चौसा-बक्सर (एनएच-319ए) फोरलेन बाईपास को मिल गई मंजूरी, फिर भी निर्माण में हो रही देरी
बक्सर जिले के लिए महत्वपूर्ण चौसा-बक्सर फोरलेन बाईपास (एनएच-319ए) के निर्माण में देरी हो रही है, जिससे स्थानीय लोग परेशान हैं। केंद्र सरकार ने 1,060 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, लेकिन भूमि अधिग्रहण और मुआवजा भुगतान में रुकावटें आ रही हैं। ट्रैफिक जाम से आम जनता और व्यापारी प्रभावित हैं। प्रशासन ने परियोजना को प्राथमिकता दी है और प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास कर रहा है।

जागरण संवाददाता, बक्सर। जिले के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाने वाले चौसा-बक्सर फोरलेन बाईपास (एनएच-319ए पैकेज) के निर्माण में अपेक्षित प्रगति नहीं दिख रही है। केंद्र सरकार द्वारा लगभग 1,060 करोड़ रुपए की स्वीकृति और ग्रीनफील्ड मॉडल पर तैयार किए जाने की घोषणा के बावजूद, परियोजना अभी भी प्रारंभिक चरणों, भूमि-अधिग्रहण, मुआवजा भुगतान और तकनीकी औपचारिकताओं—में अटकी हुई है।
इस देरी का सबसे अधिक असर स्थानीय यातायात और व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ रहा है, जबकि क्षेत्रवासी लंबे समय से नई हाईवे सुविधा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चौसा-बक्सर बाईपास को एनएच-319ए के तहत पैकेज-2 के रूप में विकसित किया जाना है।
इस मार्ग को फोरलेन मानकों के अनुरूप तैयार कर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे नेटवर्क से जोड़ने की योजना है, जिसकी वजह से यह बक्सर जिले को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और वाराणसी-बक्सर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर से एक सहज और तेज़ कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। केंद्र से बजट स्वीकृति होने के बाद यह माना जा रहा था कि निर्माण तेजी से शुरू होगा, लेकिन ज़मीनी तैयारी अभी भी पूरी नहीं हो सकी है।
परियोजना की सबसे बड़ी बाधा भूमि-अर्जन ही साबित हुई है। प्रभावित गांवों में रैयतों से सहमति, दावों की जांच, दस्तावेज सत्यापन और मुआवजा निर्धारण की प्रक्रियाए समय पर पूरी नहीं हो सकीं।
प्रशासन ने पिछले महीनों में कई विशेष शिविर आयोजित कर किसानों और जमीन मालिकों से आवेदन लिए, लेकिन विस्तृत तकनीकी सर्वे और नक्शे की पुष्टि में विलंब होने के कारण मुआवजा भुगतान गति नहीं पकड़ पाया। कई स्थानों पर भू-अर्जन से जुड़े विवाद, मूल्यांकन पर असहमति और दस्तावेज़ी औपचारिकताओं ने कार्य को और धीमा कर दिया।
जाम से परेशान है आम जनता
इस देरी का सीधा प्रभाव आम जनता पर पड़ रहा है। मौजूदा मार्गों पर ट्रैफिक का बोझ लगातार बढ़ रहा है और भारी वाहनों के कारण चौसा-बक्सर रूट पर अक्सर लंबे जाम लग जाते हैं। कई बार यातायात 10-15 किलोमीटर तक ठहर जाता है, जिससे स्कूली बच्चों, मरीजों और मजदूरों सहित पूरे क्षेत्र के लोगों की दिनचर्या प्रभावित होती है।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि मालवाहक वाहनों के समय पर न पहुंचने से परिवहन लागत लगातार बढ़ रही है, जिसका असर उपभोक्ताओं तक पहुंचता है। जिला प्रशासन ने हाल के महीनों में समीक्षा बैठकों में एनएच-319ए को प्राथमिकता परियोजना घोषित करते हुए संबंधित विभागों को प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए हैं।
भूमि-अर्जन को समयबद्ध रूप से पूरा करने, रैयतों के साथ विवाद समाधान, और मुआवजा भुगतान में पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि भू-अर्जन पूरा होते ही निर्माण एजेंसी को साइट हैंडओवर कर दिया जाएगा।

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