Chhath Puja 2025: बिहार में चार दिनों का छठ महापर्व शुरू, जानिए हर दिन की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
बिहार में छठ पूजा का चार दिवसीय महापर्व (Chhath Puja 2025) शुरू हो गया है। भक्त सूर्य देव और छठी मैया की आराधना में लीन हैं। नहाय-खाय से शुरू होकर, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के साथ यह पर्व संपन्न होगा। छठ पूजा 2025 के हर दिन का अपना विशेष महत्व और पूजन विधि है, जिसका पालन भक्त श्रद्धापूर्वक करते हैं।

छठपूजा Chhath Puja 2025
जागरण संवाददाता, बक्सर। चार दिवसीय सूर्योपासना का महापर्व छठ का अनुष्ठान शनिवार से नहाय-खाय के साथ आरंभ गया है। पहले दिन व्रतियों ने स्नान किए जाने के बाद नए वस्त्र धारण किए। इसके बाद मिट्टी के चूल्हे पर बने कद्दू और चना दाल की सब्जी एवं चावल का भोग लगाया और उसे स्वजनों के साथ प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।
रविवार की शाम लोगों के घरों में खरना का प्रसाद (Kharna prasad) बनेगा और इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा। इसके अगले दिन सोमवार को व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे और मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिए जाने के बाद चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा।
इधर चुनावी व्यस्तता के बीच अधिकारियों का ध्यान छठ पूजा की तैयारियों पर पिछले आयोजनों की अपेक्षा इस बार काफी कम है। शनिवार को रेडक्रास के सचिव श्रवण तिवारी और नगर परिषद की मुख्य पार्षद कमरुन निशा के प्रतिनिधि नियामतुल्ला फरीदी ने छठ घाटों का जायजा लिया। साथ ही कमियां दूर करने के लिए नगर परिषद के कर्मचारियों को निर्देशित किया।
लोक आस्था व सूर्योपासना का महापर्व छठ प्रकृति का पर्व है, और विशेष बात तो यह है कि यह पर्व बिना किसी कर्मकांड के संपन्न होता है, जिसमें सूर्य की उपासना तो की ही जाती है, प्रसाद के रूप में मौसमी फल, सब्जी और अनाज का उपयोग किया जाता है।
महापर्व छठ का उत्साह देखते ही बन रहा है, शायद ही कोई घर बचा है जो इस अनुष्ठान को पूरा करने से बचा हो। शहर से लेकर कस्बाई इलाकों तक छठ गीतों की मधुर संगीत सुनाई पड़ रही है।
सभी जगह फलों की दुकानें सज-धज कर तैयार हैं। सीताफल, गागर नींबू, अनानास, आम, आलू बुखारा (प्लम) आदि फल जो दीपावली से पहले तक बाजार में उपलब्ध नहीं थे उन सबों की भी आवक पर्याप्त मात्रा में हुई है।
घर के कोने-कोने की हुई साफ-सफाई
छठ पर्व में पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस कारण नहाय-खाय से पहले घर के कोने-कोने की लोगों ने बेहतर ढंग से साफ-सफाई पूरी की। इसके बाद गंगा जल छिड़क कर घर का शुद्धिकरण किया। व्रतियों ने तम-मन से विधिवत स्नान किया।
स्नान को कुछ व्रती गंगा घाट तक भी पहुंचे और स्नान के बाद साथ में गंगाजल लेकर लौटीं। शुद्धता के साथ सूर्यास्त से पूर्व मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर चावल (अरवा) एवं कद्दू-चने दाल की प्रसाद बनाईं। खुद खाने के बाद स्वजनों को खिलाईं।
कल होगी खरना की पूजा (Daywise importance)
खरना का मतलब है शुद्धिकरण। छठ के व्रत में सफाई और स्वच्छता का बहुत महत्व है। पहले दिन नहाय-खाय जहां तन की स्वच्छता करता है, वहीं दूसरे दिन खरना में मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है। इसके बाद छठ का मूल त्योहार षष्ठी का पूजन होता है और भगवान सूर्य को अर्घ्य दे कर उनका आह्वान किया जाता है।
माना जाता है कि नहाय-खाय और खरना के प्रसाद से मन और आत्मा की शुद्धि होती है। रविवार को पूरे दिन उपवास रखने के बाद खरना में व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर पारण करेंगे। उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा।
पहला अर्घ्य कल, सूर्यास्त 5:35 बजे
मौसम के प्रतिकूल परिस्थितियों में सूर्यास्त और सूर्योदय के समय (Shubh Muhurat) की जानकारी रखना भी जरूरी हो जाता है। आचार्य अमरेंद्र कुमार मिश्र उर्फ साहेब पंडित ने बताया कि सोमवार को उदय व्यापनी षष्ठी तिथि में शाम को महापर्व का पहला अर्घ्य डूबते सूर्य को दिया जाएगा, जिसमें वाराणसी पंचांग अनुसार भगवान भास्कर के अस्त होने का समय 5:35 बजे दिया गया है।
अतः अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य शाम 4:50 बजे से भगवान भास्कर के अस्त होने तक (सुविधानुसार) किसी भी समय के मध्य में दिया जाना लाभकारी रहेगा। वहीं पंचांग रूपेण मंगलवार की सुबह 6:25 पर उदीयमान हो रहे सूर्य को सुबह छह बजे से पौने सात बजे तक के समय-काल में अर्घ्य-दान करना सर्वोत्तम रहेगा।

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