पटाखों में ब्रांड के नाम पर ग्राहक बन रहे मुर्गा
किसी की प्रसिद्धि अपने गुण और विशेषता से होती है। बाजार में यही प्रसिद्धि पटाखों के व्यापार में भी मिली। जब एक दौर में मुर्गा ब्रांड के पटाखे लोगों की जुबान पर होते थे।
बक्सर । किसी की प्रसिद्धि अपने गुण और विशेषता से होती है। बाजार में यही प्रसिद्धि पटाखों के व्यापार में भी मिली। जब एक दौर में मुर्गा ब्रांड के पटाखे लोगों की जुबान पर होते थे। ़िफलहाल, इस ब्रांड के पटाखे दुकानों पर कम ही देखने को मिल रहे हैं। जो हैं उनके भाव भी अन्य ब्रांडों की तुलना में काफी अधिक हैं। जिसे खरीदना सभी के लिए मुनासिब नहीं। कारोबारी भी इस ब्रांड की चर्चा करने में दिलचस्पी लेते नहीं दिखाते। दबी जुबान से क्वालिटी को तरजीह तो देते हैं। लेकिन अन्य को उससे कम भी नहीं बताते हैं। इनके भाव पर गौर करें तो बिड़िया बम को ही लें जहां, मुर्गा छाप (सौ दाना) के एक पैकेट की कीमत 60 रुपये है। वहीं, मोरी, चिदंबरम, अशोक आदि ब्रांड के 15 से 45 रुपये प्रति पैकेट की दर से बेचे जा रहे हैं। कारोबारी पंकज आर्य, लल्लू केशरी, शंकर केशरी आदि का कहना है कि फुलझड़ी, चकरी, रॉकेट, अनार आदि कमोवेश सबों के भाव औसतन इसी प्रकार से हैं। बाजार में नहीं उतरे हैं ग्रीन पटाखे
़िफलहाल, यहां के व्यापारी ग्रीन पटाखा की परिभाषा से अनजान हैं। पूछे जाने पर ग्रीन रोशनी वाली चरखी, फुलझड़ी, अनार आदि दिखाते हैं। हालांकि, इनके डब्बों पर ग्रीन पटाखा भी लिखा हुआ है। गोला बाजार के अंकित कुमार ने कहा कि ग्रीन पटाखा नाम की कोई चीज सुनने को मिली है। अभी होल सेल की मंडी में यही मिल रहे हैं, सो यही बेच रहे हैं। जब वे आने लगेंगे तो उसे भी बेचा जायेगा। पर्यावरण के लिहाज से सुरक्षित हैं ग्रीन पटाखे
बताते हैं कि पर्यावरण की लिहाज से ग्रीन पटाखे अधिक सुरक्षित हैं। इससे प्रदूषण कम होता है। सामान्य पटाखों की तरह दिखने वाले इन पटाखों को जलाने से नाइट्रोजन और सल्फर ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन कम होता है। धुआं और आवाज भी दूसरे पटाखों के मुकाबले कम होते हैं। इसके उत्पादन में एक ़खास रसायन का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, बाजार में यह अभी उपलब्ध नहीं हो सका है। इस कारण कहीं बिकते भी नहीं दिख रहे। पटाखों की सेल से संतुष्ट हैं कारोबारी
़िफलहाल, मोहल्ले वाइज खुदरा पटाखा विक्रेताओं ने अपने स्टॉल नहीं संजोए हैं। धनतेरस से एक-दो दिन पूर्व यानि 3-4 तारीख से लगाने की बात बताई जा रही है। कारोबार से जुड़े अजित का कहना है कि मूल रूप से इसका खुदरा व्यवसाय तीन-चार दिनों का ही होता है। गत वर्ष की तुलना में भाव को लेकर बताया कि जीएसटी और ट्रांसपोर्ट भाड़े में हुई बढ़ोतरी को लेकर 10 फीसद की तेजी आई है। एक नजर पटाखों के रेट पर
1. चकरी - मुर्गा छाप (45 सीएम) - 90 रुपये (10 नग) अन्य ब्रांड 40 से 70 रुपये 2. रॉकेट बम - मुर्गा छाप साइज वाइज - 110, 180, 250 रुपये (10 नग) 3. हाइड्रो बम - मुर्गा छाप 70 रुपये प्रति डब्बा (10 नग) 4. क्लासिक बम - 140 रुपये प्रति डब्बा (10 नग) 5. चटाई (दस हजारा) मुर्गा ब्रांड 5000 रुपये अन्य ब्रांड में 2800 रुपये पीस 6. चटाई (5 हजारा) 1500 रुपये प्रति पीस 7. चटाई (100 दाना) 5 रुपये प्रति पीस।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।