालीन प्रबंधक फतेहुजमा के अनुसार, इस परियोजना का संचालन राज्य सरकार के पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी थी, लेकिन राशि की कमी के कारण कार्य रुका हुआ है।

    चुनावी मुद्दा बनकर रह गया गोवंश संरक्षण

    स्थानीय लोगों का कहना है कि गोवंश संरक्षण और संवर्धन का मुद्दा चुनावी मौसम में जोर-शोर से उठता है, लेकिन धरातल पर कोई प्रगति नहीं दिखती।

    गोकुल ग्राम परियोजना की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाती है, बल्कि क्षेत्र के किसानों की उम्मीदों पर भी कुठाराघात है।

    आगे की राह

    इस परियोजना के पूर्ण होने से न केवल स्थानीय किसानों को लाभ होगा, बल्कि दूध उत्पादन में वृद्धि से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस परियोजना को प्राथमिकता देकर इसे पूरा करेगी, या यह केवल कागजों और चुनावी वादों तक सीमित रह जाएगी?