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    Chaturmas 2025: 6 जुलाई से शुरू होगा चातुर्मास, इन चार महीनों में पड़ेंगे 22 त्योहार; भूलकर भी न करें ये काम

    रविवार को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास व्रत शुरू हो रहा है। इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में रहेंगे और सृष्टि का संचालन शिव जी करेंगे। इन चार महीनों में विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित हैं। सात्विक भोजन का पालन करें और मसालेदार भोजन से बचें। इस दौरान कई प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे।

    By Girdhari Agrwal Edited By: Piyush Pandey Updated: Fri, 04 Jul 2025 12:34 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    गिरधारी अग्रवाल, बक्सर। रविवार को देवशयनी एकादशी है और यह सबसे अधिक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके अगले दिन से ही चातुर्मास व्रत प्रारंभ हो जाता है।

    धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन से भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवता योग निद्रा में चले जाते हैं और इस सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। यही वजह है की इस चातुर्मास के समय में भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा होती है।

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    प्रसिद्ध कर्मकांडी आचार्य अमरेंद्र कुमार शास्त्री उर्फ साहेब पंडित ने बताया की एकादशी तिथि का आगमन शनिवार की शाम छह बजकर अठाईस मिनट पर हो रहा है, जो रविवार की रात्रि 8:28 बजे तक रह रही है।

    अतः श्रद्धालु पूर्वाह्न के समय अपनी सुविधानुसार किसी भी समय एकादशी व्रत का स्नान-ध्यान, पूजन कर सकते हैं। व्रती श्रद्धालु अगले दिन सूर्योदय उपरांत पारण कर लें।

    आचार्य ने बताया कि रविवार की प्रातः 7:28 बजे से भद्रा प्रारंभ होकर रात्रि 8:29 बजे तक है। इस दिन आद्रा नक्षत्र दिन में 3:32 बजे तक है, उसके बाद सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे।

    वहीं, चन्द्रमा दिन में 4:12 पर वृश्चिक राशि में गमन कर जाएंगे। उन्होंने बताया कि धर्मशास्त्र के अनुसार वर्षाकाल का चार महीना चातुर्मास कहलाता है, जो देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होकर देवोत्थान एकादशी (01 नवंबर) के दिन तक रहता है।

    इस चातुर्मास व्रत में भगवान विष्णु सभी देवी-देवताओं के साथ पाताल लोक में शयन करते हैं। जिसके चलते इस दौरान विवाह आदि कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। इसमें वर्जित कार्यों को करने से देवता नाराज हो जाते हैं।

    चातुर्मास में प्रमुख तीज-त्योहार

    चातुर्मास के सात जुलाई से एक नवम्बर के मध्य लगभग 22 प्रमुख तीज त्योहार पड़ रहे हैं। 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा और 11 से सावन आरंभ हो जाएगा। इसी महीने में की 27 को हरियाली तीज, 29 को नाग पंचमी व 21 को गोस्वामी तुलसीदास जयंती है।

    चार अगस्त को सावन की अंतिम सोमवारी व्रत, आठ को रक्षाबंधन त्योहार है। 12 अगस्त को बहुला गणेश चौथ, 16 को श्रीकृष्णजन्माष्टमी, 26 को हरितालिका तीज व्रत है।

    चार सितंबर को वामन द्वादशी व्रत, छह को अनंत चतुर्दशी व्रत एवं आठ सितंबर से महालया आरंभ हो जाएगा। वहीं, 14 को जीवित्पुत्रिका व्रत, 17 को विश्वकर्मा पूजा तथा 22 से शारदीय नवरात्र आरंभ हो जाएंगे।

    एक अक्टूबर को दशहरा, छह को शरद पूर्णिमा, 10 को करवा चौथ, 18 को धनतेरस, 20 को दीपावली तथा 25 अक्टूबर को चार दिवसीय महापर्व छठ आरंभ हो जाएगा। 30 को अक्षय नवमी और एक नवंबर को प्रबोधिनी एकादशी का व्रत है।

    चातुर्मास में क्या करें क्या न करें

    • चातुर्मास में विवाह, मुण्डन, जनेऊ आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किये जाने चाहिए।
    • सात्विक भोजन ही करें। गैर सात्विक भोजन करने से भगवान की अशुभता मिलती है।
    • चातुर्मास के सावन में साग और पत्तेदार सब्जी, भादो में बैंगन व दही, अगहन में दूध तथा कार्तिक में लहसुन और उड़द की दाल खाना शुभ नहीं होता है।
    • चातुर्मास व्रत में वर्षा ऋतु होने के कारण मसालेदार और तेलयुक्त भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए। इससे सेहत प्रभावित होता है।
    • चातुर्मास व्रत में व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर नियमित रूप से व्रत और संयम का पालन करना चाहिए, देर तक सोना नुकसानदायक होता है।
    • वर्षा ऋतु के कारण इस दौरान सूर्य और चंद्रमा की शक्ति कमजोर होती है। परिणाम स्वरूप व्यक्तियों में भी शक्ति का ह्रास होता है। शरीर की ऊर्जा और शक्ति को बनाए रखने हेतु नियमित व्यायाम करें।
    • चातुर्मास में मांगलिक कार्य तो वर्जित हैं पर यह काल धार्मिक कार्यों, व्रत एवं पूजा पाठ के लिए उत्तम होता है।
    • चातुर्मास व्रत में व्यक्ति को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए। आवश्यकता से अधिक बोलना नुकसानदायक साबित हो सकता है।