स्वस्थ शरीर में होता स्वस्थ मन का विकास
बक्सर। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास व विकास होता है। जब शरीर ही स्वस्थ नहीं रहेगा तो
बक्सर। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास व विकास होता है। जब शरीर ही स्वस्थ नहीं रहेगा तो दिमाग सही तरीके से कहां काम कर पाएगा। इसीलिए योग आधारित शिक्षा की परिकल्पना विद्या भारती ने की है। बुधवार को सरस्वती विद्या मंदिर अहिरौली में'योग व स्वस्थ मानव जीवन'विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए विद्यालय के मंत्री एचएन ¨सह ने यह बातें कही। इससे पूर्व दीप प्रज्ज्वलन कर उन्होंने कार्यशाला का उदघाटन किया। कार्यशाला में बच्चों को योग के विभिन्न आयामों की जानकारी दी गयी तथा उनका अभ्यास कराया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विद्यालय के योग प्रमुख मधुसूदन प्रसाद ने कहा कि योग के आठ आयाम हैं। जिसमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि शामिल है। उन्होंने कहा कि इनसे ही मनुष्य जीवन का सम्यक विकास होता है। इसलिए हर व्यक्ति के लिए योग जरूरी है। भोलाजी केशरी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो विश्व के सभी देशों में योग की महत्ता को प्रख्यापित किया है। वहीं, भोजपुर विभाग के विभाग निरीक्षक डा.धीरेन्द्र झा ने कहा कि योग हमारे सभी अंगों को सम्यक संतुलित कर हमारे कौशल को बढ़ाता है। जबकि, बालिका विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य मिथिलेश राय ने कहा कि योग से चित्त वृत्ति का विकास होता है। विद्यालय के प्राचार्य डा.अशोक कुमार ¨सह ने कहा कि योग मस्तिष्क का टानिक है, जिससे सु¨चतन, सुविचार व कौशल का विकास होता है। मौके पर शिवनारायण समेत विद्यालय के अन्य शिक्षक मौजूद थे।